ज्योतिषी सलाह - विदेश में आप का निवास हो गया या नहीं?
जातक विदेश तो चला जाता है और अगर वहां रहने की इच्छा प्रकट करता है तो उसके लिए जातक की कुंडली में हमें क्या-क्या देखना होता है ।जब हम विदेश के बारे में जानकारी लेते हैं तो विदेश यात्रा के लिए हमें जो भाव देखना है वह है तीसरा भाव छोटी यात्रा के लिए, नवा भाव लंबी यात्रा के लिए, बारवा भाव में सेटल होने के लिए, तथा चौथे भाव पर राहु आदि का प्रभाव देखना होता है। तभी हमारी विदेश यात्रा होती है विदेश यात्रा के लिए जो कारण ग्रहण है चंद्रमा बृहस्पति शुक्र शनि और राहु का प्रभाव पर चौथे भाव और उनके स्वामी ग्रहो से होता है तब विदेश यात्रा होती है ।अब यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि अगर विदेश यात्रा कर ली है तो वाह निवास हो सकेंगे या नहीं? इसके लिए विदेश निवास का पता करने के लिए कुंडली का नवा भाव, सातवें भाव के स्वामी का प्रभाव बारवा भाव के स्वामी का प्रभाव ,चौथे भाव पर हो या चौथे भाव से उसका संबंध हो तो जातक विदेश में निवास करता है इन सब पर राहु और शुक्र का प्रभाव भी देखा जाता है ।इस तरह जातक की कुंडली को देखकर आप जान सकते हैं कि जातक विदेश में सेटल हो सकता है या नहीं उसके साथ साथ में हम सातवां भाव , तीसरे भाव, चौथा भाव और इन सब के स्वामियों की जब दशा अंतर्दशा प्रत्यंतर दशा चलती है और वह केंद्र में त्रिकोण में होंगे तब जातक विदेश यात्रा करके वहां पर निवास करता है। इसमें कारक ग्रह की दशा का विचार करते हुए कारक ग्रह में चंद्रमा बृहस्पति शुक्र शनि और राहु यात्रा कारक ग्रह का संबंध और उनके उनके दशा अंतर्दशा चलती है तब जातक विदेश मैं निवास करता ह।
ज्योतिषी सलाह :कैसे जाने कि आप किस उद्देश्य विदेश जाएंगे? Astrologer Advice: How do yo
इसके लिए कुंडली में हम अगर सूर्य ग्रह को देख,अगर सूर्य ग्रह उच्च का स्वराशि का होगा तो मान सम्मान के लिए विदेश जाता है । अगर सूर्य नीच राशि का हो शत्रु राशि का हो और उस पर खराब ग्रहों का प्रभाव होगा तो जातक को विदेश में मान सम्मान नहीं मिलता है उसे दंड वगैरा भी मिल सकता है। इसी प्रकार आप चंद्र ग्रह, अगर कुंडली में उच्च का हो स्वराशि का होता है तो उसको विदेश में आने जाने में परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है परंतु यही चंद्र ग्रह नीच राशि में हो तो जातक को विदेश जाने में परेशानी का अनुभव हो सकता है और उसका विदेश में मन नहीं लगता है। उच्च के चंद्रमा से हम लंबी दूरी की यात्राओं की जानकारी प्राप्त होती है नीच का चंद्रमा हो तो आपको आस-पास की यात्रा ही करना चाहिए ।अगर वह आपको वहां सेटल होना है बसना हो तो आप का मंगल उच्च का होना चाहिए स्वराशि का होना चाहिए तथा वह मित्र ग्रह के साथ में होना चाहिए तब जाकर जातक विदेश में बस सकता है और विदेश से वापस भी आ सकता है ।इस तरह हम देख रहे हैं कि बुध ग्रह अगर कुंडली में उच्च का स्वराशि का है , मित्र राशि में है तो जातक व्यापार के लिए विदेश आता जाता है। इस तरह हम गुरु अगर कुंडली में उच्च का होगा मित्र राशि में है तो जातक शांति और परोपकार के लिए विदेश आता जाता है ।चंद्र शुक्र की युति में जातक विदेश घूमने फिरने के लिए जाता है ।अगर आपको टेक्निकल फील्ड में क्षेत्र में काम करना है ,पढ़ाई करना है तो इसके लिए शनि राहु केतु यह तकनीकी ग्रह है यह तकनीकी क्षेत्र में आपको काम कराने के लिए पढ़ाई कराने के लिए विदेश ले जाते हैं ।इस तरह हम देख रहे हैं ऊपर बताए हुए हैं ग्रहों का यात्रा भावो से संबंध हो, जो की ,तीसरा, नवा भाव ,बारवा भाव ,सातवा भाव तथा उनके स्वामी ग्रहों से हो और वह ऊपर बताए गयै , क्षेत्र में जातक के इन ग्रहों की दशा अंतर्दशा प्रत्यंतर दशा में यात्रा करता है और अपना कार्य क्षेत्र में विशेष योगदान प्रदान करता है। इस तरह हम देख रहे हैं कि जातक की कुंडली को देखकर हम यह पता लगा सकते हैं कि जातक का उद्देश्य क्या रहता है। विदेश जाने का कोई इन ग्रहो ,इन भावो तथा उनके आपसी संबंध चौथे भाव से बनता है तो जातक विदेश जाता है और अपने कार्य क्षेत्र में कार्य करता है
ज्योतिषी सलाह : विदेश यात्रा, कब, कैसे,और किसलिए : Astrologer advice: Foreign travel, when, how, and for what:
विदेश यात्रा के लिए हमें कुंडली का चौथा भाव देखना होगा ,चौथे भाव से छठे भाव, आठवां भाव. बारवा भाव देखना होगा| क्योंकि चौथे भाव से यह भाव त्रिक भाव है इसका मतलब यह हुआ कि इस भाव हानि अतः चौथे भाव से छठे भाव, नवा भाव होता है| चौथे भाव से आठवां भाव 11 भाव| चौथे भाव से बारवा भाव तीसरा भाव होता है | तो हमें इन भावो का विश्लेषण करना होगा | इसके अलावा हमें दूसरा भाग, पाचवा भाव ,सातवा भाव और दशम भाव यात्रा के लिए उत्तरदाई होता है | विदेश यात्रा के लिए मूल भाव जो होता है वह बारवा भाव है | अब हम बात करेंगे तीसरा भाव, यह भाव छोटी यात्राओं के लिए है ,इसके साथ हमे मंगल ग्रह को भी देखना है| नवम भाव जो कि लम्बी यात्राओं के लिए है तथा कारक गुरु को भी देखना होगा | सप्तम भाव से व्यापार आदि की यात्राओं के बारे में देखा जाता है | बारवा भाव भी लंबी दूरी की यात्राओं के लिए देखा जाता है तथा इसका कारक शनि को भी देखना होता है | द्वितीय भाव | से पारिवारिक यात्राओं के लिए देखा जाता है | छठा भाव से स्वास्थ्य और रोग के इलाज के लिए | सबसे प्रमुख लग्न भाव है यह भाव मजबूत स्थिति में होना चाहिए जिससे कि जातक स्वस्थ रहेगा और इस प्रकार की यात्राएं अच्छे से कर सकेगा | ऊपर बताए गए भावो का विश्लेषण करके हम हमारी विदेश यात्राओं का आनंद ले सकते हैं | अगर ऊपर बताए गए भाव पर पापी ग्रहों का प्रभाव रहेगा या वह ग्रह अस्त होंगे ,कमजोर होंगे जो हमें यात्राओं में मुसीबत का सामना करना पड़ सकता हैै| अतः इन कुंडली का ज्योतिषी विश्लेषण आवश्यक है| अब हम दशम भाव के बारे में बताना चाहेंगे अगर हमें के लिए कैरियर या आजीविका के लिए विदेश जाना है तो इस भाव का बलवान होना जरूरी है| अब हम चर राशियों के बारे में विचार करेंगे चर राशियां है ,कर्क मेष तुला मकर यह राशिया विदेश यात्रा का निर्माण करती हैै| राशियों जल तत्व की राशियां कर्क ,वृश्चिक ,मीन राशिया ,अगर लग्नेश व नवमेश व द्वादशेश हो तो जातक को विदेश यात्रा कर सकता हैै| शुभ ग्रहों की दृष्टियां विदेश यात्रा के पर भाव पर हो तो यात्रा सुखद होती है ,यह ग्रह है गुरु शुक्र और चंद्रमा है | राहु ग्रह विशेष परिस्थितियों में यात्रा करवाता है विदेश यात्रा कब होगी इसकी जानकारी हमें ऊपर बताए गए भाव की और ग्रहों की दशा अंतर्दशा में होती है | अतः योग्य ज्योतिषी परामर्श प्राप्त करके हम हमारी कुंडली का विश्लेषण करवा कर विदेश यात्रा के बारे में जान सकते हैं |
कुंडली से जाने :विदेश यात्रा से लाभ या हानि :कुंडली देखकर जातक जान सकता है की विदेश यात्रा से लाभ या हानि होगी।
कुंडली में सूर्य, चन्द्र,मंगल, बुध, गुरु और राहु केतु ग्रह ये बताते हैं कि आप किस उद्देश्य से विदेश जायगे ।
सूर्य :उच्च का सूर्य कुंडली मे हो तो मान सम्मान विदेश में दिलाता है अगर सूर्य नीच है , सूर्य खराब है तो जातक दंड विदेश मे मिलता है।
चन्द्र बलिष्ट ,उच्च का हो , तो जातक आसानी से विदेश जाता है.
चन्द्र नीच है , ख़राब है तो जातक को विदेश जाने में तो परेशानी का कारण बनता है .
विदेश में मन नहीं लगता है।
उच्च चन्द्र के कारण जातक लम्बी विदेश यात्राऐ करता है।
खराब ,नीच चन्द्र वाले को नदी, समुद्र के पास यात्रा करनी चाहिए। कुंडली मंगल उच्च का ,अच्छा हो ,तो जातक विदेश जाकर वहाँ बसता है,
और जातक स्वदेश भी आता है।
-राशि/ लगन : मेष, सिंह, वृश्चिक राशि/ लगन वाले जातक विदेश आते जाते रहते हैं।
बुध :जातक व्यापार के लिए विदेश जाता है.
बुध तीसरे भाव, द्वादश भाव या चन्द्र से सम्बन्ध बनाये तो विदेश मे हानि के योग बन सकते है।
गुरु :उच्च शिक्षा, परोपकार या शांति के लिए विदेश जाता है।
चन्द्र शुक्र युति हो तो अवश्य ही विदेश घूमने जाता है।
तकनीकि क्षेत्र : शनि राहु केतु तकनीकि क्षेत्र में काम के विदेश लिए विदेश जाता है।
विदेश यात्रा:फॉरेन ट्रेवल :
विदेश यात्रा और विदेश निवास:
विदेश यात्रा
विदेश यात्रा के लिए कुंडली का नवम भाव ,दसवा भाव ,या नवम लार्ड का प्रभाव या बारवह लार्ड का प्रभाव या सातवा लार्ड का प्रभाव,चौथा भाव पर और तीसरे भाव पर रहेगा तो विदेश दौरा होगा।
विदेश निवास :
विदेश निवास का पता हम कुंडली के सातवा भाव ,बारवा भाव या सातवा लार्ड का प्रभाव या बारवा लार्ड प्रभाव या नौवा लार्ड प्रभाव का चौथा भाव पर रहने पर जातक विदेश निवास करता है। इन सब पर राहु और शुक्र का प्रभाव भी रहता है।
विदेश यात्रा के लिए कारक ग्रह: चंद्रमा, बृहस्पति, शुक्र , शनि एवं राहु हैं।