अगर आपके जीवन में कोई परेशानी है, जैसे: बिगड़ा हुआ दांपत्य जीवन , घर के कलेश, पति या पत्नी का किसी और से सम्बन्ध, निसंतान माता पिता, दुश्मन, आदि, तो अभी सम्पर्क करे. +91-8602947815
Showing posts with label अंगारक योग. Show all posts
Showing posts with label अंगारक योग. Show all posts

अंगारक दोष निवारण पूजा Angarak dosha nivaran puja

अंगारक दोष निवारण पूजा Angarak dosha nivaran puja Kundali Dosh Nivaran Puja हवन और पूजा

राहु और केतु में से किसी भी एक के साथ या इन दो ग्रहों पर मंगल की दृष्टि हो तो जातक की कुंडली में अंगारक योग का निर्माण होता है। अगर इस योग में राहु-केतु और मंगल अशुभ स्‍थान में हों तो ही ये योग अशुभ फल देता है।

अंगारक दोष के प्रभाव: 
इस दोष के प्रभाव में जातक क्रोधी बन जाता है और उसे बात-बात पर गुस्‍सा आने लगता है। इस पूजन के माध्‍यम से जातक का स्‍वभाव शांत बनता है और वो अपने कार्यों को आराम से पूर्ण कर पाता है। इस दोष से पीडित जातक अपने निर्णय नहीं ले पाते हैं। अंगारक योग के कारण क्रोध, अग्निभय, दुर्घटना, रक्त से संबंधित रोग और स्किन की समस्याएं मुख्य रूप से होती हैं।

पूजन सामग्री Pujan samagri
धूप, फूल पान के पत्ते, सुपारी, हवन सामग्री, देसी घी, मिष्ठान, गंगाजल, कलावा, हवन के लिए लकड़ी (आम की लकड़ी), आम के पत्ते, अक्षत, रोली, जनेऊ, कपूर, शहद, चीनी, हल्दी और गुलाबी कपड़ा |

अंगारक दोष शांति पूजा 
Angarak dosh shanti puja
अंगारक दोष के निवारण हेतु पूजन की अनेक विधि हैं। सबसे उत्तम विधि वैदिक मंत्रों द्वारा किया जाने वाला विधान है। अंगारक दोष की शांति के लिए राहू-केतु और मंगल ग्रहों को उनके मंत्रों द्वारा शांत किया जाता है।

अंगारक दोष निवारण पूजा के लाभ-:
यह पूजा अथवा अनुष्‍ठान कराने से आपके महत्‍वपूर्ण कार्य संपन्‍न होते हैं।
इस पूजा के प्रभाव से आपके जितने भी रुके हुए काम हैं वो पूरे हो जाते हैं।
शारीरिक और मानसिक चिंताएं दूर होती हैं।
नौकरी, करियर और जीवन में आ रही सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती है।

पूजन का समय 
पूजा का समय शुभ मुहुर्त देखकर तय किया जाएगा।

यजमान द्वारा वांछित जानकारी 
नाम एवं गोत्र, पिता का नाम
जन्म तारीख, स्थान

अंगारक दोष पूजन अपने या अपने परिवार के किसी सदस्य के लिए करवाने का समय ले सकते हैं।
जिस किसी को अंगारक योग की शांति के लिए आप ये पूजा करवाना चाहते हैं उसका नाम, जन्म स्थान, गोत्र और पिता का नाम अवश्य ज्ञात होना चाहिए।
     

नाग दोष निवारण पूजा - Naag dosha nivaran puja

अंगारक दोष निवारण पूजा - Angarak dosha nivaran puja

केमद्रुम दोष निवारण पूजा - Kemdrum dosha nivaran puja

भात पूजा (मंगल दोष निवारण पूजा) - Bhat puja mangal dosha nivaran puja

गंंडमूल दोष निवारण पूजा - Ganmool dosha nivaran puja

Angarak yog अंगारक योग

Angarak yog  अंगारक योग

जन्म कुण्डली में क्षत्रिय प्रकृति का ग्रह मंगल जब असुर प्रकृति वाले राहु अथवा केतु के साथ संयोग करे तो एक विशेष प्रकार का योग “अंगारक” निर्मित होता है। मंगल तथा राहु-केतु का संबंध उनके एक ही भाव में साथ बैठने से बन सकता है अथवा एक-दूसरे से दृष्टिगत संबंध भी बन सकता है। 

क्या है अंगारक योग? What is angarak yog ?

अंगारक योग जैसा की नाम से ही स्पष्ट है अग्नि का द्योतक है। यानि मंगल जो कि अग्नि का कारक ग्रह है, राहु नामक वायुवीय ग्रह के साथ संयोग कर अपने दुष्प्रभाव में भारी बढ़ोत्तरी कर लेता है। ऐसे में पीड़ित जातक हिंसात्मक अपराधी, कुप्रवृत्तियों में संलग्न, आचरणहीन, व्यभिचार में रत, दूसरों का बुरा चाहने वाला स्वार्थी किस्म का बन जाता है। ऐसे जातकों को समाज में अराजकता फैलाने में मज़ा आने लगता है तथा अक्सर ऐसे जातक सामूहिक हत्याकाण्ड को भी अंजाम देने में संकोच नहीं करते हैं। ऐसे जातकों की एक और खासियत होती है कि वे दूसरों के धन पर आश्रित होकर भी उन्हीं का अहित कर बैठते हैं। 


किसी जातक को अंगारक योग के अशुभ फल तभी प्राप्त होते हैं जब कुंडली में अंगारक योग बनाने वाले मंगल, तथा राहु अथवा केतु दोनों ही अशुभ हों तथा कुंडली में मंगल तथा राहु केतु में से किसी के शुभ होने की स्थिति में जातक को अधिक अशुभ फल प्राप्त नहीं होते और कुडली में मंगल तथा राहु केतु दोनों के शुभ होने की स्थिति में इन ग्रहों का संबंध अशुभ फल देने वाला अंगारक योग न बना कर शुभ फल देने वाला अंगारक योग बनाता है।

उदाहरण के लिए किसी कुंडली में अशुभ मंगल का अशुभ राहु अथवा अशुभ केतु के साथ संबंध हो जाने की स्थिति में ऐसी कुंडली में निश्चय ही अशुभ फल प्रदान करने वाले अंगारक योग का निर्माण हो जाता है जिसके चलते इस योग के प्रबल प्रभाव में आने वाले जातक अधिक आक्रामक तथा हिंसक होते हैं तथा कुंडली में कुछ अन्य विशेष प्रकार के अशुभ प्रभाव होने पर ऐसे जातक भयंकर अपराधी जैसे कि पेशेवर हत्यारे तथा आतंकवादी आदि बन सकते हैं। दूसरी ओर किसी कुंडली में शुभ मंगल का शुभ राहु अथवा शुभ केतु के साथ संबंध हो जाने से कुंडली में बनने वाला अंगारक योग शुभ फलदायी होगा ऐसी स्थिति में शुभ प्रभाव वाले अंगारक योग का निर्माण होता है। ऐसा योग जातक को न्यायप्रिय, सहयोगी, जनप्रिय, सेनाधिकारी, पुलिस उच्चाधिकारी अथवा प्रशासनिक अभिकर्ता बना देता है। 

जातकों को इस योग के शुभ अशुभ भिन्न भिन्न प्रकार के फल मिलते हैं जो मुख्य रूप से इन जातकों की कुंडलियों में अंगारक योग बनाने वाले मंगल तथा राहु अथवा केतु के स्वभाव, बल तथा स्थिति आदि पर निर्भर करते हैं। कुंडली में अशुभ मंगल तथा अशुभ राहु अथवा केतु के संयोग से बनने वाला अंगारक योग अधिक अशुभ फलदायी होता है जबकि इन दोनों ग्रहों में से किसी एक के शुभ हो जाने की स्थिति में यह योग उतना अधिक अशुभ फलदायी नहीं होता !

कुंडली के 12 भाव में अंगारक योग के प्रभाव:-Effects of Angarak yog in janam kundali

▪ प्रथम भाव में अंगारक योग होने से पेट रोग, शरीर पर चोट, अस्थिर मानसिकता, क्रूरता होती है।
▪द्वितीय भाव में अंगारक योग होने से धन में उतार-चढ़ाव व व्यक्ति का घर-बार बरबाद हो जाता है।
▪ तृतीय भाव में अंगारक योग होने से भाइयों से कटु संबंध बनते हैं परंतु व्यक्ति धोखेबाजी से सफल हो जाता है।
▪चतुर्थ भाव में अंगारक योग होने से माता को दुख व भूमि संबंधित विवाद होते हैं।
▪ पंचम भाव में अंगारक योग होने से संतानहीनता व जुए-सट्टे से लाभ होता है।
▪छटम भाव में अंगारक योग होने से ऋण लेकर उन्नति होती है। व्यक्ति खूनी या शल्य-चिकित्सक भी बन सकता है।
▪सप्तम भाव में अंगारक योग होने से दुखी विवाहित जीवन, नाजायज संबंध, विधवा या विधुर होना परंतु सांझेदारी से लाभ भी मिलता है।
▪अष्टम भाव में अंगारक योग होने से पैतृक सम्पत्ति मिलती है परंतु सड़क दुर्घटना के प्रबल योग बनते हैं।
▪नवम भाव में अंगारक योग होने से व्यक्ति भाग्यहीन, वहमी, रूढ़ीवादी व तंत्रमंत्र में लिप्त होते हैं।
▪ दशम भाव में अंगारक योग होने से व्यक्ति अति कर्मठ, मेहनतकश, स्पोर्टमेन व अत्यधिक सफल होते है।
▪ एकादश भाव में अंगारक योग होने से प्रॉपर्टी से लाभ मिलता है। व्यक्ति चोर, कपटी धोखेबाज़ होते हैं।
▪द्वादश भाव में अंगारक योग होने से इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट व रिश्वतख़ोरी से लाभ। ऐसे व्यक्ति बलात्कार जैसे अपराधों में भी लिप्त होते हैं।

कुंडली के बारह घरों में मंगल-राहु अंगारक योग के उपाय- Remedies for Angarak yog, mangal rahu upay


1- कुंडली के पहले घर में मंगल-राहु अंगारक योग होने पर रेवडिय़ां, बताशे पानी में बहाएं।ॐ अंग अंगारकाय नमः कानियमित जाप करें।हनुमान चालीसा का पाठ करें। प्रत्येक मंगलवार को गाय को गुड़ खिलाएं।

2- कुंडली के दूसरे भाव में अंगारक योग होने पर चांदी की अंगूठी उल्टे हाथ की लिटील फिंगर में पहनें।ॐ अंग अंगारकाय नमः कानियमित जाप करें।हनुमान चालीसा का पाठ करें। सात चक्र पावर ग्रिड के नीचे फोटो रखें।

3- जिन लोगों की कुंडली के तीसरे भाव में ये योग होता है वह घर में हाथी दांत रखें।ॐ अंग अंगारकाय नमः कानियमित जाप करें।हनुमान चालीसा का पाठ करें।

4- कुंडली के चौथे भाव में ये योग होने पर सोना, चांदी और तांबा तीनों को मिलाकर अंगूठी पहनें।ॐ अंग अंगारकाय नमः कानियमित जाप करें।हनुमान चालीसा का पाठ करें। सात चक्र पावर ग्रिड के नीचे फोटो रखें।

5- कुंडली के पांचवें भाव में अंगारक योग होने पर रात को सिरहाने पानी का बर्तन भरकर रखें और सुबह उठते ही पेड़-पौधों में डालें।ॐ अंग अंगारकाय नमः का नियमित जाप करें।हनुमान चालीसा का पाठ करें।

6-जिन लोगों की कुंडली के  छठे घर में अंगारक योग होने पर कन्याओं को दूध और चांदी का दान दें।ॐ अंग अंगारकाय नमः कानियमित जाप करें।हनुमान चालीसा का पाठ  प्रतिदिन करें। प्रत्येक मंगलवार को सुंदरकांड का पाठ करें।

7- कुंडली के सातवें भाव में अंगारक योग होने पर चांदी की ठोस गोली अपने पास रखें।ॐ अंग अंगारकाय नमः कानियमित जाप करें।हनुमान चालीसा का पाठ करें।

8- जिन लोगों की कुंडली के  आठवें घर में अंगारक योग बनता है तो एक तरफ सिकी हुई मीठी रोटियां कुत्तों को डालें।ॐ अंग अंगारकाय नमः कानियमित जाप करें।हनुमान चालीसा का पाठ करें।

9- कुंडली के नवें घर में ये योग बनता है तो मंगलवार को हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाएं।ॐ अंग अंगारकाय नमः कानियमित जाप करें।हनुमान चालीसा का पाठ करें। प्रत्येक मंगलवार को गाय को गुड़ खिलाएं।

10- दसवें भाव में अंगारक योग जिन लोगों की कुंडली में होता है वो हनुमान  मूंगा रत्न धारण करें।ॐ अंग अंगारकाय नमः कानियमित जाप करें।हनुमान चालीसा का पाठ करें।

11- कुंडली के लाभ भाव यानि ग्यारहवें भाव में अंगारक योग होने पर मिट्टी के बर्तन में सिन्दूर रख कर, उसे घर में रखें।ॐ अंग अंगारकाय नमः कानियमित जाप करें।हनुमान चालीसा का पाठ करें।

12- बारहवें भाव में अंगारक योग होता है वह उज्जैन जाकर अंगारेश्वर मंदिर में भात पूजा कराएं, चांदी का हाथी गले में धारण करें, सात चक्र पावर ग्रिड के नीचे फोटो रखें।ॐ अंग अंगारकाय नमः कानियमित जाप करें।हनुमान चालीसा का पाठ करें। प्रत्येक मंगलवार को गाय को गुड़ खिलाएं।

कैसे शांत करें अशुभ अंगारक योग Angarak yog shanti

यदि किसी जातक को अंगारक योग के दुष्प्रभाव से जूझना पड़ रहा है तब उसे ऐसी अवस्था में मंगल तथा राहु को शांत रखना होगा। यानि विधिपूर्वक हनुमत आराधना से ये दोनों ग्रह पीड़ामुक्त होंगे तथा राहु के बीज मंत्र का शास्त्र सम्मत संख्या में उच्चारण सहित मंगल व राहु के लिए निर्दिष्ट दान करना सही रहेगा

यदि बहुत ज्यादा समस्या है तो तत्काल उज्जैन के अंगारेश्वर मंदिर में जाकर भात पूजा कराएं तथा प्रतिदिन अंगारक स्त्रोत का पाठ लाभदायक रहता है।

अंगारक स्तोत्र- Angarak Stotra

विनोयग- अस्य श्री अंगारकस्तोत्रस्य विरूपांगिरस ऋषिः अग्निर्देवता गायत्रीच्छंदः भौमप्रीत्यर्थं जपे विनोयगः।

स्तोत्रम्

अंगारकः शक्तिधरो लोहितांगो धरासुतः।

कुमारो मंगलो भौमो महाकायो धनप्रदः।।

ऋणहर्ता दृष्टिकर्ता रोगकृद्रोगनाशनः।

विघुत् प्रभो व्रणकरः कामदो धनह्रत् कुजः।।

सामगानप्रियो रक्तवस्त्रो रक्तायतेक्षणः।

लोहितो रक्तवर्णश्च सर्वकर्माविरोधकः।।

रक्तामाल्यधरो हेमकुण्डली ग्रहनायकः।

नामान्येतानि भौमस्य यः पठेत् सततं नरः।।

ऋणं तस्य हि दौर्भाग्यं दारिद्रयं च विनश्यति।

धनं प्राप्नोति विपुलं स्त्रियं चैव मनोरमाम्।।

वंशोघोतकरं पुत्रं लभते नाऽत्र संशयः।

योऽर्चयेदह्नि भौमस्य मंगलं बहुपुष्पकैः।।

सर्वा नश्यति पीडा च तस्य ग्रहकृता ध्रुवम्।।



Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...