II नवग्रह स्तोत्र II
अथ नवग्रह स्तोत्र II
श्री गणेशाय नमः II
जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महदद्युतिम् I
तमोरिंसर्वपापघ्नं प्रणतोSस्मि दिवाकरम् II १ II
दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णव संभवम् I
नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुट भूषणम् II २ II
धरणीगर्भ संभूतं विद्युत्कांति समप्रभम् I
कुमारं शक्तिहस्तं तं मंगलं प्रणाम्यहम् II ३ II
प्रियंगुकलिकाश्यामं रुपेणाप्रतिमं बुधम् I
सौम्यं सौम्यगुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम् II ४ II
देवानांच ऋषीनांच गुरुं कांचन सन्निभम् I
बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम् II ५ II
हिमकुंद मृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम् I
सर्वशास्त्र प्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम् II ६ II
नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम् I
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम् II ७ II
अर्धकायं महावीर्यं चंद्रादित्य विमर्दनम् I
सिंहिकागर्भसंभूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम् II ८ II
पलाशपुष्पसंकाशं तारकाग्रह मस्तकम् I
रौद्रंरौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहम् II ९ II
इति श्रीव्यासमुखोग्दीतम् यः पठेत् सुसमाहितः I
दिवा वा यदि वा रात्रौ विघ्न शांतिर्भविष्यति II १० II
नरनारी नृपाणांच भवेत् दुःस्वप्ननाशनम् I
ऐश्वर्यमतुलं तेषां आरोग्यं पुष्टिवर्धनम् II ११ II
ग्रहनक्षत्रजाः पीडास्तस्कराग्निसमुभ्दवाः I
ता सर्वाःप्रशमं यान्ति व्यासोब्रुते न संशयः II १२ II
II इति श्रीव्यास विरचितम् आदित्यादी नवग्रह
स्तोत्रं संपूर्णं II
नवग्रह मंत्र, ग्रहों की शांति एवं ग्रह दोषों को मिटाने
का सबसे कारगर उपाय है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र में नौ ग्रहों (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध गुरु,
शुक्र, शनि, राहु और
केतु) का वर्णन है। इनमें राहु और केतु को छाया ग्रह माना गया है। इन ग्रहों की
अपनी भिन्न-भिन्न प्रकृति है और अपनी इसी प्रकृति के कारण ग्रह मनुष्य के जीवन को
प्रभावित करते हैं। अगर किसी की कुंडली में ग्रह दोष बनता है तो वह व्यक्ति उस
ग्रह दोष से बचने के लिए संबंधित ग्रह का वैदिक, तांत्रिक या
फिर बीज मंत्र का जाप विधि अनुसार कर सकता है।
नवग्रह मंत्र के प्रकार
इसके अलावा ग्रहों को बली बनाने और
उनके शुभ फल पाने के लिए भी नवग्रह मंत्र का जाप करना कारगर माना गया है। हिन्दू
ज्योतिष में नवग्रह मंत्र के तीन प्रकार बताए गए हैं जो वैदिक, तांत्रिक और बीज मंत्र हैं। वेद में ग्रहों
से संबंधित जिन मंत्रों का वर्णन है उन्हें वैदिक मंत्र कहा जाता है। वहीं तंत्र
विद्या में उपयोग होने वाले मंत्र तांत्रिक मंत्र कहा जाता है। जबकि बीज मंत्र को
मंत्रों का प्राण कहते हैं।
इनमें ग्रहों के बीज होते हैं इसलिए
इन्हें बीज मंत्र कहा जाता है। किसी भी मंत्र की शक्ति उसके बीज मंत्र में समाहित
होती है। इन मंत्रों के द्वारा समस्त प्रकार की बाधाओं, विकारों तथा समस्याओं का चमत्कारिक निदान
किया जा सकता है।
नव-ग्रह शांति मंत्र
“ॐ ब्रह्मामुरारि त्रिपुरान्तकारी भानु: शशि भूमिसुतो बुध च।
गुरु च शुक्र: शनि राहु केतव: सर्वेग्रहा: शान्ति करा: भवन्तु।।”
इस मंत्र में त्रिदेव यानि ब्रह्मा, विष्णु और महेश यानि शंकर भगवान से सभी सभी ग्रहों की शांति के लिए
प्रार्थना की है, जिस प्रकार नवग्रह
यंत्र की स्थापना और उसकी पूजा नवग्रह शांति के लिए की
जाती है। इसी प्रकार नवग्रह मंत्र भी नवग्रह शांति के लिए जपा जाता है।
सूर्य ग्रह से संबंधित मंत्र
ज्योतिष में सूर्य को ग्रहों का राजा कहा जाता है। सूर्य के
आशीर्वाद से मनुष्य को सम्मान और सफलता प्राप्त होती है। सूर्य ग्रह की शांति और इसके अशुभ प्रभावों से
बचने के लिए ज्योतिष में कई उपाय बताये गए हैं। जिनमें सूर्य के वैदिक, तांत्रिक और बीज मंत्र प्रमुख हैं। सूर्य को सिंह
राशि का स्वामित्व प्राप्त है, इसलिए
जिन जातकों की राशि सिंह है उन्हें सूर्य ग्रह के मंत्रों का जाप करना चाहिए। इसके
अलावा कोई भी अपनी कुंडली में सूर्य ग्रह की स्थिति को मजबूत करने के लिए इसके
मंत्रों का जाप कर सकता है।
सूर्य का वैदिक
मंत्र
ॐ आ कृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यं च।
हिरण्ययेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन्।।
सूर्य का
तांत्रिक मंत्र
ॐ घृणि सूर्याय नमः
सूर्य का बीज
मंत्र
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः
सूर्य मंत्र को जपने की विधि
- मंत्र का
जाप रविवार के दिन सूर्य की होरा या सूर्य के नक्षत्र में प्रारंभ करें।
- मंत्र जाप
के लिए एक निश्चित संख्या, समय और स्थान को सुनिश्चित करें।
- मंत्र जाप
के लिए आसन बिछाकर पूर्व की ओर मुख करके बैठें।
- हाथ में जल
लेकर मंत्र पूर्ण करने का संकल्प करें।
- 108 गुरियों वाली माला के साथ मंत्र जाप करें।
- ध्यान रहे, मंत्र जाप की जो
संख्या आपने चुनी है वह संख्या अगली बार घटे नहीं।
- मंत्र जाप
के समय खाँसना, छींकना या जम्हाई लेना, बात
करना अथवा ज्यादा हिलना ढुलना नहीं चाहिए।
- मंत्र का
जाप करते समय सूर्य देव का ध्यान करें।
- मंत्र जाप
से पहले स्नान करके शुद्ध होकर और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
चंद्र ग्रह से संबंधित मंत्र
ज्योतिष में चंद्र ग्रह को मन तथा सुंदरता का कारक माना गया
है। कुंडली में चंद्रमा की प्रतिकूलता से जातक को मानसिक कष्ट व श्वसन से संबंधित
विकार होते हैं। चंद्र ग्रह के उपाय के तहत व्यक्ति को सोमवार का व्रत धारण और चंद्र के मंत्रों का जाप करना चाहिए।
इससे आपकी मानसिक शक्ति बढ़ेगी और मन एकाग्र रहेगा। चंद्रमा को कर्क राशि का स्वामित्व प्राप्त है। इसलिए जिन
जातकों की कर्क राशि है उन्हें चंद्र मंत्र का जाप करना चाहिए। इसके साथ ही अन्य
जातक भी अपनी कुंडली में चंद्र ग्रह को बली बनाने के लिए इसके मंत्रों का जाप कर
सकते हैं।
चंद्र का वैदिक
मंत्र
ॐ इमं देवा असपत्नं सुवध्यं महते क्षत्राय महते
ज्यैष्ठ्याय महते जानराज्यायेन्द्रस्येन्द्रियाय। इमममुष्य
पुत्रममुष्यै पुत्रमस्यै विश एष वोऽमी राजा
सोमोऽस्माकं ब्राह्मणानां राजा।।
चंद्र का
तांत्रिक मंत्र
ॐ सों सोमाय नमः
चंद्रमा का बीज
मंत्र
ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः
चंद्र मंत्र को जपने विधि
- मंत्र का
जाप सोमवार के दिन चंद्र की होरा या चंद्र के नक्षत्र में प्रारंभ करें।
- मंत्र जाप
के लिए एक निश्चित संख्या, समय और स्थान को सुनिश्चित करें।
- मंत्र जाप
के लिए आसन बिछाकर पूर्व की ओर मुख करके बैठे।
- हाथ में जल
लेकर मंत्र पूर्ण करने का संकल्प करें।
- 108 गुरियों वाली माला के साथ मंत्र जाप करें।
- ध्यान रहे, मंत्र जाप की जो
संख्या आपने चुनी है वह संख्या अगली बार घटे नहीं।
- मंत्र जाप
के समय खाँसना, छींकना या जम्हाई लेना, बात
करना अथवा ज्यादा हिलना ढुलना नहीं चाहिए।
- मंत्र का
जाप करते समय चंद्र देव का ध्यान करें।
- मंत्र जाप
से पहले स्नान करके शुद्ध होकर और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
मंगल ग्रह से संबंधित मंत्र
ज्योतिष में मंगल को क्रूर ग्रह कहा गया है। इसके अशुभ
प्रभावों से मनुष्य को रक्त संबंधी विकार होते हैं। मंगल साहस और पराक्रम का कारक
है। यह जातक की मानसिक शक्ति में वृद्धि करता है। मंगल ग्रह की शांति के लिए मंगलवार का व्रत धारण करें और हनुमान चालीसा का पाठ करें। मंगल
ग्रह को मेष और वृश्चिक राशियों का स्वामी माना गया है। इसलिए मेष और वृश्चिक राशि के जातकों को मंगल ग्रह से संबंधित मंत्रों का जाप करना चाहिए। इसके
अलावा अन्य राशि के जातक भी अपनी जन्म पत्रिका में मंगल की स्थिति को मजबूत बनाने
के लिए नीचे दिए गए मंत्रों का जाप कर सकते हैं।
मंगल का वैदिक
मंत्र
ॐ अग्निमूर्धा दिव: ककुत्पति: पृथिव्या अयम्।
अपां रेतां सि जिन्वति।।
मंगल का
तांत्रिक मंत्र
ॐ अं अंङ्गारकाय नम:
मंगल का बीज
मंत्र
ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः
मंत्र को जपने विधि
- मंत्र का
जाप मंगलवार के दिन मंगल की होरा या मंगल के नक्षत्र में प्रारंभ करें।
- मंत्र जाप
के लिए एक निश्चित संख्या, समय और स्थान को सुनिश्चित करें।
- मंत्र जाप
के लिए आसन बिछाकर पूर्व की ओर मुख करके बैठें।
- हाथ में जल
लेकर मंत्र पूर्ण करने का संकल्प करें।
- 108 गुरियों वाली माला के साथ मंत्र जाप करें।
- ध्यान रहे, मंत्र जाप की जो
संख्या आपने चुनी है वह संख्या अगली बार घटे नहीं।
- मंत्र जाप
के समय खाँसना, छींकना या जम्हाई लेना, बात
करना अथवा ज्यादा हिलना ढुलना नहीं चाहिए।
- मंत्र का
जाप करते समय मंगल देव का ध्यान करें।
- मंत्र जाप
से पहले स्नान करके शुद्ध होकर और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
बुध ग्रह से संबंधित मंत्र
बुध ग्रह बुद्धि एवं संचार का कारक होता है। कुंडली में बुध
की कमज़ोर स्थिति त्वचा संबंधी विकार, एकाग्रता में कमी, गणित तथा लेखनी में कमज़ोरी जैसी परेशानी को जन्म देती है। यदि बुध ग्रह की शांति के उपाय के तहत मंत्र जाप
किए जाएँ तो इन समस्याओं से निदान पाया जा सकता है। बुध ग्रह मिथुन और कन्या राशि का स्वामी है। इसलिए मिथुन और कन्या राशि के जातकों को बुध के
मंत्रों का जाप करना चाहिए। इसके अलावा अन्य राशि के जातक भी अपनी कुंडली में बुध
ग्रह को मजबूत कर सकते हैं।
बुध का वैदिक
मंत्र
ॐ उद्बुध्यस्वाग्ने प्रति जागृहि त्वमिष्टापूर्ते सं सृजेथामयं
च।
अस्मिन्त्सधस्थे अध्युत्तरस्मिन् विश्वेदेवा यजमानश्च सीदत।।
बुध का
तांत्रिक मंत्र
ॐ बुं बुधाय नमः
बुध का बीज
मंत्र
ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः
मंत्र को जपने विधि
- मंत्र का
जाप बुधवार के दिन बुध की होरा या बुध के नक्षत्र में प्रारंभ करें।
- मंत्र जाप
के लिए एक निश्चित संख्या, समय और स्थान को सुनिश्चित करें।
- मंत्र जाप
के लिए आसन बिछाकर पूर्व की ओर मुख करके बैठें।
- हाथ में जल
लेकर मंत्र पूर्ण करने का संकल्प करें।
- 108 गुरियों वाली माला के साथ मंत्र जाप करें।
- ध्यान रहे, मंत्र जाप की जो
संख्या आपने चुनी है वह संख्या अगली बार घटे नहीं।
- मंत्र जाप
के समय खाँसना, छींकना या जम्हाई लेना, बात
करना अथवा ज्यादा हिलना ढुलना नहीं चाहिए।
- मंत्र का
जाप करते समय बुध देव का ध्यान करें।
- मंत्र जाप
से पहले स्नान करके शुद्ध होकर और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
बृहस्पति ग्रह से संबंधित मंत्र
बृहस्पति को देव गुरु कहा जाता है। यह धर्म, ज्ञान और संतान का कारक है। यदि कुंडली में गुरु की स्थिति कमज़ोर होती है
तो संतान प्राप्ति में बाधा, पेट से संबंधी विकार और मोटापे
की समस्या होती है। अतः गुरु की शांति के लिए जातकों को इससे संबंधित मंत्रों का जाप करना चाहिए। बृहस्पति ग्रह धनु और मीन राशि का स्वामी है अतः इस राशि के जातक बृहस्पति मंत्र का जाप कर सकते
हैं। अथवा जिन जातकों की कुंडली गुरु पीड़ित या कमज़ोर स्थिति में है तो उन्हें भी
गुरु मंत्र का जाप करना चाहिए।
गुरु का वैदिक
मंत्र
ॐ बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु।
यद्दीदयच्छवस ऋतप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्।।
गुरु का
तांत्रिक मंत्र
ॐ बृं बृहस्पतये नमः
बृहस्पति का
बीज मंत्र
ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः
मंत्र को जपने विधि
- मंत्र का
जाप गुरुवार के दिन गुरु की होरा या गुरु के नक्षत्र में प्रारंभ करें।
- मंत्र जाप
के लिए एक निश्चित संख्या, समय और स्थान को सुनिश्चित करें।
- मंत्र जाप
के लिए आसन बिछाकर पूर्व की ओर मुख करके बैठें।
- हाथ में जल
लेकर मंत्र पूर्ण करने का संकल्प करें।
- 108 गुरियों वाली माला के साथ मंत्र जाप करें।
- ध्यान रहे, मंत्र जाप की जो
संख्या आपने चुनी है वह संख्या अगली बार घटे नहीं।
- मंत्र जाप
के समय खाँसना, छींकना या जम्हाई लेना, बात
करना अथवा ज्यादा हिलना ढुलना नहीं चाहिए।
- मंत्र का
जाप करते समय गुरु देव का ध्यान करें।
- मंत्र जाप
से पहले स्नान करके शुद्ध होकर और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
शुक्र के मंत्र
शुक्र को भौतिक सुखों और कामुक विचारों का कारक कहा जाता
है। कुंडली में यदि शुक्र ग्रह अपनी मजबूत स्थिति में न हो तो जातकों के आर्थिक, भौतिक एवं कामुक सुखो में कमी आ जाती है। इसके अलावा व्यक्ति को डायबिटीज़
की समस्या भी हो जाती है। शुक्र ग्रह की शांति के लिए इसके वैदिक और तांत्रिक मंत्रों का जाप करना चाहिए। शुक्र ग्रह वृषभ और तुला राशि का स्वामी है अतः इन राशि के जातकों को शुक्र के मंत्र का जाप करना
चाहिए। साथ ही वे जातक शुक्र मंत्र जाप कर सकते हैं जिनकी कुंडली शुक्र ग्रह
कमज़ोर है।
शुक्र का वैदिक
मंत्र
ॐ अन्नात्परिस्त्रुतो रसं ब्रह्मणा व्यपिबत् क्षत्रं पय: सोमं
प्रजापति:।
ऋतेन सत्यमिन्द्रियं विपानं शुक्रमन्धस इन्द्रस्येन्द्रियमिदं
पयोऽमृतं मधु।।
शुक्र का
तांत्रिक मंत्र
ॐ शुं शुक्राय नमः
शुक्र का बीज
मंत्र
ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः
मंत्र को जपने विधि
- मंत्र का
जाप शुक्रवार के दिन शुक्र की होरा या शुक्र के नक्षत्र में प्रारंभ करें।
- मंत्र जाप
के लिए एक निश्चित संख्या, समय और स्थान को सुनिश्चित करें।
- मंत्र जाप
के लिए आसन बिछाकर पूर्व की ओर मुख करके बैठें।
- हाथ में जल
लेकर मंत्र पूर्ण करने का संकल्प करें।
- 108 गुरियों वाली माला के साथ मंत्र जाप करें।
- ध्यान रहे, मंत्र जाप की जो
संख्या आपने चुनी है वह संख्या अगली बार घटे नहीं।
- मंत्र जाप
के समय खाँसना, छींकना या जम्हाई लेना, बात
करना अथवा ज्यादा हिलना ढुलना नहीं चाहिए।
- मंत्र का
जाप करते समय मंगल देव का ध्यान करें।
- मंत्र जाप
से पहले स्नान करके शुद्ध होकर और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
शनि ग्रह से संबंधित मंत्र
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि हमारे कर्मों के अनुसार ही
फल देता है। इसलिए शनि को कर्म के भाव का स्वामी भी कहा जाता है। कुंडली में शनि
के कमजोर होने से नौकरी, व्यापार अथवा कार्य क्षेत्र में विपत्तियाँ
आती हैं। ऐसी परिस्थिति में शनि ग्रह की शांति के लिए जातकों को शनि से संबंधित मंत्रों का जाप अवश्य करना चाहिए। शनि मकर और कुंभ राशि का स्वामी है। अतः इन राशि के जातकों को शनि मंत्र का विधि पूर्वक
जाप करना चाहिए और वे जातक भी शनि मंत्र का जाप कर सकते हैं जो अपनी कुंडली में
शनि ग्रह को बली करना चाहते हैं।
शनि का वैदिक
मंत्र
ॐ शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।
शं योरभि स्त्रवन्तु न:।।
शनि का
तांत्रिक मंत्र
ॐ शं शनैश्चराय नमः
शनि का बीज
मंत्र
ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः
मंत्र को जपने विधि
- मंत्र का
जाप शनिवार के दिन शनि की होरा या शनि के नक्षत्र में प्रारंभ करें।
- मंत्र जाप
के लिए एक निश्चित संख्या, समय और स्थान को सुनिश्चित करें।
- मंत्र जाप
के लिए आसन बिछाकर पूर्व की ओर मुख करके बैठें।
- हाथ में जल
लेकर मंत्र पूर्ण करने का संकल्प करें।
- 108 गुरियों वाली माला के साथ मंत्र जाप करें।
- ध्यान रहे, मंत्र जाप की जो
संख्या आपने चुनी है वह संख्या अगली बार घटे नहीं।
- मंत्र जाप
के समय खाँसना, छींकना या जम्हाई लेना, बात
करना अथवा ज्यादा हिलना ढुलना नहीं चाहिए।
- मंत्र का
जाप करते समय शनि देव का ध्यान करें।
- मंत्र जाप
से पहले स्नान करके शुद्ध होकर और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
राहु ग्रह से संबंधित मंत्र
राहु को क्रूर ग्रह की संज्ञा प्रदान की गई है। कुंडली में
राहु दोष लगने से व्यक्ति को मानसिक तनाव, आर्थिक नुकसान और गृह क्लेश
आदि का सामना करना पड़ता है। अपवाद परिस्थितियों को छोड़ दिया जाए तो राहु जातकों
के लिए क्लेशकारी ही सिद्ध होता है। राहु ग्रह की शांति के लिए इसके वैदिक और तांत्रिक मंत्र जाप करना चाहिए।
राहु का वैदिक
मंत्र
ॐ कया नश्चित्र आ भुवदूती सदावृध: सखा।
कया शचिष्ठया वृता।।
राहु का
तांत्रिक मंत्र
ॐ रां राहवे नमः
राहु का बीज
मंत्र
ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः
मंत्र को जपने विधि
- मंत्र का
जाप बुधवार के दिन या राहु के नक्षत्र में प्रारंभ करें।
- मंत्र जाप
के लिए एक निश्चित संख्या, समय और स्थान को सुनिश्चित करें।
- मंत्र जाप
के लिए आसन बिछाकर पूर्व की ओर मुख करके बैठें।
- हाथ में जल
लेकर मंत्र पूर्ण करने का संकल्प करें।
- 108 गुरियों वाली माला के साथ मंत्र जाप करें।
- ध्यान रहे, मंत्र जाप की जो
संख्या आपने चुनी है वह संख्या अगली बार घटे नहीं।
- मंत्र जाप
के समय खाँसना, छींकना या जम्हाई लेना, बात
करना अथवा ज्यादा हिलना ढुलना नहीं चाहिए।
- मंत्र का
जाप करते समय राहु का ध्यान करें।
- मंत्र जाप
से पहले स्नान करके शुद्ध होकर और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
केतु ग्रह से संबंधित मंत्र
केतु को तर्क, कल्पना और मानसिक गुणों आदि का
कारक कहा जाता है। यदि कुंडली में केतु की स्थिति ठीक न हो तो जातकों को इसके
कष्टकारी परिणाम मिलते हैं। इसकी प्रतिकूलता से जातकों को दाद-खाज तथा कुष्ट जैसे
रोग होते हैं। इसलिए केतु की शांति के उपाय करना आवश्यक है और इसमें मंत्र जाप बेहद कारगर उपाय हैं।
केतु का वैदिक
मंत्र
ॐ केतुं कृण्वन्नकेतवे पेशो मर्या अपेशसे।
सुमुषद्भिरजायथा:।।
केतु का
तांत्रिक मंत्र
ॐ कें केतवे नमः
केतु का बीज
मंत्र
ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः
मंत्र को जपने विधि
- मंत्र का
जाप बुधवार के दिन या केतु नक्षत्र में प्रारंभ करें।
- मंत्र जाप
के लिए एक निश्चित संख्या, समय और स्थान को सुनिश्चित करें।
- मंत्र जाप
के लिए आसन बिछाकर पूर्व की ओर मुख करके बैठें।
- हाथ में जल
लेकर मंत्र पूर्ण करने का संकल्प करें।
- 108 गुरियों वाली माला के साथ मंत्र जाप करें।
- ध्यान रहे, मंत्र जाप की जो
संख्या आपने चुनी है वह संख्या अगली बार घटे नहीं।
- मंत्र जाप
के समय खाँसना, छींकना या जम्हाई लेना, बात
करना अथवा ज्यादा हिलना ढुलना नहीं चाहिए।
- मंत्र का
जाप करते समय केतु का ध्यान करें।
- मंत्र जाप
से पहले स्नान करके शुद्ध होकर और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
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