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शनि की साढ़े का जीवन पर प्रभाव कैसे जाने?

शनि की साढ़े का जीवन पर प्रभाव कैसे जाने? 

शनि की साढेसाती में शनि तीन राशियों पर गोचरवश परिभ्रमण करता है। तीन राशियों पर शनि के गोचर को साढेसाती कहते हैं। जब शनि जन्‍म या लग्‍न राशि से बारहवें, पहले व दूसरे हो तो शनि की साढ़े साती होती है। यदि शनि चौथे या आठवें हो तो शनि की ढैया होती है। तीन राशिओं के परिभ्रमण में शनि को । सात वर्ष लगते हैं। ढाई-ढाई वर्ष के तीन चरण में शनि भिन्‍न-भिन्‍न फल देता है। शनि की साढेसाती चल रही है यह सुनते ही लोग भयभीत हो उठते हैं और मानसिक तनाव में आ जाते हैं। ऐसे में उसके मन में आने वाले समय में होने वाली घटनाओं को लेकर तरह-तरह के विचार कौंधने लगते है। शनि की साढेसाती को लेकर परेशान न हों, शनि आपको अनुभवी बनाता है। आईये शनि के चरणों को समझने का प्रयास करते है-

साढेसाती के विभिन्‍न चरणों का फल- 

तीनों चरणों हेतु शनि की साढेसाती निम्न रुप से प्रभाव डाल सकती है-

प्रथम चरण - वृ्षभ, सिंह, धनु राशियों के लिये कष्टकारी होता है।
द्वितीय चरण - मेष, कर्क, सिंह, वृ्श्चिक, मकर राशियों के लिये प्रतिकूल होता है।
अन्तिम चरण- मिथुन, कर्क, तुला, वृ्श्चिक, मीन राशि के लिये कष्टकारी माना जाता है।

शनि का साढ़े साती का आपके जीवन पर प्रभाव कैसा होगा इसका विश्‍लेषण ईमेल पर पा सकते हैं। इसके लिए अपना जन्‍म विवरण लिखकर whatsapp या इ-मेल पर भेज दें। आपको whatsapp या email पर बता देंगे कि शनि आपको कितना सताएगा। इस परेशानी से बचने के क्‍या उपाय हैं। इसके लिए विवरण फार्म में भरें या व्हाट्सअप करें जोकि सम्‍पर्क करें में दे रखा है। इसका शुल्‍क है : रू 500/- 

प्रथम चरण का फल

साढेसाती का प्रथम चरण-कहते हैं कि इस चरण में शनि मस्‍तक पर रहता है। इस चरणावधि में व्यक्ति की आर्थिक स्थिति प्रभावित होती है। आय की तुलना में व्यय अधिक होते है। सोचे गए कार्य बिना बाधाओं के पूरे नहीं होते है। आर्थिक तंगी के कारण अनेक योजनाएं आरम्भ नहीं हो पाती है। अचानक धनहानि होती है, अनिद्रा रोग हो सकता है एवं स्‍वास्‍थ्‍य खराब रहता है। भ्रमण के कार्यक्रम बनकर बिगडते रह्ते है। यह अवधि बुजुर्गों हेतु विशेष कष्टकारी सिद्ध होती है। मानसिक चिन्ताओं में वृ्द्धि हो जाती है। पारिवारिक जीवन में बहुत सी कठिनाईयां आती है और परिश्रम के अनुसार लाभ नहीं मिलता है. 

साढे़ साती का द्वितीय चरण 

व्यक्ति को शनि साढेसाती की इस अवधि में पारिवारिक तथा व्यवसायिक जीवन में अनेक उतार-चढाव आते है। उसके संबंधी भी उसको कष्ट देते है, उसे लम्बी यात्राओं पर जाना पड सकता है और घर-परिवार से दूर रहना पड़ता है। रोगों में वृ्द्धि होती है, संपति से संम्बन्धित मामले परेशान कर सकते है। मित्रों एवं स्‍वजनों का सहयोग समय पर नहीं मिल पाता है. कार्यों के बार-बार बाधित होने के कारण व्यक्ति के मन में निराशा घर कर जाती है। कार्यो को पूर्ण करने के लिये सामान्य से अधिक प्रयास करने पडते है. आर्थिक परेशानियां तो मुहं खोले खड़ी रहती हैं।

साढे साती का तीसरा चरण 

शनि साढेसाती के तीसरे चरण में भौतिक सुखों में कमी होती है, उसके अधिकारों में कमी होती है और आय की तुलना में व्यय अधिक होता है, स्वास्थय संबन्धी परेशानियां आती है, परिवार में शुभकार्य बिना बाधा के पूरे नहीं होते हैं। वाद-विवाद के योग बनते है और संतान से वैचारिक मतभेद उत्पन्न होते है. यह अवधि कल्याण कारी नहीं रह्ती है. इस चरण में वाद-विवादों से बचना चाहिए

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