(ज्योतिष और यौन सुख) Astrology and Sexual Life
Sex aur Jyotish | सैक्स और ज्योतिष (ज्योतिष और यौन सुख) Astrology and Sex
ज्योतिष विज्ञान के अनुसार शुक्र ग्रह की अनुकूलता से व्यक्ति भौतिक सुख पाता है। जिनमें घर, वाहन सुख आदि समिल्लित है। इसके अलावा शुक्र यौन अंगों और वीर्य का कारक भी माना जाता है। शुक्र सुख, उपभोग, विलास और सुंदरता के प्रति आकर्षण पैदा करता है। विवाह के बाद कुछ समय तो गृहस्थी की गाड़ी बढिय़ा चलती रहती है, किंतु कुछ समय के बाद ही पति पत्नि में कलह झगडे, अनबन शुरू होकर जीवन नारकीय बन जाता है. इन स्थितियों के लिये भी जन्मकुंडली में मौजूद कुछ योगायोग जिम्मेदार होते हैं. अत: विवाह तय करने के पहले कुंडली मिलान के समय ही इन योगायोगों पर अवश्य ही दॄष्टिपात कर लेना चाहिये।
सातवें भाव में खुद सप्तमेश स्वग्रही हो एवं उसके साथ किसी पाप ग्रह की युति अथवा दॄष्टि भी नही होनी चाहिये. लेकिन स्वग्रही सप्तमेश पर शनि मंगल या राहु में से किन्ही भी दो ग्रहों की संपूर्ण दॄष्टि संबंध या युति है तो इस स्थिति में दापंत्य सुख अति अल्प हो जायेगा. इस स्थिति के कारण सप्तम भाव एवम सप्तमेश दोनों ही पाप प्रभाव में आकर कमजोर हो जायेंगे।
यदि शुक्र के साथ लग्नेश, चतुर्थेश, नवमेश, दशमेश अथवा पंचमेश की युति हो तो दांपत्य सुख यानि यौन सुख में वॄद्धि होती है वहीं षष्ठेश, अष्टमेश उआ द्वादशेश के साथ संबंध होने पर दांपत्य सुख में न्यूनता आती है।
यदि सप्तम अधिपति पर शुभ ग्रहों की दॄष्टि हो, सप्तमाधिपति से केंद्र में शुक्र संबंध बना रहा हो, चंद्र एवम शुक्र पर शुभ ग्रहों का प्रभाव हो तो दांपत्य जीवन अत्यंत सुखी और प्रेम पूर्ण होता है.
लग्नेश सप्तम भाव में विराजित हो और उस पर चतुर्थेश की शुभ दॄष्टि हो, एवम अन्य शुभ ग्रह भी सप्तम भाव में हों तो ऐसे जातक को अत्यंत सुंदर सुशील और गुणवान पत्नि मिलती है जिसके साथ उसका आजीवन सुंदर और सुखद दांपत्य जीवन व्यतीत होता है. (यह योग कन्या लग्न में घटित नही होगा)
सप्तमेश की केंद्र त्रिकोण में या एकादश भाव में स्थित हो तो ऐसे जोडों में परस्पर अत्यंत स्नेह रहता है. सप्तमेश एवम शुक्र दोनों उच्च राशि में, स्वराशि में हों और उन पर पाप प्रभाव ना हो तो दांपत्य जीवन अत्यंत सुखद होता है.
सप्तमेश बलवान होकर लग्नस्थ या सप्तमस्थ हो एवम शुक्र और चतुर्थेश भी साथ हों तो पति पत्नि अत्यंत प्रेम पूर्ण जीवन व्यतीत करते हैं।
पुरूष की कुंडली में स्त्री सुख का कारक शुक्र होता है उसी तरह स्त्री की कुंडली में पति सुख का कारक ग्रह वॄहस्पति होता है. स्त्री की कुंडली में बलवान सप्तमेश होकर वॄहस्पति सप्तम भाव को देख रहा हो तो ऐसी स्त्री को अत्यंत उत्तम पति सुख प्राप्त होता है।
जिस स्त्री के द्वितीय, सप्तम, द्वादश भावों के अधिपति केंद्र या त्रिकोण में होकर वॄहस्पति से देखे जाते हों, सप्तमेश से द्वितीय, षष्ठ और एकादश स्थानों में सौम्य ग्रह बैठे हों, ऐसी स्त्री अत्यंत सुखी और पुत्रवान होकर सुखोपभोग करने वाली होती है.
पुरूष का सप्तमेश जिस राशि में बैठा हो वही राशि स्त्री की हो तो पति पत्नि में बहुत गहरा प्रेम रहता है।
वर कन्या का एक ही गण हो तथा वर्ग मैत्री भी हो तो उनमें असीम प्रम होता है. दोनों की एक ही राशि हो या राशि स्वामियों में मित्रता हो तो भी जीवन में प्रेम बना रहता है।
अगर वर या कन्या के सप्तम भाव में मंगल और शुक्र बैठे हों उनमे कामवासना का आवेग ज्यादा होगा अत: ऐसे वर कन्या के लिये ऐसे ही ग्रह स्थिति वाले जीवन साथी का चुनाव करना चाहिये.
दांपत्य सुख का संबंध पति पत्नि दोनों से होता है। एक कुंडली में दंपत्य सुख हो और दूसरे की में नही हो तो उस अवस्था में भी दांपत्य सुख नही मिल पाता, अत: सगाई पूर्व माता पिता को निम्न स्थितियों पर ध्यान देते हुये किसी सुयोग्य और विद्वान ज्योतिषी से दोनों की जन्म कुंडलियों में स्वास्थ्य, आयु, चरित्र, स्वभाव, आर्थिक स्थिति, संतान पक्ष इत्यादि का समुचित अध्ययन करवा लेना चाहिये सिफर् गुण मिलान से कुछ नही होता.
वर वधु की आयु का अधिक अंतर भी नही होना चाहिये, दोनों का शारीरिक ढांचा यानि लंबाई उंचाई, मोटाई, सुंदरता में भी साम्य देख लेना चाहिये. अक्सर कई धनी माता पिता अपनी काली कलूटी कन्या का विवाह धन का लालच देकर किसी सुंदर और गौरवर्ण लड़के से कर देते हैं जो बाद में जाकर कलह का कारण बनता है।
आप अपने वैवाहिक जीवन की कोई भी समस्या के लिए हमसें संपर्क कर सकते हैं। हम आपकी निजता का पूरा ध्यान रखेंगे।
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ज्योतिष शास्त्र और यौन रोग Astrology and Sexual problems
क्या कभी आपने गौर किया है कि जो लोग किसी तरह की बुरी आदत के शिकार नहीं होते, सादा जीवन जीते हैं, पौष्टिक आहार लेते हैं और इतना ही नहीं किसी भी तरह के नशे तक का सेवन नहीं करते। फिर भी ऐसे लोगों को कैंसर या फिर हृदय आघात जैसी समस्या हो जाती है।
डॉक्टर भी ऐसे लोगों की मेडिकल हिस्ट्री देखकर हैरान रह जाते हैं। उन्हें तमाम टेस्ट करने के बाद भी ऐसी कोई वजह नहीं मिलती जो यह बता सके कि रोगी की परेशानी हुई क्यों है।
लेकिन एस्ट्रोलॉजी के पास इस बात का जवाब मौजूद है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार व्यक्ति की जन्म पत्रिका में मौजूद ग्रह उसके लिए रोग का एक बड़ा कारण बनते हैं।
इसके अलावा ज्योतिष शास्त्र का यह भी मानना है कि जिस तरह से व्यक्ति के मौजूदा जीवन के कर्म उसके भविष्य पर असर डालते हैं, उसी तरह से उसके पिछले जन्म के कर्म भी उसके इस जीवन को प्रभावित करते हैं।
ये दो बड़े कारण हैं जो उसके जीवन में समस्याओं की सबसे बड़ी वजह बनते हैं। लेकिन कुंडली के ग्रह व्यक्ति को कैसी-कैसी बीमारियों का शिकार बना सकते हैं इसका आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते।
कुछ कही-सुनी बीमारियों के अलावा कुछ रोग ऐसे होते हैं जिसके बार में व्यक्ति आमतौर पर चर्चा नहीं कर सकता। ये रोग यौन संबंधी या जिन्हें हम गुप्त रोग कहते हैं, इस श्रेणी में आते हैं।
गुप्त रोग क्यों होते हैं, इसके पीछे कौन से ग्रह एवं ज्योतिषीय योग जिम्मेदार होते हैं, इसके बारे में यहां हम आपको बताएंगे। आशा है कि इस जानकारी को पाने के बाद आपको अपने कई सवालों का जवाब मिल जाए।
एस्ट्रोलॉजी की नजर से जिस जातक की जन्म पत्रिका में विशेष रूप से वृश्चिक राशि का प्रभाव होता है, ऐसा व्यक्तिा गुप्तांग से जुड़े रोगों का शिकार हो जाता है।
ज्योतिष अध्ययनों के अनुसार किसी जातक की कुंडली में अगर वृश्चिक राशि दूसरे, छठे, आठवें या बारहवें घर में हो और साथ ही इन सभी भावों पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव भी हो, तब व्यक्तिय को यौन और गुप्त रोग होने की आशंका रहती है।
यदि किसी जातक को गुप्तांग संबंधी रोग है और किसी अनुभवी ज्योतिषी से उसकी जन्म पत्रिका का आंकलन करवाया जाए, तो उसकी पत्रिका में उपरोक्त बताई गई ग्रह दशाएं जरूर पाई जाएंगी।
लेकिन केवल यही उसकी समस्या का एक मात्र कारण नहीं है। क्योंकि ज्योतिष शास्त्र की मानें तो ऐसे और भी पापी ग्रह हैं, जो इस तरह के गुप्त रोग के लि्ए जिसम्मेदार होते हैं।
कुंडली में आठवां घर
जन्मकुंडली में आठवां घर और उस घर के स्वामी ग्रह के साथ शुक्र, मंगल, शनिा, राहु का संबंध बन रहा हो, तो ऐसे जातक को एड्स रोग हो जाने की आशंका होती है।
शनि और राहु की दृष्टि
इसके अलावा यदि इसी भाव में शनि और राहु की दृष्टि शुक्र, केतु, मंगल और सूर्य पर हो, तो ऐसा व्यक्ति यौन संक्रमण का शिकार हो जाता है। यह योग जितना मजबूत होता चला जाता है, व्यक्ति की मृत्यु की आशंका उतनी ही बढ़ जाती है।
शनि, राहु का संबंध
ज्योतिष का एक और कारण है जो इस तरह के गुप्त रोगों को जन्म देता है। इसके अनुसार यदि किसी जातक की जन्म पत्रिका के सातवें घर में शनि, राहु का संबंध हो और सप्तेश पर इन दोनों ग्रहों की दृष्टिग पड़ रही हो, तो ऐसे पुरुष को संतानोत्पत्तिक में बाधा आती है।
वृश्चिक राशि और यौन रोग
ज्योतिष अध्ययनों की मानें तो इसमें वृश्चिक राशि को यौन रोग देने वाला बताया गया है। यदि किसी पुरुष की पत्रिका में शुक्र के साथ वृश्चिेक लग्नन के स्वामी मंगल पर भी शनिध राहु की दृष्टि् पड़ रही हो, तो ऐसा पुरुष नपुंसकता का शिकार हो जाता है।
शुक्र ग्रह की कमी
ज्योतिष शास्त्र के एक अन्य परिणाम के अनुसार जिन पुरुषों की कुंडली में शुक्र ग्रह की कमी हो जाती है, या फिर यह ग्रह पीड़ित हो जाए या कमजोर हो जाए, तो ऐसे व्यक्ति को गुप्त रोग आसानी से जकड़ लेते हैं।
ग्रहोंं का ऐसा मिलन
इसी आधार पर ज्योतिंष शास्त्र में गुप्त रोग संबंधी एक और कारण सामने आता है। जिसके अनुसार, यदि किसी जातक की कुंडली के सातवें घर में शनि राहु बैठे हों, सातवें घर के स्वामी पर शनि एवं राहु की क्रूर दृष्टिे हो या शनि के साथ नीच का शुक्र हो तब पुरुषों में शुक्र की कमी होती है।
गुप्त रोग की समस्या
ऐसा व्यक्ति किसी भी तरह के गुप्त रोग से पीड़ित हो सकता है। या तो उसे संतानोत्पत्ति में तकलीफ हो सकती है या फिर इस योग के और मजबूत हो जाने से वह नपुंसकता का शिकार भी हो सकता है।
यदि स्त्री की कुंडली में हो
उपरोक्त बताया गया यही योग यदि किसी स्त्रीर की कुंडली में हो, तो ऐसी स्त्री को गर्भाशय में परेशानी रहती है जिकससे संतान प्राप्तिी में परेशानी आती है। कई बार ग्रहों की दशा बदलने से ऐसी स्त्री गर्भधारण कर भी लेती है, लेकिन कुछ ही समय के भीतर उसका गर्भपात हो सकने की आशंका रहती है।
जानिए उपाय
लेकिन घबराने जैसी कोई बात नहीं है, यदि एस्ट्रोलॉजी में ग्रहों के कारण होने वाले रोग बताए गए हैं तो उनको खत्म करने के उपाय भी बताए गए हैं। ये उपाय यदि नियमानुसार किए जाएं, तो ग्रहों के बुरे प्रभाव को पूर्ण रूप से समाप्त किया जा सकता है।
ढेर सारे उपाय
यौन संबंधी रोगों से लड़ने के लिए ज्योतिष शास्त्र में कई सारे उपाय दर्ज हैं। ज्योतिष शास्त्र में मंत्र जाप, दान-पुण्य एवं रत्न धारण करके ग्रहों के बुरे प्रभाव से बचने के उपाय हैं।
फिरोजा रत्न
ज्योतितष शास्त्र में फिरोजा रत्न को यौन रोग के रोकथाम में कारगर माना गया है। यदि जातक की कुंडली का आंकलन करने के बाद यह रत्न उसके लिए अनुकूल पाया जाए, तो उसे धारण करवा देना चाहिए
हीरा, जर्कन भी पहन सकते हैं
इसके अलावा यौन रोग में हीरा, जर्कन, और गोमेद रत्न धारण करना भी लाभप्रद रहता है। किंतु किसी भी रत्न को खुद से धारण ना करें, ज्योतिषी की राय लेने के बाद ही रत्न पहनें।
मंत्र जाप भी जरूरी है
यदि जातक की कुंडली में शुक्र की स्थिति खराब है, तो शुक्र संबंधी उपाय करने चाहिए। शुक्र ग्रह का यह मंत्र रोगों से लड़ने में सहायक सिद्ध हो सकता है – ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:।
Astrology and libido (ज्योतिष एवं कामवासना)
कुंडली में हैं ऐसे योग तो व्यक्ति में काम-वासना होगी अधिक:-
इस आलेख में कुछ ऐसे ज्योतिषीय योगों का उल्लेख कर रहा हूं, जो किसी जातक की कुंडली में यदि हैं, तो उस योग को बनाने वाले ग्रह जातक को सामान्य से अधिक कामुक sexy होने का संकेत देते हैं
काम वासना मनुष्य की एक स्वाभाविक प्रवृत्ति है। इसी से मनुष्य अपने समुदाय का विस्तार करता है। काम वासना का स्तर प्रत्येक व्यक्ति में अलग-अलग होता है। किसी में कम तो किसी में अधिक। संतुलित काम वासना वाला व्यक्ति संयमित जीवन जीता है लेकिन जिस व्यक्ति में काम वासना अनियंत्रित हो जाती है वह दुष्कर्मी के रूप में समाज के लिए खतरनाक हो जाता है। ऐसे व्यक्ति को दंड के देने के लिए कानून है, लेकिन किस व्यक्ति में कितनी काम वासना है वह उसकी जन्म कुंडली देखकर पता लगाया जा सकता है।
आइए ज्योतिष के अनुसार जानते हैं किस व्यक्ति में कैसी काम वासना होती है:-
1. यदि लग्न का स्वामी सप्तम स्थान में बैठा हो तो:-
यदि लग्न और बारहवें भाव के स्वामी एक होकर केंद्र या त्रिकोण में बैठ जाएं या आपस में स्थान परिवर्तन कर रहे हों तो पर्वत योग का निर्माण होता है , इस योग के चलते जहां व्यक्ति भाग्यशाली, विद्या -प्रिय, कर्म शील, दानी, यशस्वी, संपत्ति का अधिपति होता है, वहीं अत्यंत कामी और कभी-कभी पर स्त्री गमन करने वाला भी होता है।
यदि लग्न का स्वामी सप्तम स्थान में बैठा हो, तो ऐसे व्यक्ति की रुचि विपरीतलिंगी सेक्स के प्रति अधिक होती है। वह दिन-रात सेक्स के बारे में ही सोचता रहता है।
2. मंगल और शनि सप्तम स्थान में हो तो जातक समलिंगी:-
यदि लग्न का स्वामी सप्तम में और सप्तम का स्वामी लग्न में हो तो व्यक्ति स्त्री और पुरुष दोनों में समान रूप से रुचि रखता है।
सातवें भाव में मंगल, बुद्ध और शुक्र एक साथ बैठे हों और इन पर किसी शुभ ग्रह की दृष्टि न हो तो व्यक्ति अप्राकृतिक सेक्स का आदि होता है।
मंगल और शनि सप्तम स्थान में हो तो जातक समलिंगी होता है।
3. काम वासना:-
तुला राशि में चंद्र और शुक्र की युति जातक की काम वासना को कई गुणा बड़ा देती है।
सप्तम भाव में शुक्र की उपस्थिति जातक को अत्यंत कामुक बना देती है।
शुक्र पर मंगल/राहु का प्रभाव हो तो जातक कई लोगों से शारीरिक संबंध बनाता है।
गुरु लग्न/चतुर्थ/सप्तम/दशम स्थान पर हो या द्वादश भाव में हो, तो जातक अपनी वासना की पूर्ति के लिए कुछ भी करने को तैयार रहता है।
शनि लग्न में हो तो जातक में वासना अधिक होती है। पंचम भाव में शनि अपनी से बड़ी उम्र की स्त्री से आकर्षण, सप्तम में होने से व्यभिचारी प्रकृति, चंद्र के साथ होने पर वेश्यागामी, मंगल के साथ होने पर स्त्री में और शुक्र के साथ होने पर पुरुष में कामुकता अधिक होती है।
ऐसे जातक में कामुकता अधिक होती है
शनि की चंद्र/शुक्र/मंगल के साथ युति जातक में काम वासना को काफी बढ़ा देती है।
चंद्र बारहवें भाव में मीन राशि में हो तो जातक अनेकों स्त्रियों का उपभोग करता है।
मंगल की उपस्थिति 8 /9 /12 भाव में हो तो जातक कामुक होता है।
मंगल सप्तम भाव में हो और उस पर कोई शुभ प्रभाव न हो तो जातक नाबालिगों के साथ संबंध बनाता है।
मंगल की राशि में शुक्र या शुक्र की राशि में मंगल की उपस्थित हो तो जातक में कामुकता अधिक होती है।
1. किसी भी जातक की लग्न कुंडली में मंगल+शुक्र की युति काम वासना को उग्र कर देती है, जन्म के ग्रह जन्मजात प्रवृति की ओर इशारा करते हैं, और वह जातक इस के प्रभाव से आजीवन प्रभावित-संचालित होता है। किसी व्यक्ति में इस भावना का प्रतिशत कम हो सकता है, और किसी में ज्यादा हो सकता है। ज्योतिष के विश्लेषण के अनुसार यह पता लगाया जा सकता है की जातक में काम भावना किस मात्रा में विद्यमान है।
लग्न / लग्नेश :
1. यदि लग्न और बारहवें भाव के स्वामी एक हो कर केंद्र /त्रिकोण में बैठ जाएँ या एक दूसरे से केंद्रवर्ती हो या आपस में स्थान परिवर्तन कर रहे हों तो पर्वत योग का निर्माण होता है । इस योग के चलते जहां व्यक्ति भाग्यशाली , विद्या -प्रिय ,कर्म शील , दानी , यशस्वी , घर जमीन का अधिपति होता है, वहीं अत्यंत कामी और कभी कभी पर स्त्री गमन करने वाला भी होता है ।
2. यदि लग्नेश सप्तम स्थान पर हो, तो ऐसे व्यक्ति की रूचि विपरीत सेक्स के प्रति अधिक होती है । उस व्यक्ति का पूरा चिंतन मनन ,विचार व्यवहार का केंद्र बिंदु उसका प्रिय ही होता है ।
3.तुला राशि में चन्द्रमा और शुक्र की युति जातक की काम वासना को कई गुणा बड़ा देती है । अगर इस युति पर राहु/मंगल की दृष्टि भी तो जातक अपनी वासना की पूर्ति के लिए किसी भी हद तक जा सकता है।
4 तुला राशि में चार या अधिक ग्रहों की उपस्थिति भी is baat का कारण बनती है ।
5 सप्तम भाव में शुक्र की उपस्थिति जातक को कामुक बना देती है ।
शुक्र के ऊपर मंगल /राहु का प्रभाव जातक को काफी लोगों से शरीरिक सम्बन्ध बनाने के लिए उकसाता है ।
6.शुक्र/मंगल के साथ युति जातक में काम वासना को काफी बड़ा देती है ।
7 शुक्र मंगल की उपस्थिति 8 /12 भाव में हो तो, जातक कामुक होता है ।
8. कामवासना बढ़ाने में द्वादश भाव के स्वामी का मुख्य रोल होता है अगर इस का स्वामी सप्तम भाव में आए या लग्न में आजाये और वह मुख्यत: शुक्र या मंगल हो, ऐसा जातक स्वभाव से लंपट और बहुत सारी स्त्रियों से रिश्ता रखता है 4 7 या 12वे में हो, अथवा ईन दोनों ग्रहों का संबंध बन रहा हो तो, यह जातक के अत्यंत कामी sexy होने का संकेत है। ये ग्रह अधिक बलवान हों तो, जातक समय और दिन-रात की मर्यादा भूलकर सदैव सेक्स sex को आतुर रहता है। मंगल जोश है, और शुक्र भोग अतः इन दोनों की युति होने पर अधिकांश कुंडलियों में ये प्रभाव सही पाया गया है। ये बात वैध और अवैध दोनों संबंधो पर लागू होती है।
9. कुंडली का चतुर्थ भाव सुख का होता है, सातवा भाव गुप्तांग secret part को दर्शाता है और 12वां भाव शय्या सुख…! अतः सप्तमेश और व्ययेश की युति 4, 7 या 12 में हो तो, जातक/जातिका अतिकामुक होते हैं।
10. जातिका की कुंडली में यदि सप्तम में शुक्र+राहू या चंद्र+राहू हो और 12वें में गुरु हो तो, अधिकतर मामलो में पाया गया है कि शादी के बाद भी अवैध शारीरिक संबंध बनते हैं। तब संभावना और बड़ जाती है यदि वे सरकारी/प्राइवेट नौकरी में हो।
11. जातक/जातिका की कुंडली में गुरु और शुक्र समसप्तक हो तो भी वे अतिकामुक योग है, और ये योग वैवाहिक जीवन married life के निजी सुखो personal relationship में वृद्धि करता है। जातक के मामले में यदि मंगल और शुक्र समसप्तक हो तो ये योग की सार्थकता सिद्ध होती है।
12. नपुसंकता में सबसे बड़ा योगदान शनि और बुध का है, अतः यदि ये दोनों ग्रह सप्तम में हैं, या सप्तम पर दृष्टि दे रहे हैं तो, जातक/जातिका सेक्स sex के मामले में नीरस और अयोग्य होते हैं। जातक में उत्तेजना की कमी होती है। यदि 12वे भाव में ये युति हो या इन दोनों ग्रहों का दृष्टि संबंध हो तो, जातक शीघ्रपतन का रोगी होता है। और जतिका के मामले में वे ठंडी होती है। ये स्थिति और भी गंभीर हो सकती है, यदि राहू 1,7, 8 में हो तो,जातक व्यसन का आदि होकर अपनी जवानी धुएँ में उड़ा देता है।
13. जातक की कुंडली में यदि सप्तम में राहू+शुक्र हों तो जातक के शुक्राणु sperm तेजहीन होते हैं, और संतान प्राप्ति हेतु बहुत संघर्ष करना होता है। संतान “दिव्यांग” भी पैदा हो सकती है।
14. जातिका की कुंडली में यदि सप्तम में मंगल+राहू हो या इन दोनों का एक साथ दृष्टि संबंध सप्तम में हो तो, जातिका को श्वेतप्रदर और अनियमित माहवारी period का कष्ट होता है। यदि मंगल ज्यादा बलवान हो तो माहवारी period के दौरान बहुत अधिक रक्तश्राव bleeding होता है।
नोट- ये ज्योतिषीय योग हर मामले में लागू नहीं होते, ज्योतिष में भी कुछ मामले अपवाद होते हैं।
अधिक जानकारी के लिए अथवा ज्योतिषीय परामर्श के लिए :- गुरू जी के कार्यालय में सम्पर्क करें :-
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I will be discussing here the behavior of a native in the intimate act and give you the reasons and possible cure for ill performance. Erotic power or sexual power is something which has been a very under-the-seat thing in our society. It applies to men mostly; and as we are a paternal and male chauvinistic society, this could be the reason people are reluctant to talk about it.
In an era of Venus domination, we are witnessing many things from aphrodisiacs to elongating machines, and many more; which are doing nothing but just taking the advantage of this silence and feeling-of-shame. It is nothing but a clear-cut psychological blackmail ensuring a brighter sunrise, which never happens. Duration of intercourse is something, which has become a thing to be proud of, and attracts a lot of attention from the obvious counterparts.
The Pharmaceutical stores are filled with tablets, syrups, oils and powders to increase the sexual needs of male and female, respectively. Do they really work? Or just giving people false hope, taking advantage of the desire and passion. Well, in my opinion, they are all simply a wastage-of-money for something useless after a period of time. Our Shastras have clearly mentioned about when to have intercourse and why to do it in the first place.
Astrology has answers for you in this matter of life, which has also become the foremost priority of males and females equally. In this article, I will be talking about only men. All planets are assigned genders, which are:
1) Sun : Male
2) Moon : Female
3) Mars : Male
4) Mercury : Eunuch, but changes with conjunctions and aspects.
5) Jupiter : Male
6) Venus : Female
7) Saturn : Eunuch
Every alternate sign is a female sign starting from Aries. So, Taurus is a female sign. Obviously, when a male planet will be occupying a female sign there will be interchange of attributes and thus there will be a different picture coming out. The seventh and eighth house deals with the sex organs.
Impotence is sometimes psychological and needs proper counseling and medication. Going to a psychiatrist or a MBBS V.D. specialist is a far better option than wasting money in all such things or going to self proclaimed doctors of sexual power enhancers whose photos we see in and around every public toilet, railway stations and other places.
Some combinations, which may render a person’s impotence, are:
Rahu or Saturn in second, Mercury in 8th and Moon in 12th house.
If Moon is hemmed between malefic and eighth house is occupied by Ketu or Mercury.
If Saturn and Mercury are in eighth house and Moon is afflicted by Rahu, these are few of the combinations for rendering a person impotent, but it is not permanent until unless physically damaged.
Planetary Effects On The Nature Of The Organs
If the eighth house belongs to Jupiter, the sexual organs will be of normal size and function.
If the eighth house belongs to Saturn, the organs will be longer and languid with abnormal functions.
If the eighth house belongs to Venus, the native has beautiful organs and they enjoy their intimate life.
If the eighth house belongs to Mars, the organ will be small but the desire will be high and person will be sensuous.
If the eighth house belongs to Mercury, the native will suffer from inferiority complex in regard to sexual matters.
If the eighth house belongs to Sun, the person will have virile organs and the functions will be normal.
If the eighth house belongs to the Moon, the person will have normal organs and functionality will depend upon the mood of the person.
The planets occupying eighth house change the above results.
Mercury, in eighth, not in own house and not aspected by benefics will make a person disappointing in sex life; otherwise it will be a normal function. Rahu in eighth makes a person maniac for the act and Ketu imparts hypersensitivity for the same.
Sexual Behavior Of A Native
It depends upon the nature of the 7th house and the planets occupying the same:
If the seventh house is occupied or aspected by Mars, the person will be angry in the act and will destroy the pleasure.
If the same planet is Jupiter, the person will make ardent love.
If it is Saturn then the person will have mean outlook for the union and may behave like animal in the act.
If it is Rahu, the person behaves as if he is stealing something and will be shy in the act.
If it is Ketu, the person will be hypersensitive and will have premature ejaculation.
If it is Venus then the person takes great delight in the act.
If it is Mercury, the person suffers from nervous exhaustion and premature ejaculation.
If it is Moon then the person will take great delight in the act but mere aspect of Moon is not sufficient.
If it is Sun, the person will be aggressive in the act.
The various conjunctions, dashas, and transit change the patterns accordingly and one has to take in account all the factors to judge properly about the intimate acts of a native. If you are suffering from an inferiority complex about non-performance of your organ, then it is better to consult a regular doctor and a psychiatrist.
You should wear gemstone of the planet which will enhance your durability in the act. A good astrologer can prescribe you the stone after taking into account all the factors from planets to dashas to transits. Another tip would be to perform a Mudra called Ashwini in Yoga, this will help in increasing the durability and strength.
Sex behaviour as per Zodiac
मेष : मेष राशि वाले काफी हॉट एवं कामुक होते हैं। इन्हें ज्यादा लंबे समय तक सेक्स नहीं पसंद होता। कम समय में ज्यादा लुत्फ़ उठाने वाले इन लोगों में संभोग के दौरान एक अलग सी आग होती है। संभोग के लिए काफी जल्दी उत्तेजित भी हो जाते हैं। यदि इनका पार्टनर मेष राशि वाला हो तो प्यार का अहसास कई गुना बढ़ जाता है।
वृषभ : संभोग के दौरान वृषभ राशि वाले सेक्स की चरम सीमा तक काफी देर से पहुंचते हैं। यदि आप अचानक इन्हें सेक्स के लिए उत्तेजित करना चाहें तो भी ये उत्तेजित नहीं होते। इन्हें संभोग से पहले फोरप्ले व ओरल सेक्स पसंद होता है। चुंबन में ये काफी एक्सपर्ट होते हैं। इन्हें सेक्स के लिए मनाना काफी कठिन होता है।
मिथुन : जेमिनी हमेशा सेक्सुअली एक्टिव होते हैं। संभोग के दौरान पार्टनर से बातें करना इन्हें पसंद होता है। ये हमेशा संभोग के लिए तैयार रहते हैं। चरमसीमा तक पहुंचने में भी ये काफी माहिर होते हैं। इन्हें उत्तेजित करना भी काफी आसान होता है। एक से अधिक लोगों के साथ यौन संबंध बनना काफी आम होता है। ये अपने पार्टनर को संतुष्ट करना अच्छी तरह जानते हैं।
कर्क : कर्क राशि वाले लोग बहुत ज्यादा भावुक एवं मानसिक तौर पर संवेदनशील होने की वजह से यौन क्रियाओं का सुख उठाने में पीछे रह जाते हैं। ये काफी मूडी होते हैं। ये अपने पार्टनर की संतुष्टि से ज्यादा अपनी संतुष्टि पर ध्यान देते हैं। यही कारण है कि इनकी सेक्स लाइफ नीरस होती है। हां अगर ये मूड में आ जायें तो यौन सुख देने में सबसे आगे रहते हैं।
सिंह : सिंह राशि वाले तब तक संभोग के लिए आगे नहीं बढ़ते जब तक पार्टनर की ओर से सिगनल नहीं मिलता। संभोग के दौरान ये काफी ऊर्जावान होते हैं। कई बार संभोग के दौरान ये इतने ज्यादा उत्तेजित हो जाते हैं, कि इन्हें किसी भी बात का खयाल नहीं रहता। ये अपने पार्टनर को खुद पर हावी नहीं होने देते हैं।
कन्या : इनके अंदर सेक्स की भूख काफी होती है, लिहाजा फोरसेक्स या ओरल सेक्स में ज्यादा समय नष्ट नहीं करते। ये भी काफी मूडी होते हैं। अगर मूड नहीं है, तो चाहे उनके पार्टनर कुछ भी कर लें, ये संभोग नहीं करते। ये सिर्फ विश्वस्त पार्टनर से ही सेक्स करते हैं।
तुला : तुला राशि वाले अपने पार्टनर को हमेशा संतुष्ट करते हैं। ये अपने पार्टनर की इच्छा पर ही संभोग के लिए आगे बढ़ते हैं। ये आसानी से आकर्षित हो जाते हैं, लिहाजा यौन क्रिया की चरमसीमा तक पहुंचने में इन्हें दिक्कत नहीं होती। संभोग के दौरान बाते करना पसंद नहीं करते।
वृश्चिक : वृश्चिक राशि वालों के अंदर संभोग के प्रति भूख बहुत ज्यादा होती है, लेकिन वो भी उनके मूड पर निर्भर करता है। ये लोग बहुत ज्यादा भावुक होने के कारण आसानी से सेक्स करते। इनके पार्टनर अपनी सेक्स लाइफ को लेकर काफी परेशान रहते हैं। इनके सबसे अच्छे यौन संबंध वृश्चिक राशि वालों के साथ ही बनते हैं।
धनु : धनु राशि वाले काफी उत्साहवर्धक होते हैं। यौन जीवन को खुलकर जीने वाले होते हैं और बहुत जल्द सेक्स के लिए तैयार भी हो जाते हैं। इन्हें चुंबन या फोरप्ले ज्यादा पसंद नहीं होता। सीधे संभोग में इन्हें ज्यादा मजा आता है। इनके अंदर उत्तेजित करने वाली फीलिंग्स कूट-कूट कर भरी होती हैं। आसानी से चरम सीमा तक पहुंच जाते हैं।
मकर : मकर राशि वाले लोग सेक्स लाइफ में काफी सावधानीपूर्वक चलते हैं। ये सही व्यक्ति से ही यौन संबंध स्थापित करते हैं। दूसरों के लिए इनमें कोई रुचि नहीं होती। ईमानदार सेक्स लाइफ ही इनका मंत्र है। ओरल सेक्स इन्हें काफी पसंद होता है। पार्टनर की इच्छाओं का खयाल रखने के मामले में ये थोड़े से लापरवाह होते हैं।
कुंभ : कुंभ राशि वाले सेक्स लाइफ में प्रयोग करना पसंद करते हैं। कई बार संभोग के दौरान ये इतने ज्यादा उत्तेजित हो जाते हैं, कि इन्हें किसी भी बात का खयाल नहीं रहता। संभोग के दौरान बाते करना पसंद नहीं करते। ये अपने पार्टनर की संतुष्टि से ज्यादा अपनी संतुष्टि पर ध्यान देते हैं।
मीन : संभोग के लिये ये हमेशा तैयार रहते हैं। मीन राशि वाले अपने पार्टनर की भावनाओं को समझने में काफी आगे रहते हैं। लिहाजा अपने पार्टनर को संतुष्ट करना भी इन्हें अच्छी तरह आता है। इन्हें अलग-अलग तरह की क्रियाओं में संभोग करना पसंद होता है। मीन राशि वालों को सेक्स का सबसे सुखद ऐहसास इसी राशि वाले पार्टनर के साथ होता है।
मेष: मेष राशि वाली महिलाओं का माथा और मुख काफी संवेदनशील होता है। इन जगहों पर चुंबन लेने से वो सेक्स के प्रति काफी जल्दी उत्तेजित हो जाती हैं। उनके बालों पर धीरे-धेरी स्पर्श, उनके होठों व गाल पर चुंबन और कान पर स्पर्श उन्हें सेक्स के प्रति उत्तेजित करता है।
वृषभ: वृषभ राशि वाली महिलाओं की गर्दन सेक्स के प्रति काफी संवेदनशील होती है। यदि आप उन्हें सेक्स के प्रति उत्तेजित करना चाहते हैं तो उनकी गर्दन पर चुंबन से शुरुआत करें। यदि आप उन्हें एक सुंदर हार तोहफे में देते हैं, तो वो आपकी तरफ खिंची चली आयेंगी।
मिथुन: मिथुन राशि वाली महिलाओं के हाथ, खास तौर से हथेली काफी संवेदनशील होती हैं। उनकी उंगलियों, हथेली, हाथ पर चुंबन लेने से वो सेक्स के प्रति आसानी से उत्तेजित हो उजाती हैं। उनकी उंगलियों को मुंह में चूसना, उंगलियों से फोर प्ले करना और उनके कंधों पर चुंबन लेना उन्हें तेजी से उत्तेजित करता है।
कर्क: कर्क राशि वाली महिलाएं आसानी से सेक्स के प्रति उत्तेजित नहीं होतीं। सेक्स के प्रति सबसे संवेदनशील भाग उनके वक्ष होते हैं। उनके वक्षों को स्पर्श कर आप उन्हें संभोग के लिए आसानी से प्रेरित कर सकते हैं।
सिंह: सिंह राशि वाली महिलाओं की पीठ सेक्स के प्रति सबसे संवेदनशील जगह होती है। आप अगर उनकी पीठ पर सुनहरा स्पर्श करते हैं, तो वो आसानी से सेक्स के प्रति उत्तेजित हो जाती हैं। उनकी पीठ और फिर उनके हिप्स पर स्पर्श उन्हें सेक्स की चरम सीमा तक पहुंचाता है।
कन्या : कन्या राशि वालों के पेट पर एक चुंबन उनके अंदर सेक्स की तीव्र इच्छा पैदा करता है। उनका पेट सेक्स के प्रति सबसे संवेदनशील भाग होता है। पेट पर स्पर्श और मसाज से आप उन्हें उत्तेजित कर सकते हैं।
तुला: तुला राशि वाली महिलाओं की पीठ का निचला हिस्सा काफी संवेदनशील होता है। तुला राशि वाली महिलाओं को सेक्स के लिए उत्तेजित करने के लिए हिप्स के ठीक ऊपर के भाग में स्पर्श करने से उत्तेजना पैदा होती है।
वृश्चिक: वृश्चिक राशि वाली महिलाओं योनि सेक्स के लिए सबसे ज्यादा संवेदनशील होती है। धीरे-धीरे स्पर्श एवं मसाज से वो बहुत जल्द उत्तेजित हो उठती हैं। यही कारण है कि वृश्चिक राशि वाली महिलाओं को सेक्स की चरम सीमा तक पहुंचने में काफी समय लगता है।
धनु: धनु राशि वाली महिलाएं लंबे समय तक फोरप्ले पसंद करती हैं। उनके लिए जांघ सबसे ज्यादा संवेदनशील अंग होता है। जांघ पर स्पर्श करने से वो काफी तेजी से उत्तेजित हो जाती हैं।
मकर: मकर राशि वाली महिलाओं के पैर सबसे ज्यादा संवेदनशील होते हैं। पैर के किसी भी भाग पर स्पर्श और चुंबन से वो जल्द उत्तेजित हो उठती हैं।
कुंभ: कुंभ राशि वाली महिलाओं की कोहनी और कंधे पर छोटा सा स्पर्श उन्हें उत्तेजित कर देता है।
मीन: मीन राशि वाली महिलाओं के पैर के निचले हिस्से में स्पर्श, चुंबन या मसाज से सेक्स के प्रति उत्तेजना बढ़ती है। धीरे-धीरे एड़ी से शुरुआत कर आप उन्हें संभोग के लिए आसानी से आकर्षित कर सकते हैं।
Sexual behavior and temperament is connected to the sign to which a person belongs. The planets Mars and Venus play an important role in the sex life of a person. Vedic astrology has classified the yoni ( size of sex organs and sexual behavior) on the basis of NAKSHATRAS.
Sex and Yoni of constellations
1. Aries, Leo, Sagittarius are Oversexed.
2. Taurus, Virgo, Capricorn are sober in sex behavior.
3. Gemini, Libra, Aquarius have secret liking for sex but never exhibit their sexual feelings.
4. Cancer, Scorpio, Pisces are not very sexoriented but show highly passionate feelings.
Sexual acts and their behavior
Sexual acts and behavior depends on two factors:
1. Sign of native
2. Which planets are in 7th house of the horoscope.
1. If Moon or Venus is in 7th house of the horoscope then there will be a quick ejaculation during coitus.
2. If Sun is in the 7th house of the horoscope then there will be agressive sex behavior.
3. If Moon is in the 7th house of the horoscope then the native is delighted in sex but the ejaculation is quick.
4. If Mars is in 7th house of the horoscope then he will be impatient in sex which ends quickly.
5. If Mercury is in the 7th house of the horoscope then the native suffers from premature ejaculation or nervous exhaustion.
6. If Rahu is in the 7th house of the horoscope the native will behave as if he is stealing something.
The characteristics of sexual tendencies depend upon the position of Mars in the horoscope.
If the Mars belong to:
First House
The native's married life will be full of enthusiasm, have strong sexual urges and will never be satisfied in sex. He enjoys sex life greatly and fully demonstrates his love and affection to his partner will require constant love and affection from partner.
Second House
The native will be aggressive and crude in sex matters. He / She has very burning and deep feelings for partner but does not exhibit them.
Third House
The native will be very determined to have good and healthy sex with the partner. He / She will be courageous and considerate in sex matter but fails to demonstrate.
Fourth House
The native will have extensive sexual relationship with the partner and will be lustfully inclined and selfish in the relationship. They have deep attachment with the partner.
Sixth House
The native will not be sex crazy. Sex will be a normal routine for him / her. Native will not have much regards for partner as far as sex is concerned.
Seventh House
The native will be fond of sex and too demanding in sex and may indulge in indiscreet sex life. The native will be romantic also.
Eight House
The native will have too much sex-indulgent, indiscriminate in sex and greatly attached to principles and morals of married life.
Ninth House
The native will be very moderate and considerate to partner in sex habits. The native will not regards sex as a driving force in life.
Tenth House
The native will be methodical and touchy in sex matters. The native will be fond of pronography and very concious of successful sex act.
Eleventh House
The native has craving for sex but do not show openly and easily satisfied. They attach more importance to health and have a saintly outlook, though in thoughts they are sex- crazy.
Twelth House
The native will be quick and restless in sex behaviour. Even use unnatural methods of sex. The native will be careless about partner,s feeling.
SECRET BEHIND SEVENTH HOUSE IN HOROSCOPE
Sun-suriya
Moon-chandra
Mars-Mangal,angaragan
Mercury-budha
Jupiter-brihaspathi,guru
Venus-sukra
Saturn-sani
Rahu
Ketu
The 7th house mainly indicates the marriage and partners. Also it is familiarly quoted as the seventh house is the “kalathira pava”.
It represents partnerships of all kinds—marriage, relationship of men and women, married/unmarried, widow or single, elder/younger etc.
In a horoscope it is the house of all partnerships including spouse. So all matters pertaining to marriage, or after are always observed and determined from the seventh house.
The planets which occupy the 7th house is the major factor for relationships of men and women, the 7th house are very important to know the happiness of married life, pre marital and post marital connections & illegal connections of sex and secrets?
Here after please understand the below referred person may please be understood as men or women
Men/ women
A person has Saturn or Raaghu in 7th house from lagna have sex with an elderly person or a widow/widower or divorcee.
If Mars is in seventh house from lagna there will be two connections at a time.
Jupiter in this seventh house from lagna it makes the spouse obese;
Mercury in the seventh house from lagna is a danger sign as the partner may be incapable of sex.
Below referred only for men
If sun in the seventh house of any men from lagna that man will have sex with infertile or barren woman (malady in tamil, baanjh in hindi)
If moon in the seventh house from lagna that man will have sex with woman who knows music and she may widow.
If mars in the seventh house he will have sex with kshathiriya woman. i.e. referred caste
If mercury is in the seventh house he will have sex and connection with prostitute
If Jupiter is in the seventh house he will have sex with Brahmin woman and she knows music and art.
If venus is in the seventh house he have sex with pregnant woman
If Saturn is in the seventh house he has sex with widow having girl kid
If ragu and ketu, both is in the seventh house he has sex with woman who stays far away from his place or she migrated from other place.
If venus and mercury in the seventh house he have sex with prostitute woman or that woman have other connections
If venus and Saturn in the seventh house he had sex with widow, and she may elder than him
If venus hiding in the seventh house he will have sex with woman elder than him.
If good planets vision on the seventh house there will be no problem
If a mars is on the seventh house of the husband his wife will be lucky. If mars are on the seventh house of the wife, she loses her husband and becomes widow.
Below referred only for women:-
If there is no planet is on the seventh house it shows its widow or single, including good planets on both sides, if moon is waxing moon or raising, or Jupiter, mercury are also should be taken.
If moon, or mercury and venus or three in any house it indicated she have only girl kid
If Saturn or ragu in 5th or combined she is a infertile woman(no kids)
8th house from lagna is maangalia block, if Jupiter or mercury or both joined together indicates she had connections before marriage and also after marriage.
If in 5th block from lagna raghu or Saturn or kethu, she have one kid and husband expires, otherwise she have husband but without kid.
If (Saturn and mars) or (sun and mars) at the same house indicates she is a widow and important especially some woman got pregnancy before marriage
if 8th block and 7th block have interchanged between them shows she have connections before marriage and also after marriage.( it called parivarthana in astrology but open meaning i referred here)
Now people can compare their seventh house from their lagna on their horoscope and understand the partners.
If woman have sex with brother of husband, or relations, or relationship with man belongs to other caste or same caste are also known with interpretation.
Impotency & Frigidity - Astrological Points
Moon: mental strength, movement of vital forces in the body like body's fluids, blood and lymph. Female reproductive functions pregnancy, nursing, menopause, primary indicator of fertility
Mars: acute illness, elevated body metabolism, venereal diseases
Sun: denotes constitutional vigour and metabolism
Venus: reproductive organs, sexual activities
Saturn: chronicle diseases, weakening metabolic powers, retention and deposits of toxins, sluggish function of body parts, hypo functioning of endocrine glands, coldness, and obstruction
Sign Libra: indicates sexual pleasures, generative organs 7th house: sensuous enjoyment, sex desires, private organs, health of the partner
Ascendant: general mental and physical abilities
Combinations for Impotence : Astrological Points
· Mars in Libra indicates problems to sexual organs, displeasure in the bed.
· Mars and Sun / Mars and Rahu in Libra indicate disturbed pleasure and disease in generative organs.
· 4 planets in Libra indicates sexual incompetency
· Weak and afflicted Venus in 7th house indicates either wife will be barren or husband may be impotent
· Mars with a malefic posited in 7th house indicates impotency caused by urinary system
· Saturn and Venus in 8th/10th with no benefice aspect induces impotency
· Saturn in depression in 6th or 12th house
· Saturn is 6th/12th from Venus
· Saturn is posited 12th from the Venus
· Moon in Libra aspected by Mars, Rahu, and Saturn, the native will be impotent
· Ascendant in its own house and aspecting Venus being posited in 7th house indicates impotency
· Moon and Saturn posited in 4th or 10th from Mars indicates impotency
· Lord of 6th house is associated with Mercury and Rahu and ascendant's lord is related to them in any way
· 6th lord, Mars and Saturn posited in Gemini/Virgo ascendant, only the male partner will be impotent
· The lord of 7th joins the 6th house with Venus indicates native's wife will be frigid
· 6th lord posited in Gemini/Virgo ascendant and aspected / associated by Mercury indicates both partner will be impotent
-Saturn and Venus occupy the 8th or the 10th housefrom the Ascendant devoid of benefic aspects;
-Saturn in the 6th or 12th house in a watery sign not in aspect by benefics;
-Saturn occupying his debilitation sign in the 6th or 12 th house (This is possible only if Lagna is Scorpio or Taurus);
-Saturn occupies the sixth or the eighth house from Venus;
Frigidity : Astrological Points
Fridgidity takes place when:
-Saturn is lord of Lagna aspected by Mars or Kethu.
-Lagna is combined with Rahu and Saturn.
-8L is hemmed in between Rahu and Saturn and is devoid of beneficial aspect of Jupiter.
-Rahu and Saturn combine with the Moon.
-Ketu and Saturn or Mars and Saturn afflict the Moon.
-Mercury is 8L and the 8th house is tenanted by Saturn-Rahu or Saturn-Kethu.
There are several rules given in astrological books which enable us to find out the details pertaining to the 5th house intimately. before the 5th house is examined , it is very essential to find out the sterilty or otherwise of marrying couple . Though the 5th house may be strong and all the indications for birth or children be present, there will be no issues if there is no strength or vitality for Beeja and kshetra. Beeja is the seed of male and kshetra is the bed of the woman. In other words beeja and kshetra represents not exactly the sperm and ovum, but the elements that really makes the male and female fertile. The husband and wife may be physiologically normal Their sex relations may be happy. But still if the beeja and the kshetra in their horoscope are not strong, when judged according to astrological rules, they will not bring forth any issues.. When Beeja is weak and kshetra is strong, then children may be born late in life after undertaking the necessary remedial measures. The strength to cause progeny is contributed by the SUn the lord of Vitality, . The seminal fluid is governed by venus. These two must have favoruable postions in the horoscope particularly in odd signs. Similarly in female Mars governs the nature of blood and the Moon controls the strength to bear children. These two planets should preferably occupy even signs"
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A very rapidly growing problem of this digital era is the problem of impotency. Due to the fast life and money oriented mind people are not able to give proper attention towards health and this lead to impotence. So it is very necessary to take proper measures to make our self physically strong as well as mentally strong to enjoy this life completely.
Astrology Reasons of Impotency:
1. 6th, 7th and 8th houses of horoscope are very important to study the impotency problem.
2. If Malefic Venus is present in 7th house then it may create problem in sexual life.
3. If Jupiter, Mercury and Venus are present in 8th house together and generating malefic effects then it may arise chances of infertility.
4. Saturn and Mars in 7th house or 5th house also cause infertility problem.
5. The combination of Venus and Mars in 6th, 7th or 8th houses also cause sexual problems.
6. If Mangal or Mars of Libra is present in 6th, 7th or 8th house then it increases the chances of sexual life problems.
7. Combination of Rahu and Mars or rahu and Venus also gives indication of sexual diseases.
Now let's understand which activities and organs are governed by which planets:
1. Sun puts impact on vigor. It also control the metabolism.
2. Through Moon we are able to find the mental power, pregnancy in females, females monthly cycle, blood, lymph etc.
3. Venereal diseases, metabolism, illness weakness are governed by Mars.
4. Mercury represent the mental power of a person to control the sex organs.
5. Sexual desire, sexual activities, reproduction organs are governed by Venus.
6. Through Saturn we are able to predict about metabolic activities of body, toxins in body, dull function of organs, chronic diseases etc.
How to Treat Sexual Impotency?
Sexual activities comes under the basic need of human being and it is very important part of life. Dis-satisfactory sexual life lead to many diseases. So it is very necessary to take powerful steps to maintain our sexual power and to keep our body and mind healthy.
Now i am providing some powerful ways to over come from the Sexual impotency. It will help to make you strong and make you comfortable to enjoy the sexual life.
1. In-taking 2 or 3 garlic daily is a good way to increase power within.
2. Having betel daily in the evening after dinner will also help you to increase your sexual power.
3. If you use white onion daily with meal it will increase the power of your sexual organs.
4. Having Banana with milk in the morning is also a powerful formula to increase power.
5. Have dry fruits daily.
Astrology Treatment of Sexual Impotency:
AS planets are fully responsible for the happenings in life so it is must to take proper astrology measures to treat impotency.
1. If any malefic planets is creating problems then it is good to proceed for the shanti process.
2. By having combination of gems stones will give tremendous result to increase the sexual power.
3. Sex enhancer ring is also good for that first it is necessary to check the horoscope in detail.
4. Meditation to increase sex power is a very powerful way to increase power naturally.
5. Special breathing technique is also a good way to increase power.
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