पक्षियों को दाना डालने पर आर्थिक मामलों में लाभ प्राप्त होता है। व्यवसाय करने वाले लोगों को विशेष रूप से प्रतिदिन पक्षियों को दाना अवश्य डालना चाहिए।
1. कुंडली में यदि राहु-केतु की महादशा हो तो पशु-पक्षियों को बाजरा डालना चाहिए।
2. पशु-पक्षियों को ज्वार खिलाने से शुक्र ग्रह की पीड़ा दूर होती है।
3. गेहूं खिलाने से सूर्य की पीड़ा दूर होती है।
4. चावल से मानसिक परेशानियां दूर होकर मानसिक शांति मिलती है।
5. मूंग की दाल से बुध ग्रह से होने वाली परेशानियों से निजात पाई जा सकती है।
6. चने की दाल से गुरु की कृपा प्राप्त होती है।
7. कौओं और कुत्तों को ग्रास देने से शनि, राहु और केतु प्रसन्न होते हैं।
8. गिलहरियों को बाजरा, बिस्किट, रोटी खिलाने से जीवन में आने वाली हर कठिनाई से आसानी मुक्ति मिल जाती है।
9. चींटियों के लिए 100 ग्राम शक्कर या बेसन के लढ्डु, पंजीरी खिलाने से स्वास्थ्य में लाभ तो होगा ही, मानसिक शांति का अहसास भी होगा
2. पशु-पक्षियों को ज्वार खिलाने से शुक्र ग्रह की पीड़ा दूर होती है।
3. गेहूं खिलाने से सूर्य की पीड़ा दूर होती है।
4. चावल से मानसिक परेशानियां दूर होकर मानसिक शांति मिलती है।
5. मूंग की दाल से बुध ग्रह से होने वाली परेशानियों से निजात पाई जा सकती है।
6. चने की दाल से गुरु की कृपा प्राप्त होती है।
7. कौओं और कुत्तों को ग्रास देने से शनि, राहु और केतु प्रसन्न होते हैं।
8. गिलहरियों को बाजरा, बिस्किट, रोटी खिलाने से जीवन में आने वाली हर कठिनाई से आसानी मुक्ति मिल जाती है।
9. चींटियों के लिए 100 ग्राम शक्कर या बेसन के लढ्डु, पंजीरी खिलाने से स्वास्थ्य में लाभ तो होगा ही, मानसिक शांति का अहसास भी होगा
10. कर्ज से परेशान से लोग चींटियों को शक्कर और आटे डालें।
11. जिन लोगों की पुरानी संपत्ति उनके हाथ से निकल गई है या कई मूल्यवान वस्तु खो गई है तो ऐसे लोग यदि प्रतिदिन मछली को आटे की गोलियां खिलाते हैं तो उन्हें लाभ प्राप्त होता है। मछलियों को आटे की गोलियां देने पर पुरानी संपत्ति पुन: प्राप्त होने के योग बनते हैं।
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ऐसा करने पर कर्ज की समाप्ति जल्दी हो जाती है।11. जिन लोगों की पुरानी संपत्ति उनके हाथ से निकल गई है या कई मूल्यवान वस्तु खो गई है तो ऐसे लोग यदि प्रतिदिन मछली को आटे की गोलियां खिलाते हैं तो उन्हें लाभ प्राप्त होता है। मछलियों को आटे की गोलियां देने पर पुरानी संपत्ति पुन: प्राप्त होने के योग बनते हैं।
12. यदि कोई व्यक्ति दुश्मनों से परेशान हैं और उनका भय हमेशा ही सताता रहता है तो कुत्ते को रोटी खिलाना चाहिए। नियमित रूप से जो कुत्ते को रोटी खिलाते हैं उन्हें दुश्मनों का भय नहीं सताता है।
13. यदि पितृदोष हो तो गाय को प्रतिदिन या अमावस्या को रोटी, गुड़, चारा आदि खिलाने से पितृदोष समाप्त हो जाता है
14. ग्रीष्मकाल में पशुओं और पक्षियों के लिए जल के पात्र अवश्य रखने चाहिए ।
15. सूर्य को अर्घ्य देने के लाभ
तांबे के पात्र में जल एक चुटकी रोली, चन्दन, हल्दी, अक्षत व लाल पुष्प डालकर गायत्री मन्त्र का उच्चारण करते हुये सूर्य देव को प्रतिदिन 12 लोटा जल दें। सूर्य को नियमित जल देने से प्रतिष्ठा, सरकारी पद, समाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है। हडडी रोग, ऑख रोग, ह्रदय रोग आदि में फायदा होता है।
15. सूर्य को अर्घ्य देने के लाभ
तांबे के पात्र में जल एक चुटकी रोली, चन्दन, हल्दी, अक्षत व लाल पुष्प डालकर गायत्री मन्त्र का उच्चारण करते हुये सूर्य देव को प्रतिदिन 12 लोटा जल दें। सूर्य को नियमित जल देने से प्रतिष्ठा, सरकारी पद, समाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है। हडडी रोग, ऑख रोग, ह्रदय रोग आदि में फायदा होता है।
16. चन्द्रमा को अर्घ्य देने के लाभ
चांदी के पात्र में थोड़ा सा दूध लेकर चन्द्र उदय होने के बाद संध्या काल में पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा को अर्घ्य दें। चन्द्रमा को अर्घ्य देने से मन में आ रहे समस्त बुरे विचार, दुर्भावना, असुरक्षा की भावना व माता के स्वास्थ्य को लाभ मिलता है। चन्द्रमा को अर्घ्य देने से चन्द्र की स्थिति मजबूत होती है। I
चांदी के पात्र में थोड़ा सा दूध लेकर चन्द्र उदय होने के बाद संध्या काल में पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा को अर्घ्य दें। चन्द्रमा को अर्घ्य देने से मन में आ रहे समस्त बुरे विचार, दुर्भावना, असुरक्षा की भावना व माता के स्वास्थ्य को लाभ मिलता है। चन्द्रमा को अर्घ्य देने से चन्द्र की स्थिति मजबूत होती है। I
17. व्यापर मै हानि रोकने के लिए गुरुवार के दिन एक नारियल सवा मीटर पीले वस्त्र में लपेटकर एक जोड़ा जनेऊ, सवा पाव मिष्ठान्न के साथ आस-पास के किसी भी विष्णु मंदिर में अपने संकल्प के साथ चढ़ा दें।
कुत्ता – कुत्ते की सेवा कर हम यम ही नहीं, राहु, केतु और शनि, तीनों ग्रहों को शान्त कर सकते हैं । पितृपक्ष में कुत्ते का ग्रास निकालने का तो शास्त्रों में नियम है ही । कहा गया है कि कुत्ते को भोजन कराने से अपमृत्यु जैसा भय भी टल जाता है । शनिवार के दिन शनि को प्रसन्न करने के लिए काले कुत्ते को रोटी खिलानी चाहिए । राहु केतु की शान्ति के लिए प्रत्येक दिन कुत्ते की सेवा कर सके तो बहुत ही अच्छा होगा । यदि न कर पायें तो मंगलवार व बुधवार अवश्य रोटी, ब्रेड या बिस्किट खिलाना चाहिए ।
मछली – मछली का स्थान हिंदू धर्म ग्रंथों में बहुत ऊॅंचा है । विष्णु के दस अवतारों में उन्होंने मत्स्य के रूप में भी अवतार लिया था । राहु केतु की शांति के लिए भी मछली को खाद्य पदार्थ डालना चाहिए । राहु की महादशा प्रारम्भ
होने पर व्यक्ति का तुलादान कर आटा (गेंहूॅ का आटा गूॅंथकर) मछली को खिलाने से राहु की महादशा के क्रूर फलों का शमन होता है ।
चींटी – हमारे शास्त्रों में काली चींटी को नारायण का रूप माना गया है । पितृपक्ष में चींटी के हिस्से का भोजन अवश्य निकाला जाता है । एक छोटा सा उपाय है राहु, केतु, शनि की शान्ति के लिए – शुद्ध घी में आटे को गूॅथकर, शक्कर
मिलाकर कसार बनाऐं और चींटियों के बिलों पर डालें या कसार को सूखे नारियल (गोला) में भरकर शनिवार प्रातः जंगल में पीपल, बरगद, पिलखन या शमीं वृक्ष की जड़ में दबायें, पूरा नारियल जमीन में दबा रहे, केवल मुॅंह खुला हो, जहॉं कसार भरा है । यह प्रयोग ग्रीष्म या वर्षा ऋतु में करें, क्रूर ग्रहों की शक्तियॉं शान्त होंगीं ।
पक्षी – उक्त जीवों के अतिरिक्त पक्षियों जैसे कौआ, तोता, कबूतर आदि को भी दाना डालने को शास्त्रों में कहा गया है ।
कौआ – पितृपक्ष में गाय, कुत्ता, चींटी के अतिरिक्त कौए को भी ग्रास निकालने का नियम है । कौए को नियमित भोजन कराने से मंगल, राहु, शनि जैसे क्रूर ग्रहों का युति जनित फलों का शमन होता है ।
तोते को शुक्र एवं बुध ग्रह का द्योतक माना गया है । तोते को पिंजरे में बंद करने से बुघ एवं शुक्र ग्रह खराब होते हैं । संतान पर कष्ट आता है । जिन परिवारों में संतान होने मे कठिनाई आती हैं, उन्हें तोते को कदापि कैद नहीं
करना चाहिए ।
कबूतर को देव स्थान या अरण्य में मुक्त करने से बृहस्पति अच्छा फल देते हैं । जिनका बृहस्पति अस्त हो, उन्हें भी बृहस्पति को जागृत करने के लिए कबूतर को दाना डालना चाहिए ।
मछली – मछली का स्थान हिंदू धर्म ग्रंथों में बहुत ऊॅंचा है । विष्णु के दस अवतारों में उन्होंने मत्स्य के रूप में भी अवतार लिया था । राहु केतु की शांति के लिए भी मछली को खाद्य पदार्थ डालना चाहिए । राहु की महादशा प्रारम्भ
होने पर व्यक्ति का तुलादान कर आटा (गेंहूॅ का आटा गूॅंथकर) मछली को खिलाने से राहु की महादशा के क्रूर फलों का शमन होता है ।
चींटी – हमारे शास्त्रों में काली चींटी को नारायण का रूप माना गया है । पितृपक्ष में चींटी के हिस्से का भोजन अवश्य निकाला जाता है । एक छोटा सा उपाय है राहु, केतु, शनि की शान्ति के लिए – शुद्ध घी में आटे को गूॅथकर, शक्कर
मिलाकर कसार बनाऐं और चींटियों के बिलों पर डालें या कसार को सूखे नारियल (गोला) में भरकर शनिवार प्रातः जंगल में पीपल, बरगद, पिलखन या शमीं वृक्ष की जड़ में दबायें, पूरा नारियल जमीन में दबा रहे, केवल मुॅंह खुला हो, जहॉं कसार भरा है । यह प्रयोग ग्रीष्म या वर्षा ऋतु में करें, क्रूर ग्रहों की शक्तियॉं शान्त होंगीं ।
पक्षी – उक्त जीवों के अतिरिक्त पक्षियों जैसे कौआ, तोता, कबूतर आदि को भी दाना डालने को शास्त्रों में कहा गया है ।
कौआ – पितृपक्ष में गाय, कुत्ता, चींटी के अतिरिक्त कौए को भी ग्रास निकालने का नियम है । कौए को नियमित भोजन कराने से मंगल, राहु, शनि जैसे क्रूर ग्रहों का युति जनित फलों का शमन होता है ।
तोते को शुक्र एवं बुध ग्रह का द्योतक माना गया है । तोते को पिंजरे में बंद करने से बुघ एवं शुक्र ग्रह खराब होते हैं । संतान पर कष्ट आता है । जिन परिवारों में संतान होने मे कठिनाई आती हैं, उन्हें तोते को कदापि कैद नहीं
करना चाहिए ।
कबूतर को देव स्थान या अरण्य में मुक्त करने से बृहस्पति अच्छा फल देते हैं । जिनका बृहस्पति अस्त हो, उन्हें भी बृहस्पति को जागृत करने के लिए कबूतर को दाना डालना चाहिए ।
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