सप्त मातृका Saptah Matrika | अष्ट मातृका Asta Matrika
सप्तमातृकाओं में सात देविओं की गिनती की जाती है जिनकी पूजा वृहद् रूप से भारत, विशेषकर दक्षिण में की जाती है। नेपाल में विशेषकर अष्टमातृकाओं की पूजा की जाती है जो आठ देवियों का समूह है। इनमे से हर देवी किसी न किसी देवता/देवी की शक्ति को प्रदर्शित करती है। इनमे से पहली छः मातृका तो पूरे विश्व में एक मत से मान्य हैं किन्तु अंतिम दो के बारे में अलग-अलग जगह कुछ शंशय एवं विरोध है। मातृका हिन्दू धर्म में माताओं का प्रसिद्ध समूह है जिनकी उत्पत्ति आदिशक्ति माँ पार्वती से हुई है।
ब्राह्मणी: ये परमपिता ब्रह्मा की शक्ति को प्रदर्शित करती हैं। ये पीत वर्ण की है तथा इनकी चार भुजाएँ हैं। ब्रह्मदेव की तरह इनका आसन कमल एवं वाहन हंस है।
वैष्णवी: ये भगवान विष्णु की शक्ति को प्रदर्शित करती हैं। इनकी भी चार भुजाएँ हैं जिनमे ये भगवान विष्णु की तरह शंख, चक्र, गदा एवं कमल धारण करती है। नारायण की भांति ये विविध आभूषणों से ऐश्वर्य का प्रदर्शन करती हैं तथा इनका वाहन भी गरुड़ है।
माहेश्वरी: महादेव की शक्ति को प्रदर्शित करने वाली चार भुजाओं वाली ये देवी नंदी पर विराजमान रहती हैं। इनका दूसरा नाम रुद्राणी भी है जो महरूद्र की शक्ति का परिचायक है। महादेव की भांति ये भी त्रिनेत्रधारी एवं त्रिशूलधारी हैं। इनके हाथों में त्रिशूल, डमरू, रुद्राक्षमाला एवं कपाल स्थित रहते हैं।
इन्द्राणी: ये देवराज इंद्र की शक्ति को प्रदर्शित करती हैं जिन्हे ऐन्द्री, महेन्द्री एवं वज्री भी कहा जाता है। इनकी चार भुजाएं एवं हजार नेत्र बताये गए हैं। इंद्र की भांति ही ये वज्र धारण करती हैं और ऐरावत पर विराजमान रहती हैं।
कौमारी: शिवपुत्र कार्तिकेय की शक्ति स्वरूपा ये देवी कुमारी, कार्तिकी और अम्बिका नाम से भी जानी जाती हैं। मोर पर सवार हो ये अपने चारो हाथों में परशु, भाला, धनुष एवं रजत मुद्रा धारण करती हैं। कभी-कभी इन्हे स्कन्द की भांति छः हाथों के साथ भी दिखाया जाता है।
वाराही: ये भगवान विष्णु के अवतार वाराह अथवा यमदेव की शक्ति को प्रदर्शित करती हैं। ये अपने चार हाथों में दंड, हल, खड्ग एवं पानपत्र धारण करती हैं तथा भैसें पर सवार रहती हैं। इन्हे भी अर्ध नारी एवं अर्ध वराह के रूप में दिखाया जाता है।
चामुण्डा: ये देवी चंडी का ही दूसरा रूप है और उन्ही की शक्तियों का प्रतिनिधित्व करती हैं। इन्हे चामुंडी या चर्चिका भी कहा जाता है। इनका रंग रूप महाकाली से बहुत मिलता जुलता है। नरमुंडों से घिरी कृष्ण वर्ण की ये देवी अपने चारों भुजाओं में डमरू, खड्ग, त्रिशूल एवं पानपत्र लिए रहती हैं। त्रिनेत्रधारी ये देवी सियार पर सवार शवों के बीच में अत्यंत भयानक प्रतीत होती हैं।
नारसिंहि: विष्णु अवतार नृसिंह की प्रतीक इन देवी का स्वरुप भी उनसे मिलता है। इन्हे नरसिंहिका एवं प्रत्यंगिरा भी कहा जाता है।
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