अगर आपके जीवन में कोई परेशानी है, जैसे: बिगड़ा हुआ दांपत्य जीवन , घर के कलेश, पति या पत्नी का किसी और से सम्बन्ध, निसंतान माता पिता, दुश्मन, आदि, तो अभी सम्पर्क करे. +91-8602947815
Showing posts with label Devi. Show all posts
Showing posts with label Devi. Show all posts

51 Shaktipeeth and Bhairava | 51 शक्तिपीठ और भैरव

51 शक्तिपीठ और भैरव | 51 Shaktipeeth and Bhairava 

कहा जाता है कि जब माता के ५१ भागों से ५१ शक्तिपीठों की स्थापना हुई तो उन सभी शक्तिपीठों की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अपने अंश से ५१ भैरवों को प्रकट किया। ये सभी भैरव उन शक्तिपीठों में स्थापित माताओं की एक पुत्र की भांति रक्षा करते हैं। 

एक अन्य कथा के अनुसार एक बार ब्रह्माजी ने भगवान शिव के अघोर रूप की निंदा कर दी थी। उस निंदा पर भोलेनाथ ने तो ध्यान नहीं दिया किन्तु तभी उनके शरीर से एक काजल से भी काली एक महाभयानक आकृति निकली और परमपिता ब्रह्मा पर झपटी। महारुद्र के उस विकराल रूप को देख कर स्वयं परमपिता भी स्तब्ध रह गए और भय से उन्होंने अपनी आँखें बंद कर ली। तब महादेव ने उस आकृति को ब्रह्मा पर आक्रमण करने से रोका। उन्होंने उसे "भैरव" नाम दिया और उन्हें काशी का रक्षक नियुक्त कर दिया। उन्हें ही कालभैरव या महाभैरव कहा जाता है और वे सभी भैरवों के नायक है। कहीं-कहीं ये भी मान्यता है कि ब्रह्मा के उस पाँचवे मुख को, जिसने महादेव की निंदा की थी, महाभैरव ने ही काटा था। 

भैरव कुल ६४ माने गए हैं जो अष्टभैरवों के रूप में ८ भाग में बटें हैं। इनमे से प्रमुख अष्टभैरव हैं क्रोध, कपाल, अतिसांग, चंदा, रुरु, संहार, उन्मत्त और भीषण। उन सभी के मंदिर तमिलनाडु में स्थित हैं। इसके बारे में आप विस्तार से यहाँ पढ़ सकते हैं। इस लेख में हम उन ५१ भैरवों का नाम बताएँगे जो शक्तिपीठों की सुरक्षा के लिए नियुक्त किये गए हैं। शक्तिपीठों के विषय में विस्तार से जानने के लिए यहाँ जाएँ। 


  1. माता कोट्टरी - भीमलोचन भैरव 
  2. माता महिषमर्दिनी - क्रोधीश भैरव 
  3. माता सुनंदा - त्रयम्बक भैरव 
  4. माता महामाया - त्रिसंधेश्वर भैरव 
  5. माता अम्बिका - उन्मत्त भैरव 
  6. माता त्रिपुरमालिनी - भीषण भैरव 
  7. माता अम्बाजी - बटुक भैरव
  8. माता महाशिरा - कपाली भैरव 
  9. माता दाक्षायणी - अमर भैरव 
  10. माता विमला - जगन्नाथ भैरव 
  11. माता गण्डकी - चक्रपाणि भैरव 
  12. माता बाहुला - भीरुक भैरव
  13. माता मंगल चन्द्रिका - कपिलांबर भैरव
  14. माता त्रिपुरसुन्दरी - त्रिपुरेश भैरव 
  15. माता भवानी - चंद्रशेखर भैरव 
  16. माता भ्रामरी - अम्बर भैरव 
  17. माता कामाख्या - उमानंद भैरव 
  18. माता जुगाड्या - क्षीरखंडक भैरव 
  19. माता कालिका - नकुलीश भैरव
  20. माता ललिता - भव भैरव 
  21. माता जयंती - क्रमादीश्वर भैरव 
  22. माता विमला - सामवर्त भैरव 
  23. माता विशालाक्षी (मणिकर्णी) - काल भैरव
  24. माता श्रवणी - निमिष भैरव 
  25. माता सावित्री - स्थनु भैरव
  26. माता गायत्री - सर्वानंद भैरव
  27. माता महालक्ष्मी - शंभरानन्द भैरव 
  28. माता देवगर्भ - रुरु भैरव 
  29. माता काली - असितांग भैरव 
  30. माता नर्मदा - भद्रसेन भैरव 
  31. माता शिवानी - चंदा भैरव 
  32. माता उमा - भूतेश भैरव 
  33. माता नारायणी - संहार भैरव 
  34. माता वाराही - महारुद्र भैरव 
  35. माता अर्पण - वामन भैरव 
  36. माता श्रीसुंदरी - सुन्दरानन्द भैरव 
  37. माता कपालिनी (भीमरूप) - शर्वानन्द भैरव
  38. माता चंद्रभागा - वक्रतुण्ड भैरव 
  39. माता अवन्ति - लंबकर्ण भैरव 
  40. माता भ्रामरी - विकृताक्ष भैरव 
  41. माता राकिनी (विश्वेश्वरी) - वत्स्नाभ (दंडपाणि) भैरव 
  42. माता अम्बिका - अमृतेश्वर भैरव 
  43. माता कुमारी - शिवा भैरव 
  44. माता उमा - महोदर भैरव 
  45. माता कालिका - योगेश भैरव 
  46. माता जयदुर्गा - अभिरु भैरव 
  47. माता महिषमर्दिनी - वक्रनाथ भैरव 
  48. माता यशोरेश्वरी - चंद्र भैरव 
  49. माता फुल्लरा - विश्वेश भैरव 
  50. माता नंदिनी - नंदकेश्वर भैरव 
  51. माता इन्द्राक्षी - राक्षसेश्वर भैरव


सप्त मातृका Saptah Matrika | अष्ट मातृका Asta Matrika

सप्त मातृका Saptah Matrika | अष्ट मातृका Asta Matrika

सप्तमातृकाओं में सात देविओं की गिनती की जाती है जिनकी पूजा वृहद् रूप से भारत, विशेषकर दक्षिण में की जाती है। नेपाल में विशेषकर अष्टमातृकाओं की पूजा की जाती है जो आठ देवियों का समूह है। इनमे से हर देवी किसी न किसी देवता/देवी की शक्ति को प्रदर्शित करती है। इनमे से पहली छः मातृका तो पूरे विश्व में एक मत से मान्य हैं किन्तु अंतिम दो के बारे में अलग-अलग जगह कुछ शंशय एवं विरोध है। मातृका हिन्दू धर्म में माताओं का प्रसिद्ध समूह है जिनकी उत्पत्ति आदिशक्ति माँ पार्वती से हुई है।

ब्राह्मणी: ये परमपिता ब्रह्मा की शक्ति को प्रदर्शित करती हैं। ये पीत वर्ण की है तथा इनकी चार भुजाएँ हैं। ब्रह्मदेव की तरह इनका आसन कमल एवं वाहन हंस है। 
वैष्णवी: ये भगवान विष्णु की शक्ति को प्रदर्शित करती हैं। इनकी भी चार भुजाएँ हैं जिनमे ये भगवान विष्णु की तरह शंख, चक्र, गदा एवं कमल धारण करती है। नारायण की भांति ये विविध आभूषणों से ऐश्वर्य का प्रदर्शन करती हैं तथा इनका वाहन भी गरुड़ है। 
माहेश्वरी: महादेव की शक्ति को प्रदर्शित करने वाली चार भुजाओं वाली ये देवी नंदी पर विराजमान रहती हैं। इनका दूसरा नाम रुद्राणी भी है जो महरूद्र की शक्ति का परिचायक है। महादेव की भांति ये भी त्रिनेत्रधारी एवं त्रिशूलधारी हैं। इनके हाथों में त्रिशूल, डमरू, रुद्राक्षमाला एवं कपाल स्थित रहते हैं। 
इन्द्राणी: ये देवराज इंद्र की शक्ति को प्रदर्शित करती हैं जिन्हे ऐन्द्री, महेन्द्री एवं वज्री भी कहा जाता है। इनकी चार भुजाएं एवं हजार नेत्र बताये गए हैं। इंद्र की भांति ही ये वज्र धारण करती हैं और ऐरावत पर विराजमान रहती हैं। 
कौमारी: शिवपुत्र कार्तिकेय की शक्ति स्वरूपा ये देवी कुमारी, कार्तिकी और अम्बिका नाम से भी जानी जाती हैं। मोर पर सवार हो ये अपने चारो हाथों में परशु, भाला, धनुष एवं रजत मुद्रा धारण करती हैं। कभी-कभी इन्हे स्कन्द की भांति छः हाथों के साथ भी दिखाया जाता है। 
वाराही: ये भगवान विष्णु के अवतार वाराह अथवा यमदेव की शक्ति को प्रदर्शित करती हैं। ये अपने चार हाथों में दंड, हल, खड्ग एवं पानपत्र धारण करती हैं तथा भैसें पर सवार रहती हैं। इन्हे भी अर्ध नारी एवं अर्ध वराह के रूप में दिखाया जाता है। 
चामुण्डा: ये देवी चंडी का ही दूसरा रूप है और उन्ही की शक्तियों का प्रतिनिधित्व करती हैं। इन्हे चामुंडी या चर्चिका भी कहा जाता है। इनका रंग रूप महाकाली से बहुत मिलता जुलता है। नरमुंडों से घिरी कृष्ण वर्ण की ये देवी अपने चारों भुजाओं में डमरू, खड्ग, त्रिशूल एवं पानपत्र लिए रहती हैं। त्रिनेत्रधारी ये देवी सियार पर सवार शवों के बीच में अत्यंत भयानक प्रतीत होती हैं। 
नारसिंहि: विष्णु अवतार नृसिंह की प्रतीक इन देवी का स्वरुप भी उनसे मिलता है। इन्हे नरसिंहिका एवं प्रत्यंगिरा भी कहा जाता है। 

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...