उज्जैन में विराजित अष्ट भैरव :-
स्कंद पुराण की मान्यता अनुसार उज्जैन में अष्ट भैरव कई स्थानों पर विराजमान है।
* भैरवगढ़ में काल भैरव,
* दंडपाणी भैरव
* रामघाट पर आनंद भैरव,
* ओखलेश्वर श्मशान में विक्रांत भैरव,
* चक्रतीर्थ श्मशान में बम-बटुक भैरव,
* गढ़कालिका के समीप काला-गौरा भैरव,
* कालिदास उद्यान में चक्रपाणी भैरव,
* सिंहपुरी में आताल-पाताल भैरव |
कालिका और भैरव भोग : माता कालिका और भगवान भैरवनाथ को लगभग एक जैसा ही भोग लगता है। हलुआ, पूरी और मदिरा उनके प्रिय भोग हैं। किसी अमावस्या के दिन काली या भैरव मंदिर में जाकर उनकी प्रिय वस्तुएं अर्पित करें। इसके अलावा इमरती, जलेबी और 5 तरह की मिठाइयां भी अर्पित की जाती हैं।
10 महाविद्याओं में माता कालिका का प्रथम स्थान है। गूगल से धूप दीप देकर, नीले फूल चढ़ाकर काली माता को काली चुनरी अर्पित करें और फिर काजल, उड़द, नारियल और पांच फल चढ़ाएं। कुछ लोग उनके समक्ष मदिरा अर्पित करते हैं। इसी तरह कालभैरव के मंदिर में मदिरा अर्पित की जाती है।
शत्रुओं को पररास्त करने के लिए-प्रातःकाल सात बार हनुमान जी को लडडू का भोग लगायें और पांच लौंग पूजा स्थान में देशी कपूर के साथ जलायें, फिर भस्म से तिलक करके घर से बाहर जायें। ऐसा करने पर आप शत्रुओं को परास्त करने में सक्षम होंगे।
भस्म के तिलक का प्रयोग
अगर आप किसी विशेष कार्य से बाहर जाना चाहते हैं तो सबसे पहले चार लौंग जलाकर उसकी भस्म का तिलक लगाएं। ऐसा करके जाने से कार्य में सिद्धि मिलती है। इसके अलावा किसी को अपने प्रभाव में लाने हेतु-बुधवार को पेड़ के नीचे एक लौंग दबायें। ऐसा 7 दिन तक नियमित 24 घण्टें में एक बार उस पर पेशाब करें और फिर आठवें दिन लौंग को निकालकर चूर्ण बनाकर इच्छित व्यक्ति को खिलाने से जातक आपके प्रभाव में आ जाता है।
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