श्रापित दोष | Saturn Rahu Conjunction Shrapit Yoga Shrapit Dosh | Shani yuti rahu
Shrapit Dosh – A Deadly Combination of Saturn and Rahu in Your Horoscope | Shani + Rahu = Pret Shraap Yog ( Pitar Dosh of Shani ) श्रापित दोष का मतलब हुआ किसी व्यक्ति को श्राप मिला हुआ होना, श्रापित दोष तब होता है, जब किसी की कुंडली के एक ही स्थान पर शनि और राहु दोनों उपस्थित होते हैं.यह व्यक्ति द्वारा पूर्व में किए पापों का नतीजा होता है.... जो अब सामने आता है
कुंडली के किसी घर में शनि और राहु साथ हो तो श्रापित दोष बनता है। कुंडली में यह दोष होने से व्यक्ति जीवन की विलासिता और आराम का आनंद लेने में असमर्थ होताहै।यह दोष पिछले जन्म में किसी व्यक्ति द्वारा श्राप दिये जाने पर या पिछले जीवन में जान-बूझकर या अनजाने में किए गए कुछ अशुभ कार्य के कारण कुंडली में बनता है।यह दोष व्यक्ति के जीवन में लगभग सभी क्षेत्रों पर प्रभाव डालता है, जैसे व्यक्ति को परिवार, वैवाहिक जीवन, बच्चों, व्यापार, करियर आदि।
शनि तथा राहु का यह संयोजन एक व्यक्ति को बुद्धिमान बना सकता है और वह तकनीक से संबंधित गतिविधियों सहित व्यावसायिक गतिविधियों में सफल हो सकता है।
लेकिन साथ ही यह दोष व्यक्ति को दुर्भाग्यपूर्ण भी बना सकता है और इसलिए वह अपनी सफलता के फल का स्वाद लेने में असमर्थ होताहै।
श्रापित दोष के दुष्प्रभाव :
इस दोष के कारण व्यक्ति के जीवन में तलाक, वैवाहिक जीवन में परेशानियाँ, पति-पत्नी के बीच तनावपूर्ण स्थिति उत्पन्न होतीहै।
इस दोष के कारण गर्भपात होना, बच्चे के जन्म से संबंधित समस्या होना।
व्यक्ति के करियर और शिक्षा में समस्याएं उत्पन्न होना।
परिवार के सदस्यों के बीच वाद-विवाद होना।
इस दोष के कारण बच्चों को स्वास्थ्य संबंधित परेशानियाँ उत्पन्न होती है।
इस दोष के वजह से आपके जीवनसाथी की अचानक मौत भी हो सकती है।
व्यापार में आर्थिक समस्या होना।
श्रापित दोष के वजह से व्यापार में बाधाएं आना।
श्रापित दोष के उपाय :
शनि-राहु श्रापित दोष निवारण पूजा करने के लिए आपको किसी ज्योतिषी से परामर्श करके, इस पूजा को अवश्य करना चाहिए।
रोज सुबह स्नान करने के बाद 108 बार शनि और राहु के बीज मंत्रों का जाप करें:-
शनि का बीज मंत्र - ओम प्रांग प्रेंग प्रंग सह शनीशचार नमः।
राहु का बीज मंत्र है - ओम भरांग भरेन्ग भराव सह राहवे नमः।
हर सोमवार को शिवलिंग पर पानी और काले दाल के साथ कच्चे दूध को मिलाकर अर्पित करने से इस दोष से छूटकारा मिल सकता है।
हर शनिवार को पके हुए चावल और घी से बने चावल की गेंदों को मछली और गायों को खिलाएं।
शनि + राहू = प्रेत श्राप योग यानि ऐसी घटना जिसे अचनचेत घटना कहा जाता है अचानक कुछ ऐसा हो जाना जिसके बारे में दूर दूर तक अंदेशा भी न हो और भारी नुक्सान हो जाये , इस योग के कारण एक के बाद एक मुसीबत बडती जाती है यदि शनि या राहू में से किसी भी ग्रह की दशा चल रही हो या आयुकाल चल रहा हो यानी ७ से १२ या ३६ से लेकर ४७ वर्ष तक का समय हो तो मुसीबतों का दौर थमता नही है ,
पूर्व जन्म के दोषों में इसे शनि ग्रह से निर्मित पितृ दोष कहा जाता है इस दोष का निवारण भी घर में सन्तान के जन्म लेते ही ब्राह्मण की सहायता से करवा लेना चाहिए अन्यथा मकान सम्बन्धी परेशानियाँ शुरू हो जाती है , प्रापर्टी बिकनी शुरू हो जाती है , कारखाने बंद हो जाते हैं / पिता पर कर्जा चड़ना शुरू हो जाता है / नौकरी पेशा हो कारोबारी संतान के प्रेत श्राप योग के कारण बाप का काम बंद होने के कगार पर पहुंच जाता है / ऐसे योग वाले के घर में निशानी होती है की जगह जगह दरारें पड़ना / सफाई के बावजूद भी गंदी बदबू आते रहना / घर में से जहरीले जीव जन्तु निलकना बिच्छू - सांप आदि ,
शापितदोष ओर उसका शांति विधान
अगर किसी की कुंडली में श्रापित दोष हो तो उसे अच्छा फल नहीं मिलता है.. भले ही उसकी कुंडली में अच्छे ग्रहों का समूह मौजूद हो.. लेकिन प्राचीन ज्योतिषशास्त्रों के अनुसार जब राहु और केतु शनि के साथ आ जाएं...या उसकी युति प्रति युति हो तो इस स्थिति को श्रापित योग कहा जाता है... जिसे अच्छा और बुरा दोनों फल में माना जाता है... ऐसी स्थिति जिसकी कुंडली में होती है.... उस व्यक्ति के पास अपार धन तो होता है... पर जब तक उस दोष से मुक्ति नही पायी जाती तब तक जातक उसके अशुभ फलो के प्रभाव में जीना पड़ता है.. कितना भी अच्छा आचरण उसे अच्छा फल के बजाये विपरीत फल भी दे सकता है.. और उससे उल्टा धर्मं के विपरीत कर्म कभी कभी अच्छा फल दे जाता है.. तब ये बात कुछ अजीब लगती है.. ऐसा ही कुछ मंगल के साथ राहु या केतु की युति से भी होता है.
शापित दोष शान्ति विधान पद्धति
शापित दोष शांति विधान कैसे हो..? ऐसा सवाल हर एक का होता है.. क्योंकि विधि विधान करना मेरा काम है और मैं हर धार्मिक विधान करता हु.. ओर एक बात हर किसीका काम का तंरिक अलग अलग होता है.. तो आज मैं अपने गुरुदेव का बताया तंरिका आपके सामने रखता हूं..
- पहेले तो ये जान ले शापित दोष किस ग्रहो की युति से होता है और ये क्यों आती है.. शापित दोष जब कुंडली मे शनि राहु या केतु से युति प्रतियुति करता है तब होती है.. मान्यता के अनुसार ये परिवार में कोई पुराना अप-मृत्यु बताती है.. मतलब एक प्रकार का पितृदोष है.. पर इसका शांति कुछ इस प्रकार से होता है...
- सब से पहले इसमे नवग्रहों के जाप होता है.. ये जाप भी चारगुना करने का विधान है.. कुछ परिस्थिति में एक गुना भी होता है.. सब ग्रहो के जाप के बाद उसका दशांश होम होता है.. फिर तर्पन मार्जन आदि के बाद पूर्णाहुति के साथ ये कार्य सम्पन होता है.. अब इसके पूरे होते ही जो जातक है उसे श्राप से मुक्ति मिली तो उसे पितृ कार्य करने का अधिकार मिला.. दूसरे दिन पितृ कार्य करके पितृ की शांति के लिए श्राद्ध होता है.. जिसका नाम है "नारायणबलि श्राद्ध".. इस श्राद्ध से समस्त पितृ की शांति की जाती है.. ओर उसका आर्शीवाद प्राप्त किया जाता है.. अब दो अपसव्य कार्य के बाद १०वे दिन भगवान महारुद्र की पूजा षोडषोपचार या त्रिशोपचार.. अलग अलग काम्य पदार्थो से अभिषेक करके की जाती है.. ओर उसके बाद ब्रह्मभोजन दान आदि आदि से इसकी समाप्ति होती है....
- अब कुछ विस्तार से जाने तो ये विधान १० दिन का होता है.. इसकी सुरुआत मंगल या शनि से करना चाहिए.. जैसे मैं मंगल से काम की सुरुआत करता हु.. मंगलवार को प्रातः में सब से पहले स्थापन किया जाता है.. स्थापन में पंचदेव के पाँच.. प्रधान राहु केतु शनि के तीन.. सर्वतोभद्र ओर पितृ का स्थापन ऐसे १० स्थापन होते है.. उसके बाद पंचांग कार्य से नाम गोत्र के साथ पूजा के बाद मंगल के जाप किये जाते है.. अब आगे पोस्ट में बताया है वैसे हर एक ग्रह के जाप की संख्या अलग अलग बताई गई है.. वैसे मंगल का ४गुना के हिसाब से ४०००० जाप होते है ५ ब्राह्मणों के साथ.. जाप सॅमको खत्म होने के बाद उत्तर पूजन होता है और मंगल का काम मंगलवार शाम को खत्म होता है.. इस तरह दूसरे दिन राहु केतु ओर बुध का जाप.. जैसे मंगल का किया उसी पध्धति से.. गुरुवार को गुरु का.. शुक्रवार शुक्र का.. शनिवार शनि का.. रविवार सूर्य का.. ओर सोमवार चंद्र का जाप किये जाते है.. अब सब जाप कर्म खत्म होने के बाद जाप की शुद्धि के लिए दशांश होम तर्पन मार्जन पूर्णाहुतु के साथ ८ दिन का काम पूरा होता है.. फिर ९वे दिन पितृ श्राद्ध.. ओर १० वे दिन महादेव की पूजा के साथ १० दिन का श्रापित दोष विधान सम्पन्न होता है.. इस विधान का बहोत बड़ा फल मिलते मैन देखा है.. पर इस विधान को सात्विक भाव से करना चहोये.. ज्यादा विस्तार से समजना मुश्किल है.. आशा करता हु ये माहिती आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगी ।
Saturn Rahu Conjunction Also called as Shrapit Yoga, Shrapit dosha literally means an astrological bad luck brought about by a curse by someone during the past lives. This is reflected in the horoscope of a person with the coming together of Saturn and Rahu in a single house. Also it is believed that Saturn's aspect on Rahu can also cause this dosha reslting from the past bad actions of an individual. The biggest downside to Shrapit dosha is that it can nullify the positive effects of good and favorable yogas too.
In the zodiac system, Saturn is the owner of two houses, the tenth and the eleventh namely the Capricorn and Aquarius. The Capricorn house pertains to karmas or deeds and the Aquarius house pertains to gains or profit. While interpreting the effects of a given zodiac chart of a person, the position of Saturn is a highly decisive factor. Before attempting to make any predictions, it is highly essential to rightly assess the strength and disposition of Saturn. The reason is that Saturn is a highly deterministic planet and plays its role in an unprejudiced way whether in favor of good or bad karmas of a person.
The adverse effects of Shrapit dosha can include the following. This can increase the risks of a divorce case happen in the individual's life. The ultimate result could be turning into a widow or widower. This can happen even if the other partner's horoscope matches well during the wedding. The other issue could be problems in getting progeny noted in repeated miscarriages. The children might fall sick frequently causing severe mental disturbance. The ambience in the family might be severely disturbed with quarrels happening so frequently that too without any specific reason. This condition can even affect the education or career prospects of a person.
Saturn and Rahu Conjunction
This is one of most discussed and frequently asked conjunction now days. So, I decided to reveal the facts of this yoga or dosh. In astrology this conjunction known as “Shrapit dosh”.
Firstly try to understand these two planet known as most important in kaliyug and when they will meet then obviously large things will happen in life, it may negative or positive.
Rahu is virtual planet and when conjunct with Saturn then obviously energy and power also will come from Saturn. Because Saturn is already dark, night and negative planet and once comes with Rahu then you can think the results.
This power depends on Saturn power if Saturn well placed then rahu also consider well placed. Generally you can see Saturn friendly sign and friendly sign of Rahu are common as well. Saturn rahu conjunction in Capricorn or Saturn rahu conjunction in Aquarius consider good but sometimes bad because negative energy of rahu in these two sign also get power which sometime gives negativity if not placed in good strong house.
Next point, how to calculate this conjunction is bad or good? This is not very straight forward article, so I will define this article in my style:
Check sign placement if it is friendly and Saturn strongly placed then it will be bad for rahu it increase struggle in life because rahu will share Saturn power and will affect functioning of Saturn, How? Saturn is very slow moving planet & believes giving life lessons but rahu is opposite totally, it will give you worldly pleasure overnight.
These peoples can succeed in foreign lands because rahu represents foreign culture or different culture and Saturn is planet of separation, so you can easily separate from your home land and can get success in foreign lands.
One more important point here Saturn is a law maker but rahu will destroy rules of Saturn. Saturn rahu conjunction in birth chart shows you will do oppose of man-kind and rules, culture.
Sometimes at the old age peoples face lot of issue from servants even some times misshaping because of servants in their life.
Saturn+rahu combination astrology is really bad in 1st (Saturn rahu conjunction lagna/Saturn rahu in 1st house) and 9th house especially because these two houses give rules/religion/life, so I will consider most troublesome placement of this in these two houses. Saturn rahu conjunction in navamsa/ shani rahu yuti in navamsa (shrapit yoga astrology or shrapit dosh in kundli) or shrapit yoga (shani rahu together) in kundli gives problems in stability that never comes in the life.
What is Saturn Rahu Conjunction?
Saturn and Rahu are known to be responsible for pain, struggle, stress, anxiety and sorrow in your life. But this conjunction is very bad when comes in very close in degree, bad nakshatra and some planetary placements.
Shrapit dosha in the horoscope or Saturn rahu conjunction effects is unable to enjoy the luxury and comforts of life even if they are available to him in abundance. This dosha occurs in a horoscope due to the person being cursed by someone in the past life. This Shani Rahu Shrapit Yoga is an extremely bad yoga and it gives tremendous difficulties in Life and sometimes the whole life goes wasted without any meaningful purpose due to this Yoga.
Astrological texts and Saturn rahu conjunction vedic astrology also tell same story about this conjunction, they written because of the past birth's (Shrapit Yoga) bad deeds you will face lot of issue in this birth. Even though there are much good yoga in the horoscope good results are not obtained in this present birth. This shows some past bad deeds this yoga came in this birth and sometimes this yoga give paranormal things also.
Shani rahu conjunction in all houses
shani rahu in 1st house/ shani rahu yuti in 1st house is bad for life and stability in life.
shani rahu in 2nd house/ shani rahu yuti in 2nd house is bad for asset/land and routine income and vani dosh will be there.
shani rahu in 3rd house/ shani rahu yuti in 3rd house is bad for co-born death or quarrels of co-born seen with this placement.
shani rahu in 4th house/ shani rahu yuti in 4th house is bad for family happiness and mother.
shani rahu in 5th house/ shani rahu yuti in 5th house is very bad for children and for female child related issue abortion.
shani rahu in 6th house/ shani rahu yuti in 6th house is good, it will destroy all your enemies and if other planet strong then you will be successful person in life.
shani rahu in 7th house/ shani rahu yuti in 7th house is bad for marriage and business.
shani rahu in 8th house/ shani rahu yuti in 8th house is bad for age and accidents.
shani rahu in 9th house/ shani rahu yuti in 9th house is extreamly bad life will be full of pain.
shani rahu in 10th house/ shani rahu yuti in 10th house is bad for career struggle and instability will be there.
shani rahu in 11th house/ shani rahu yuti in 11th house is bad for your desire, it will make highly ambitious but never gives big gains.
shani rahu in 12th house/ shani rahu yuti in 12th house is bad for spirituality and moksha.
This dosh gives many problems in life such as:
Bad Saturn rahu conjunction gives confusion and instability in life.
Effects of Saturn rahu conjunction disturb family life.
Shani rahu combination gives strained relations between Husband and Wife.
Shrapit yoga effects come in progeny, abortion, conceiving, miscarriages, and Child delivery related Problems.
Shani rahu gochar yuti or saturn rahu conjunction in transit also gives many problems which we just faced back in last years.
Shani rahu dosha gives health issues especially surgical/spinal issues.
Shani rahu yuti affects job and career.
Shani rahu in one house shows bad relation with servant.
Saturn conjunction with rahu gives divorce sometimes if related with 7th.
Shani rahu same house shows inter-caste marriage.
Shani with rahu gives interest in another religion.
Saturn rahu in same house shows you may convert your religion.
Shrapit yoga cancellation: In very few chart this dosha able to cancel , it depends on benefic Jupiter he can handle it only. Shrapit yoga or shrapit dosha explained everywhere but it cancellation depends on this condition only. Shrapit yoga hindi you can read from translator.
Remedies for Saturn rahu conjunction or saturn rahu conjunction remedies
Shrapit dosha nivaran puja or shrapit yoga puja, do the worship of anyone jyotirling among 12 jyotirling specially mahakaleshwar ujjan.
Do daily worship of maha-mritunjai mantra (shrapit dosha mantra) is one of the best shrapit yog ke upay or shrapit dosha remedy:
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिंम् पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ।।
oṁ tryambakaṁ yajāmahe sugandhiṁ puṣṭi-vardhanam ǀ
urvārukam-iva bandhanān mṛtyormukṣīya māmṛtāt ǁ
Shani rahu jaap or rahu shani japa is required.
Don’t believe on shrapit yoga yantra or shrapit dosh yantra only shiv can give relief from this yoga.
If Shrapit dosha is noticed in your horoscope, you need not panic. There are certainly enough remedial measures that can effectively avert the evil effects of Shrapit dosha or at least minimise it to a great extent.
On Saturdays, cook rice and make a rice ball with ghee. This can be given in feeding to crows and fish. Selfless service to the aged parents, disabled people, to persons who are in need, workers and poor people can help avert the evil effects of Shrapit dosha. It is important to maintain a composed state in dealing with other people and a balanced state of mind avoiding anger, quarrels and unnecessary disputes.
One of the principal remedies to this condition is worshipping Sri Ramachandra Murthy. Especially this is highly useful for curing Pitru Dosha. Arranging to perform the wedding of your daughter also known as Kanya Daan can significantly reverse the results of Shrapit dosha. Worshipping Lord Hanuman and performing Rudrabhishekam ceremony (holy bath to the image of Shivling or Shiva accompanied by the chanting of the corresponding mantra from the Yajurveda will be highly beneficial to avert the ill effects of this condition. Visiting Hanuman temple regularly can give confidence and peace of mind to combat the arising situations with ease.
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