51 शक्तिपीठ और भैरव | 51 Shaktipeeth and Bhairava
कहा जाता है कि जब माता के ५१ भागों से ५१ शक्तिपीठों की स्थापना हुई तो उन सभी शक्तिपीठों की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अपने अंश से ५१ भैरवों को प्रकट किया। ये सभी भैरव उन शक्तिपीठों में स्थापित माताओं की एक पुत्र की भांति रक्षा करते हैं।
एक अन्य कथा के अनुसार एक बार ब्रह्माजी ने भगवान शिव के अघोर रूप की निंदा कर दी थी। उस निंदा पर भोलेनाथ ने तो ध्यान नहीं दिया किन्तु तभी उनके शरीर से एक काजल से भी काली एक महाभयानक आकृति निकली और परमपिता ब्रह्मा पर झपटी। महारुद्र के उस विकराल रूप को देख कर स्वयं परमपिता भी स्तब्ध रह गए और भय से उन्होंने अपनी आँखें बंद कर ली। तब महादेव ने उस आकृति को ब्रह्मा पर आक्रमण करने से रोका। उन्होंने उसे "भैरव" नाम दिया और उन्हें काशी का रक्षक नियुक्त कर दिया। उन्हें ही कालभैरव या महाभैरव कहा जाता है और वे सभी भैरवों के नायक है। कहीं-कहीं ये भी मान्यता है कि ब्रह्मा के उस पाँचवे मुख को, जिसने महादेव की निंदा की थी, महाभैरव ने ही काटा था।
भैरव कुल ६४ माने गए हैं जो अष्टभैरवों के रूप में ८ भाग में बटें हैं। इनमे से प्रमुख अष्टभैरव हैं क्रोध, कपाल, अतिसांग, चंदा, रुरु, संहार, उन्मत्त और भीषण। उन सभी के मंदिर तमिलनाडु में स्थित हैं। इसके बारे में आप विस्तार से यहाँ पढ़ सकते हैं। इस लेख में हम उन ५१ भैरवों का नाम बताएँगे जो शक्तिपीठों की सुरक्षा के लिए नियुक्त किये गए हैं। शक्तिपीठों के विषय में विस्तार से जानने के लिए यहाँ जाएँ।
- माता कोट्टरी - भीमलोचन भैरव
- माता महिषमर्दिनी - क्रोधीश भैरव
- माता सुनंदा - त्रयम्बक भैरव
- माता महामाया - त्रिसंधेश्वर भैरव
- माता अम्बिका - उन्मत्त भैरव
- माता त्रिपुरमालिनी - भीषण भैरव
- माता अम्बाजी - बटुक भैरव
- माता महाशिरा - कपाली भैरव
- माता दाक्षायणी - अमर भैरव
- माता विमला - जगन्नाथ भैरव
- माता गण्डकी - चक्रपाणि भैरव
- माता बाहुला - भीरुक भैरव
- माता मंगल चन्द्रिका - कपिलांबर भैरव
- माता त्रिपुरसुन्दरी - त्रिपुरेश भैरव
- माता भवानी - चंद्रशेखर भैरव
- माता भ्रामरी - अम्बर भैरव
- माता कामाख्या - उमानंद भैरव
- माता जुगाड्या - क्षीरखंडक भैरव
- माता कालिका - नकुलीश भैरव
- माता ललिता - भव भैरव
- माता जयंती - क्रमादीश्वर भैरव
- माता विमला - सामवर्त भैरव
- माता विशालाक्षी (मणिकर्णी) - काल भैरव
- माता श्रवणी - निमिष भैरव
- माता सावित्री - स्थनु भैरव
- माता गायत्री - सर्वानंद भैरव
- माता महालक्ष्मी - शंभरानन्द भैरव
- माता देवगर्भ - रुरु भैरव
- माता काली - असितांग भैरव
- माता नर्मदा - भद्रसेन भैरव
- माता शिवानी - चंदा भैरव
- माता उमा - भूतेश भैरव
- माता नारायणी - संहार भैरव
- माता वाराही - महारुद्र भैरव
- माता अर्पण - वामन भैरव
- माता श्रीसुंदरी - सुन्दरानन्द भैरव
- माता कपालिनी (भीमरूप) - शर्वानन्द भैरव
- माता चंद्रभागा - वक्रतुण्ड भैरव
- माता अवन्ति - लंबकर्ण भैरव
- माता भ्रामरी - विकृताक्ष भैरव
- माता राकिनी (विश्वेश्वरी) - वत्स्नाभ (दंडपाणि) भैरव
- माता अम्बिका - अमृतेश्वर भैरव
- माता कुमारी - शिवा भैरव
- माता उमा - महोदर भैरव
- माता कालिका - योगेश भैरव
- माता जयदुर्गा - अभिरु भैरव
- माता महिषमर्दिनी - वक्रनाथ भैरव
- माता यशोरेश्वरी - चंद्र भैरव
- माता फुल्लरा - विश्वेश भैरव
- माता नंदिनी - नंदकेश्वर भैरव
- माता इन्द्राक्षी - राक्षसेश्वर भैरव