मेरा मकान बनेगा या नहीं ? मैं जमीन खरीद पाउंगा या नहीं? मकान या जमीन मिलेगा तो कब तक मिलेगा? या जिंदगी भर किराए के मकान में गुजारा करना पड़ेगा। अमूमन प्रत्येक व्यक्ति के मन में ये सवाल उठते हैं और उनका उत्तर तलाशने के लिए वह अपनी जन्म कुंडली दिखाता है। कई लोगों की किस्मत में एक से अधिक मकान, जमीन होते हैं, लेकिन कई लोग एक मकान भी नहीं बना पाते। इसका उत्तर जन्म कुंडली से मिल सकता है।
उत्तर जन्म कुंडली से मिल सकता है।
जन्मांग चक्र में चतुर्थ भाव सुख स्थान से वाहन और भूमि, भवन, संपत्ति संबंधी योगों के बारे में विचार किया जाता है। यदि चतुर्थ भाव में शुभ राशि में शुभ ग्रह अपने स्वामी की राशि में स्वामी की दृष्टि में हो। चतुर्थेश भी शुभ स्थान में हो तो कामना के अनुरूप फल की प्राप्ति होती है। मकान, भूमि, संपत्ति का कारक ग्रह मंगल होता है। अतः कुंडली में चतुर्थ भाव, चतुर्थेश का शुभ ग्रहों से प्रभावित होना आवश्यक है।
आइये जानते हैं कुछ सामान्य नियम जिनसे संपत्ति का विचार किया जा सकता है:
1. चतुर्थेश केंद्र में गुरु के साथ हो तो जमीन, मकान के शुभ योग बनते हैं। व्यक्ति एक से अधिक अचल संपत्तियों का मालिक बनता है।
2. कुंडली में चतुर्थेश एवं मंगल उच्च, स्वगृही, मूल त्रिकोणस्थ में शुभ स्थिति में हो तो मनचाही संपत्ति प्राप्त होती है।
3. चतुर्थ भाव का स्वामी दशम भाव में और दशम भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में तथा मंगल बलवान हो तो भू-संपत्ति का योग बनता है।
सूर्य चतुर्थ भाव
4. मजबूत सूर्य चतुर्थ भाव में उच्च राशि का होकर बैठा हो तो व्यक्ति 22 से 24 वर्ष की आयु के मध्य मकान या खेती की जमीन का स्वामी बनता है। यदि सूर्य मेष राशि में हो तो 44 से 48 वर्ष की आयु में व्यक्ति अपना मकान बनाता है।
5. चतुर्थेश या मंगल नीच राशि, पाप युक्त हो तो व्यक्ति अपनी संपत्ति का स्वयं ही नष्ट कर देता है।
6. चतुर्थेश एवं नवमेश लाभ भाव में हो और शुभ ग्रहों की दृष्टि में हो तो मकान, जमीन का स्वामी बनता है।
जन्मांग चक्र में चतुर्थ भाव सुख स्थान से वाहन और भूमि, भवन, संपत्ति संबंधी योगों के बारे में विचार किया जाता है। यदि चतुर्थ भाव में शुभ राशि में शुभ ग्रह अपने स्वामी की राशि में स्वामी की दृष्टि में हो। चतुर्थेश भी शुभ स्थान में हो तो कामना के अनुरूप फल की प्राप्ति होती है। मकान, भूमि, संपत्ति का कारक ग्रह मंगल होता है। अतः कुंडली में चतुर्थ भाव, चतुर्थेश का शुभ ग्रहों से प्रभावित होना आवश्यक है।
आइये जानते हैं कुछ सामान्य नियम जिनसे संपत्ति का विचार किया जा सकता है:
1. चतुर्थेश केंद्र में गुरु के साथ हो तो जमीन, मकान के शुभ योग बनते हैं। व्यक्ति एक से अधिक अचल संपत्तियों का मालिक बनता है।
2. कुंडली में चतुर्थेश एवं मंगल उच्च, स्वगृही, मूल त्रिकोणस्थ में शुभ स्थिति में हो तो मनचाही संपत्ति प्राप्त होती है।
3. चतुर्थ भाव का स्वामी दशम भाव में और दशम भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में तथा मंगल बलवान हो तो भू-संपत्ति का योग बनता है।
सूर्य चतुर्थ भाव
4. मजबूत सूर्य चतुर्थ भाव में उच्च राशि का होकर बैठा हो तो व्यक्ति 22 से 24 वर्ष की आयु के मध्य मकान या खेती की जमीन का स्वामी बनता है। यदि सूर्य मेष राशि में हो तो 44 से 48 वर्ष की आयु में व्यक्ति अपना मकान बनाता है।
5. चतुर्थेश या मंगल नीच राशि, पाप युक्त हो तो व्यक्ति अपनी संपत्ति का स्वयं ही नष्ट कर देता है।
6. चतुर्थेश एवं नवमेश लाभ भाव में हो और शुभ ग्रहों की दृष्टि में हो तो मकान, जमीन का स्वामी बनता है।
ये उपाय भी कर सकते हैं
चूंकि भूमि, भवन, संपत्ति का कारक ग्रह मंगल होता है इसलिए कुंडली में मंगल की शुभ स्थिति होना आवश्यक है। यदि मंगल अशुभ है तो व्यक्ति लाख प्रयासों के बावजूद अपना मकान नहीं बना पाता। मंगल की शुभता के लिए कुछ उपाय बताए जा रहे हैं, जिन्हें अपनाकर आप भी मंगल को प्रसन्न कर सकते हैं।
1. मंगलवार के दिन अष्टधातु में बने मंगल यंत्र की अपने पूजा स्थान में स्थापना करना चाहिए। इसकी नियमित पूजा करना चाहिए। मंगलवार को लाल चंदन, लाल पुष्प से यंत्र की पूजा करें और स्वयं केसर का तिलक लगाएं।
2. मंगलवार को शिवलिंग पर मसूर की दाल अर्पित करें। शनिवार को किसी भूखे को यथाशक्ति इमरती खिलाएं।
3. मूंगे के गणपति गले में पहने जा सकते हैं। या पूजा स्थान में मूंगे के गणपति की स्थापना करें।
4. नवग्रह स्तोत्र का नियमित पाठ करें।
5. मंगलवार को मंगलस्तोत्र का पाठ करें।
वाहन सुख का विचार भी चतुर्थ भाव से
1. चतुर्थ भाव से ही वाहन सुख का भी विचार किया जाता है। आप कितने और किस प्रकार के वाहनों के स्वामी बनेंगे, यह चतुर्थ भाव के ग्रह योग देखकर पता लगाया जा सकता है।
2.लग्नेश, चतुर्थेश तथा नवमेश के परस्पर केंद्र में रहने से वाहन सुख की प्राप्ति होती है।
3.लग्नेश तथा चतुर्थेश एक साथ लग्न, चतुर्थ या नवम भाव में हो तो इन्हीं ग्रहों की दशा या अंतर्दशा में वाहन सुख मिलता है।
पंचमेश चतुर्थ भाव में हो
4.चतुर्थेश पंचम भाव में तथा पंचमेश चतुर्थ भाव में हो तो वाहन मिलता है।
5.शुक्र से सप्तम भाव में चंद्रमा होने पर भी उत्तम वाहन सुख मिलता है। एक से अधिक वाहनों का स्वामी बनता है।
6.चतुर्थेश, शनि, गुरु व शुक्र के साथ नवम भाव में हो तथा नवमेश केंद्र या त्रिकोण में हो तो अनेक वाहनों का सुख मिलता है।
स्वयं की भूमि अथवा मकान बनाने के लिए चतुर्थ भाव का बली होना आवश्यक होता है, तभी व्यक्ति घर बना पाता है.
मंगल को भूमि का और चतुर्थ भाव का कारक माना जाता है, इसलिए अपना मकान बनाने के लिए मंगल की स्थिति कुंडली में शुभ तथा बली होनी चाहिए.
मंगल का संबंध जब जन्म कुंडली में चतुर्थ भाव से बनता है तब व्यक्ति अपने जीवन में कभी ना कभी खुद की प्रॉपर्टी अवश्य बनाता है.
मंगल यदि अकेला चतुर्थ भाव में स्थित हो तब अपनी प्रॉपर्टी होते हुए भी व्यक्ति को उससे कलह ही प्राप्त होते हैं अथवा प्रॉपर्टी को लेकर कोई ना कोई विवाद बना रहता है.
मंगल को भूमि तो शनि को निर्माण माना गया है. इसलिए जब भी दशा/अन्तर्दशा में मंगल व शनि का संबंध चतुर्थ/चतुर्थेश से बनता है और कुंडली में मकान बनने के योग मौजूद होते हैं तब व्यक्ति अपना घर बनाता है.
चतुर्थ भाव/चतुर्थेश पर शुभ ग्रहों का प्रभाव घर का सुख देता है.
चतुर्थ भाव/चतुर्थेश पर पाप व अशुभ ग्रहो का प्रभाव घर के सुख में कमी देता है और व्यक्ति अपना घर नही बना पाता है.
चतुर्थ भाव का संबंध एकादश से बनने पर व्यक्ति के एक से अधिक मकान हो सकते हैं. एकादशेश यदि चतुर्थ में स्थित हो तो इस भाव की वृद्धि करता है और एक से अधिक मकान होते हैं.
यदि चतुर्थेश, एकादश भाव में स्थित हो तब व्यक्ति की आजीविका का संबंध भूमि से बनता है.
कुंडली में यदि चतुर्थ का संबंध अष्टम से बन रहा हो तब संपत्ति मिलने में अड़चने हो सकती हैं.
जन्म कुंडली में यदि बृहस्पति का संबंध अष्टम भाव से बन रहा हो तब पैतृक संपत्ति मिलने के योग बनते हैं.
चतुर्थ, अष्टम व एकादश का संबंध बनने पर व्यक्ति जीवन में अपनी संपत्ति अवश्य बनाता है और हो सकता है कि वह अपने मित्रों के सहयोग से मकान बनाएं.
चतुर्थ का संबंध बारहवें से बन रहा हो तब व्यक्ति घर से दूर जाकर अपना मकान बना सकता है या विदेश में अपना घर बना सकता है.
जो योग जन्म कुंडली में दिखते हैं वही योग बली अवस्था में नवांश में भी मौजूद होने चाहिए.
भूमि से संबंधित सभी योग चतुर्थांश कुंडली में भी मिलने आवश्यक हैं.
चतुर्थांश कुंडली का लग्न/लग्नेश, चतुर्थ भाव/चतुर्थेश व मंगल की स्थिति का आंकलन करना चाहिए. यदि यह सब बली हैं तब व्यक्ति मकान बनाने में सफल रहता है.
मकान अथवा भूमि से संबंधित सभी योगो का आंकलन जन्म कुंडली, नवांश कुंडली व चतुर्थांश कुंडली में भी देखा जाता है. यदि तीनों में ही बली योग हैं तब बिना किसी के रुकावटों के घर बन जाता है. जितने बली योग होगें उतना अच्छा घर और योग जितने कमजोर होते जाएंगे, घर बनाने में उतनी ही अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.
जन्म कुंडली में यदि चतुर्थ भाव पर अशुभ शनि का प्रभाव आ रहा हो तब व्यक्ति घर के सुख से वंचित रह सकता है. उसका अपना घर होते भी उसमें नही रह पाएगा अथवा जीवन में एक स्थान पर टिक कर नही रह पाएगा. बहुत ज्यादा घर बदल सकता है.
चतुर्थ भाव का संबंध छठे भाव से बन रहा हो तब व्यक्ति को जमीन से संबंधित कोर्ट-केस आदि का सामना भी करना पड़ सकता है.
वर्तमान समय में चतुर्थ भाव का संबंध छठे भाव से बनने पर व्यक्ति बैंक से लोन लेकर या किसी अन्य स्थान से लोन लेकर घर बनाता है.
चतुर्थ भाव का संबंध यदि दूसरे भाव से बन रहा हो तब व्यक्ति को अपनी माता की ओर से भूमि लाभ होता है.
चतुर्थ का संबंध नवम से बन रहा हो तब व्यक्ति को अपने पिता से भूमि लाभ हो सकता है.
अपना घर खरीदने या बनाने के लिए चन्द्र और मंगल कुंडली में मजबूत होने चाहिए।
* जिनकी कुंडली में चौथा भाव बली हो उसका घर अवश्य बनेगा। जितने बली ग्रह चौथे भाव पर होंगे उतने ही घर जातक के होंगे लेकिन अगर राहु का प्रभाव चौथे भाव पर हो तो वह अपने घर का सुख नहीं ले सकेगा। हो सकता है घर तो आलिशान हो लेकिन खुद सरकारी मकान में रहे।
* शुक्र जितना अच्छा होगा घर उतना ही आलिशान होगा, भव्य होगा।
* मंगल अगर नीच का हो साथ ही राहु से पीड़ित हो तो घर सुन्दर नहीं होगा और घर में रहकर सुख नहीं मिलेगा।
* चन्द्र खराब हो तो घर बनाने में परेशानी आती है और माँ-बाप का सहयोग नहीं मिलताI
उपाय :-
चांदी का चोकोर टुकड़ा हमेशा अपने पूजा स्थान में रखें।
सोना चांदी और तांबा इन तीन धातुओं की अंगूठी अनामिका में पहनें।
11 मंगलवार गरीबों को मिठाई बाटें।
राहु का प्रभाव हो तो घर से कूड़ा करकट बाहर निकालें।
खराब इलेक्ट्रॉनिक्स का सामान घर से बाहर करें और मां दुर्गा या भैरव की आराधना करें।
वाहन के लिए कौन से ग्रह योग जरूरी है जानिए अगले पेज पर
राहु इंसान को चाहकर भी वाहन नहीं खरीदने देता।
शुक्र और चौथा भाव कमजोर हो तो सामर्थ्य होने के बाद भी इंसान वाहन नहीं खरीद सकता।
राहु-शनि-मंगल चौथे भाव को प्रभावित करें तो गाड़ी का इंजन जल्दी-जल्दी खराब होता है अर्थात गाड़ी अधिकतर समय गैराज में ही रहती है चन्द्रमा खराब हो तो ड्राइविंग सही नहीं होती और दुर्घटनाएं हो जाती है।
उपाय :- दोषी ग्रह, नीच ग्रह, मारकेश के रंग की गाड़ी कदापि न लें। मंगल शनि खराब हों तो काली, लाल व नीले रंग की गाड़ी न खरीदें। गाड़ी का नंबर जन्मांक के विपरीत न लें। लोहे का दान करें।
नोट : यदि आप अपने जीवन में किसी कारण से परेशान चल रहे हो तो ज्योतिषी सलाह लेने के लिए अभी ज्योतिष गोविंद जी को व्हाट्सएप्प पर या कॉल करके अपनी समस्या का निवारण कीजिये ! +91- 8602947815 ( Paid Services )
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