विवाह विच्छेदन (तलाक) कारण और ज्योतिषीय उपाय
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार विवाह भंग अर्थात तलाक या विवाह विछेदन योग अर्थात सेपरेशन का परिणाम समुदाय अष्टकवर्ग में भावों द्वारा प्राप्त बिन्दु पर भी निर्भर करता है, इसके साथ-साथ भिन्नाय अष्टकवर्ग में द्वितेश पंचमेश, सप्तमेश, अष्टमेश, द्वादशेश द्वारा प्राप्त अंक, पंचवें, सातवें, आठवें व बारहवें भावों का बल, द्वितेश पंचमेश, सप्तमेश, अष्टमेश, द्वादशेश का इष्ट और कष्ट फल पर भी निर्भर करता है। परंतु सर्वाधिक रूप से इस बात पर निर्भर करता है के सप्तम भाव और सप्तम भाव का स्वामी किस पापी और क्रूर ग्रह से सर्वाधिक रूप से प्रताडि़त है। सप्तम भाव में सूर्य, राहू शनि व मंगल की उपस्थिती या सप्तमेश का नीच या वेधा स्थान में बैठकर पापी व क्रूर ग्रह से पीड़ित होना तलाक या सेपरेशन का कारण बनता है।
तलाक के ज्योतिषीय कारण: सातवें भाव में बैठे द्वादशेश से राहू की युति हो तो तलाक होता है। बारहवें भाव में बैठें सप्तमेश से राहु की युति हो तो तलाक होता है। पंचम भाव में बैठे द्वादशेश से राहू की युति हो तो तलाक होता है। पंचम भाव में बैठे सप्तमेश से राहू की युति हो तो तलाक होता है। सातवें भाव का स्वामी और बाहरवें भाव का स्वामी अगर दसवें भाव में युति करता हो तो में तलाक होता है। सातवें घर में पापी ग्रह हों व चंद्रमा व शुक्र पापी ग्रह से पीड़ित हो पति-पत्नी के तलाक लेने के योग बनते हैं। सप्तमेश व द्वादशेश छठे आठवें या बाहरवें भाव में हो और सातवें घर में पापी ग्रह हों तो तलाक के योग बनते है। सातवें घर में बैठे सूर्य पर शनि के साथ शत्रु की दृष्टि होने पर तलाक होता है।
ज्योतिषशास्त्र में जहां समस्याएं हैं तो साथ-साथ उनके शतप्रतिशत समाधान भी मौजूद हैं। दांपत्य कलह, सेपरेशन और तलाक से मुक्ति पाने का सबसे आसान और सरल समाधान है एकादश रुद्रावतार हनुमान जी। जैसे हनुमानजी ने भगवान राम और सीता माता का मिलन करवाया। उर्मिला व सीता के सुहाग की रक्षा हेतु उन्होंने अपने प्राणों तक के बारे में भी विचार नहीं किया। हनुमान जी ने राम जी की पत्नी सीता हेतु समुद्र तक लांघ लिया जैसे हनुमान जी के कारण ही उत्तर रामायण के अनुसार लव कुश राम सीता पूरा परिवार एकत्रित हो जाता है ठीक उसी तरह शनि, मंगल, राहु और सूर्य की सप्तम भाव में युति के पश्चात् भी हनुमान जी की शरण जाकर दांपत्य जीवन सामान्यतः सुखद सिद्ध हो सकता है। आइए जानते हैं कैसे। तलाक से मुक्ति पाने हेतु ज्योतिषीय उपाय
- घर की उत्तर दिशा में हनुमान जी का वीर रूपक चित्र लगाएं।
- दक्षिमुखी हनुमान मंदिर से प्राप्त सिंदूर जीवनसाथी के चित्र पर लगाएं।
- राहू के कारण तलाक की स्थिति में सात शनिवार शाम के समय दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर में 7 नारियल चढ़ाएं।
- राहू के कारण तलाक की स्थिति में सात शनिवार शाम के समय दक्षिणमुखी हनुमान जी की उल्टी सात परिक्रमा लगाएं।
- शनि के कारण तलाक की स्थिति में सात शनिवार हनुमान जी के चित्र पर गुड़ का भोग लगाकर काली गाय को खिलाएं।
- सूर्य के कारण तलाक की स्थिति में सात रविवार दिन के समय पूर्वमुखी हनुमान मंदिर में 7 कंधारी आनर चढ़ाकर किसी नव दंपति को भेंट करें।
- मंगल के कारण तलाक की स्थिति में सात मंगलवार तांबे के लोटे में गेहूं भरकर उस पर लाल चन्दन लगाकर लोटे समेत हनुमान मंदिर में चढ़ाएं।
- तलाक टालने हेतु सात मंगलवार 7 लौंग, 7 नींबू, 7 सुपारी, 7 जायफल, 7 मेलफल, 7 सीताफल 7 तांबे के त्रिकोण टुकड़े लाल कपड़े मेंं बांधकर हनुमान मंदिर में चढ़ाएं।
सूर्य के कारण तलाक की स्थिति में सात रविवार दिन के समय पूर्वमुखी हनुमान मंदिर में गुड़ की रोटी व टमाटर के साग का भोग लगाकर किसी वृद्ध दंपति को खिलाएं।
- शनि के कारण तलाक की स्थिति में सात शनिवार 7 जैतून, 7 अमरूद, 7 काले जामुन, 7 बेर, 7 बादाम, 7 नारियल, 7 काले द्राक्ष काले कपड़े में बांधकर हनुमान मंदिर में चढ़ाएं।
- तलाक की स्थिति को शत प्रतिशत समाप्त करने के लिए एक-एक दाना 12मुखी + 11मुखी + 10मुखी + गौरीशंकर + 8मुखी +7मुखी + 6मुखी रुद्राक्ष प्राण प्रतिष्ठित करवाकर पहनें।
तलाक - ज्योतिषीय कारण
कुंडली में ऎसे कौन से योग हैं जिनके आधार व्यक्ति का तलाक हो जाता है या किन्हीं कारणो से पति-पत्नी एक-दूसरे से अलग रहना आरंभ कर देते हैं.जन्म कुंडली में लग्नेश व चंद्रमा से सप्तम भाव के स्वामी ग्रह शुक्र ग्रह की स्थिति से प्रतिकूल स्थिति में स्थित हों.
कुंडली में चतुर्थ भाव का स्वामी छठे भाव में स्थित हो या छठे भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में हो तब यह अदालती तलाक दर्शाता है अर्थात पति-पत्नी का तलाक कोर्ट केस के माध्यम से होगा.
बारहवें भाव के स्वामी की चतुर्थ भाव के स्वामी से युति हो रही हो और चतुर्थेश कुंडली के छठे, आठवें या बारहवें भाव में स्थित हो तब पति-पत्नी का अलगाव हो जाता है.
अलगाव देने वाले ग्रह शनि, सूर्य तथा राहु का सातवें भाव, सप्तमेश और शुक्र पर प्रभाव पड़ रहा हो या सातवें व आठवें भावों पर एक साथ प्रभाव पड़ रहा हो.
जन्म कुंडली में सप्तमेश की युति द्वादशेश के साथ सातवें भाव या बारहवें भाव में हो रही हो.
सप्तमेश व द्वादशेश का आपस में राशि परिवर्तन हो रहा हो और इनमें से किसी की भी राहु के साथ हो रही हो.
सप्तमेश व द्वादशेश जन्म कुंडली के दशम भाव में राहु/केतु के साथ स्थित हों.
जन्म लग्न में मंगल या शनि की राशि हो और उसमें शुक्र लग्न में ही स्थित हो, सातवें भाव में सूर्य, शनि या राहु स्थित हो तब भी अलगाव की संभावना बनती है.जन्म कुंडली में शनि या शुक्र के साथ राहु लग्न में स्थित हो. जन्म कुंडली में सूर्य, राहु, शनि व द्वादशेश चतुर्थ भाव में स्थित हो.
जन्म कुंडली में शुक्र आर्द्रा, मूल, कृत्तिका या ज्येष्ठा नक्षत्र में स्थित हो तब भी दांपत्य जीवन में अलगाव के योग बनते हैं.
कुंडली के लग्न या सातवें भाव में राहु व शनि स्थित हो और चतुर्थ भाव अत्यधिक पीड़ित हो या अशुभ प्रभाव में हो तब तब भी अलग होने के योग बनते हैं.
शुक्र से छठे, आठवें या बारहवें भाव में पापी ग्रह स्थित हों और कुंडली का चतुर्थ भाव पीड़ित अवस्था में हो.
षष्ठेश एक अलगाववादी ग्रह हो और वह दूसरे, चतुर्थ, सप्तम व बारहवें भाव में स्थित हो तब भी अलगाव होने की संभावना बनती है.
जन्म कुंडली में लग्नेश व सप्तमेश षडाष्टक अथवा द्विद्वार्दश स्थितियों में हों तब पति-पत्नी के अलग होने की संभावना बनती है.लंबे समय तक चलने वाले मुकदमे | Longest Running Lawsuit
कई बार पति-पत्नी की आपसी रजामंदी से तलाक जल्दी हो जाता है तो कई बार दोनो अपनी ही किसी जिद को लेकर अड़ जाते हैं और कोर्ट में वर्षो तक मुकदमा चलता ही रहता है. आइए लंबे समय तक चलने वाले मुकदमों के बारे में जानें.
यदि जन्म कुंडली में षष्ठेश वक्री अवस्था में स्थित है तब तलाक के लिए मुकदमा बहुत लम्बे समय तक चलता है.
यदि जन्म कुंडली में अष्टमेश की छठे भाव पर दृष्टि हो तब मुकदमा बहुत लम्बे समय तक चलता है.
यदि वक्री ग्रह की आठवें भाव पर दृष्टि हो, विशेषकर शुक्र की तब भी कोर्ट केस बहुत लंबे समय तक चलते हैं.
वैवाहिक सुख में वक्री व अस्त शुक्र तथा मंगल का परिणाम | Results of Retrograde Venus and Mars
सुखी वैवाहिक जीवन के लिए पुरुषो की कुंडली में शुक्र को देखा जाता है और स्त्रियों की कुंडली में मंगल को. यदि दोनो ग्रह शुभ अवस्था में नहीं है तब वैवाहिक जीवन में सुख का अभाव देखा जा सकता है. आइए शुक्र व मंगल से संबंधित कुछ बातों पर विचार करते हैं.पुरुष की जन्म कुंडली में वक्री शुक्र हो तब व्यक्ति यौनाचार को लेकर पूर्ण रुप से विरक्त होगा या अति कामी होगा. यही स्थिति स्त्रियों की कुंडली में मंगल को लेकर भी है. यदि स्त्री जातक की कुंडली में मंगल वक्री अवस्था में स्थित है तब वह स्त्री पूर्ण रुप से कामी होगी या बिलकुल विरक्त होगी.
स्त्री हो या पुरुष हो, यदि जन्म कुंडली में नीच या वक्री मंगल पर अशुभ ग्रहों की दृष्टि पड़ रही हो तब वैवाहिक जीवन में बहुत सी समस्याओं का सामना उन्हें करना पड़ता है.
यदि स्त्री की जन्म कुंडली में मंगल अस्त हो तब वह नपुंसक बनाता है या फिर यौन इच्छा की कमी को दर्शाता है. यही स्थिति पुरुष की कुंडली में शुक्र को लेकर होती है।