अगर आपके जीवन में कोई परेशानी है, जैसे: बिगड़ा हुआ दांपत्य जीवन , घर के कलेश, पति या पत्नी का किसी और से सम्बन्ध, निसंतान माता पिता, दुश्मन, आदि, तो अभी सम्पर्क करे. +91-8602947815
Showing posts with label Striyon se sambandhit jyotish yog. Show all posts
Showing posts with label Striyon se sambandhit jyotish yog. Show all posts

Striyon se sambandhit jyotish yog स्त्रियों के महत्त्वपूर्ण योग

लग्न और चन्द्रमा, मेष, मिथुन, सिंह, तुला, धनु, कुम्भ, राशियों में स्थित हो तो स्त्री में पुरुषोचित गुण जैसे बलिष्ठ देह, मूंछों की रेखा, क्रूरता, कठोर स्व, आदि होते हैं. चरित्र की दृष्टि से इनकी प्रशंसा नहीं की जा सकती है. क्रोध और अहंकार भी इनकी प्रकृति में होता है

लग्न और चन्द्रमा के सम राशियों में जैसे वृषभ, कर्क, कण, वृश्चिक, मकर, मीन में हो तो स्त्रियोचित्त गुण पर्याप्त मात्रा में होते हैं. अच्छी देह, लज्जा, पति के प्रति निष्ठा, कुल मर्यादा के प्रति आस्था आदि प्रकृति में रहते हैं

स्त्री की कुंडली में सातवें स्थान में शनि हो और उस पर पाप ग्रहों की दृष्टि हो तो उसका विवाह नहीं होता

सप्तम स्थान का स्वामी शनि के साथ स्थित हो या शनि से देखा जा रहा हो, तो बड़ी उम्र में विवाह होता है

विधवा योग
जन्म कुंडली में सातवें स्थान में मंगल हो और उस पर पाप ग्रहों की दृष्टि हो तो विधवा योग बनता है. ऐसी लड़कियों का विवाह बड़ी उम्र में करने पर दोष कम हो जाता है
आयु भाव में या चंद्रमा से सातवें स्थान में या आठवें स्थान में कई पाप ग्रह हो तो विधवा योग होता है.
* 8 या 12 स्थान में मेष या वृश्चिक राशि हो और उसमें पाप ग्रह के साथ राहू हो तो विधवा योग होता है.
* लग्न और सातवें स्थान में पाप ग्रह होने से भी विधवा योग बनता है.
* चन्द्रमा से सातवें, आठवें और बारहवें स्थान में शनि, मंगल हो और उन पर भी पाप ग्रहों की दृष्टि हो तो विधवा योग बनता है. यह भी पढ़ें : पंचम भाव का सुख कैसे प्राप्त होता है..?
* क्षीण या नीच का चन्द्र 6 या 8 स्थान में हो तो भी विधवा योग बनता है.
* 6 और 8 स्थान का स्वामी एक-दूसरे के स्थान में हो और उन पर पाप ग्रहों की दृष्टि हो तो विधवा योग बनता है.
* सप्तम का स्वामी अष्टम में और अष्टम का स्वामी सप्तम में हो और इनमें से किसी को पाप ग्रह देख रहा हो तो विधवा योग बनता है

तलाक योग
* सूर्य का सातवें स्थान में होना तलाक की संभावनाएं बनाता है.
* सातवें स्थान में निर्बल ग्रहों के होने से और उन पर शुभ ग्रहों के होने से एक पति के तलाक देने पर दूसरे विवाह के योग बनते हैं.
* सातवें स्थान में शुभ और पाप दोनों ग्रह होने से पुनर्विवाह के योग बनते हैं

पति से संबंधित कुछ योग
* लग्न में अगर मेष, कर्क, तुला, मकर राशि हो तो पति परदेश में रहने वाला होता हो या घूमने-फिरने वाला होता है.
* सातवें स्थान में अगर बुध और शनि स्थित हो तो पति पुरुषत्वहीन होता है.
* सातवां स्थान खाली हो और उस पर किसी ग्रह की दृष्टि भी ना हो तो पति नीच प्रकृति का होता है

सुख योग
* बुध और शुक्र लग्न में हो तो कमनीय देह वाली, कला युक्त, बुद्धिमान और पति प्रिय होती है.
* लग्न में बुध और चन्द्र के होने से चतुर, गुणवान, सुखी और सौभाग्यवती होती है.
* लग्न में चन्द्र और शुक्र के होने से रूपवती, सुखी परन्तु ईर्ष्यालु होती है.
* केंद्र स्थान के बलवान होने पर या फिर चन्द्र, गुरु और बुध इनमें से कोई दो ग्रह के उच्च होने पर तथा लग्न में वृष, कर्क, कन्या, वृश्चिक, मकर, मीन हो तो समाज पूज्य स्त्री होती है.
* सातवें स्थान में शुभ ग्रहों के होने से गुणवती, पति का स्नेह प्राप्त करने वाली और सौभाग्यशाली स्त्री होती है

बंध्यापन के योग
* सूर्य और शनि के आठवें स्थान में होने से बंध्या होती है.
* आठवें स्थान में बुध के होने से एक बार संतान होकर बंद हो जाती है

संतति योग
* सातवें स्थान में चन्द्र या बुध हो तो कन्यायें अधिक होंगी.
* सातवें स्थान में राहू हो तो अधिक से अधिक 2 पुत्रियाँ होंगी.
* नवें स्थान में शुक्र होने से कन्या का योग बनता है.
* सातवें स्थान में मंगल हो और उस पर शनि की दृष्टि हो अथवा सातवे स्थान में शनि, मंगल इकट्ठे हों तो गर्भपात होता रहता है.

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...