कुंडली में शनि-चंद्र का विष योग
Saturn and Moon conjuction in Astrology
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि-चन्द्र विष योग किसी भी जातक के लिए बेहद खतरनाक होता है। जब चंद्रमा शनि के साथ गोचर करता है तो इस ‘विष योग’ का निर्माण होता है। कुंडली में शनि-चंद्र एक साथ होने पर स्थाई विष योग होता है। इसके अलावा ग्रहों की चाल के अनुसार विष योग प्रत्येक महीने भी हर राशियों में पड़ता है जो कि कुंडली के प्रसिद्ध खतरनाक योगों में से एक है। इस योग के कारण जीवन नर्क सा हो जाता है रिलेशन लाइफ में हमेशा प्रॉब्लम बनी रहती है जो भी कार्य करते हैं वह जहर हो जाता है।कुंडली में चंद्रमा की स्थिति बहुत महत्वपूर्ण होती है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में चन्द्रमा शुभ ग्रह के साथ है तो व्यक्ति को जीवन कई सुख प्राप्त होते हैं। जबकि चंद्रमा अशुभ ग्रह अथवा पाप ग्रह से संबंधित हो तो व्यक्ति को बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
विष योग एक ऐसा योग है जिसके कारण पीड़ीत को बहुत दु:ख भोगने पड़ते हैं यहां तक की मृत्यु तक का भय सताने लगता है। प्रत्येक माह में सभी 12 राशियां एक बार अवश्य विष योग से पीड़ीत होती हैं। क्योंकि चंद्रमा माह में एक बार जरूर शनि के साथ गोचररत होता है। वही वो समय भी होता है जब सभी राशियां विष योग से प्रभावित होती हैं। कई बार हमारा बना बनाया काम ऐन समय पर ऐसे बिगड़ जाता है कि हमें पता भी नहीं चलता कि ऐसा कब और कैसे हो गया। ऐसे में विष योग के नकारात्मक प्रभाव से बचने के उपाय जानना बहुत ही आवश्यक होता है। आइये जानते हैं विष योग कैसे बनता है।
शनि-चंद्र के कारण बनता है विष योग-
कुंडली में चंद्र और शनि एक साथ होते हैं तो विष योग बनता है। यदि चंद्र पर शनि की नजर पड़ रही है, तब भी विष योग का असर रहता है। यह योग अशुभ फल प्रदान करने वाला है। कुंडली के जिस भाव में विष योग बनता है, उससे संबंधित अशुभ फल व्यक्ति को मिलते हैं। इस योग से व्यक्ति का मन अधिकतर दुखी रहता है और वह अकेलापन महसूस करता है।
माता का कारक है चंद्र-
चंद्र माता का कारक ग्रह है, इसीलिए इसकी स्थिति से माता के जुड़ी बातें मालूम हो सकती हैं। विष योग होने से व्यक्ति को माता के स्वास्थ्य के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस योग से माता के सुख में कमी आती है। माता और संतान के विचार अलग-अलग होते हैं। इस योग का असर माता की आयु पर भी हो सकता है।
शनि-चंद्र के विष योग के कारण वैवाहिक जीवन में आती हैं परेशानियां-
जब विष योग सप्तम भाव में हो तो व्यक्ति के जीवन में बहुत अधिक मानसिक तनाव बना रहता है। विवाह होने में बाधाएं आती हैं। विवाह हो जाता है तो जीवन साथी से मतभेद रहते हैं। विचार अलग-अलग होने से वाद-विवाद की स्थिति भी बनती है।जानें दस उपाय जिनसे कम होता है विष योग का प्रभाव
शनि-चंद्र के विष योग से बचने के उपाय-
विष योग चूंकि चंद्रमा और शनि की युति के परिणामस्वरूप बनता है तो ऐसे में चंद्रमा और शनि के इस दोष को शांत करने के लिये निम्न उपाय करने चाहिये –
▪ प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव का अभिषेक करें और धतूरे का फल चढ़ाएं फल चढ़ाते वक्त भगवान से आराधना करते हुए कहा कि जिस तरह पूरे संसार का विष आपने अपने कंठ में धारण कर लिया था मैं अपने जीवन में ग्रहों के कारण आए विष को आपको अर्पित करता हूं।
▪पीपल के पेड़ में अनेक देवी-देवताओं का वास माना जाता है। इसलिये धार्मिक दृष्टि से इसका बहुत अधिक महत्व होता है। विष योग से बचने के लिये भी पीपल वृक्ष के नीचे नारियल को सात बार अपने सिर से वार कर फोड़ना चाहिये और इसे प्रसाद रूप में वितरित करना चाहिये। इससे उपाय से विष योग के नकारात्मक प्रभाव से आप बच सकते हैं। पीपल के वृक्ष पर प्रतिदिन जल चढ़ाएं।
▪शनिदेव को प्रसन्न करने के लिये शनिवार का दिन बहुत ही अहम माना जाता है यदि यह दिन शनि अमावस्या का हो तो और भी बेहतर रहता है। शनिवार या शनि अमावस्या के अवसर पर संध्या बेला में जब सूर्य अस्त हो चुका हो तो उस समय शनिदेव की प्रतिमा या फिर उनके शिला रूप पर तेल चढ़ाना चाहिये। सरसों के तेल में काली उड़द व काले तिल डालकर उसका दिया जलाना चाहिये। शनिदेव के बीज मंत्र ॐ शं शनैश्चरायै नम: का जाप करते हुए मंत्र के प्रत्येक अक्षर को आक के पत्तों पर काजल व सरसों के तेल से बनी स्याही से लोहे की कील से अलग-अलग पत्तों पर लिखें। यह दस आक के पत्तों पर लिखा जायेगा। तत्पश्चात इन पत्तों को काले धागे से बांधकर माला रूप में शनि प्रतिमा या शिला पर अर्पित करें।
▪शनि मंदिर में गुड़, गुड़ से बनी रेवड़ी, तिल के लड्डू आदि का प्रसाद चढ़ाने के पश्चात इसे वितरीत करें, गाय, कुत्ते व कौओं को भी प्रसाद डालें। यह भी विष योग के विषाक्त प्रभावों को कम करने का कारगर उपाय माना जाता है।
▪पानी से भरे घड़े का शनि या हनुमान मंदिर में दान करना भी विष योग से पीड़ीत जातक को राहत देने वाला माना जाता है।
▪पूर्णमासी के दिन भगवान शिव शंकर के मंदिर में रूद्राभिषेक करवाने से भी विष योग का प्रभाव कम हो सकता है।
▪महामृत्युंजय मंत्र का जाप हर प्रकार के कष्ट से बचने में सहायता करता है। विषयोग के प्रभाव से बचने के लिये भी यदि शुक्ल पक्ष में आने वाले पहले सोमवार को रूद्राक्ष माला से कम से कम पांच माला इस मंत्र का जाप किया जाये तो विषयोग के प्रभाव से बचा सकता है।
▪माता-पिता व घर के बड़े बुजूर्गों के आशीर्वाद से भी हर विपदा का सामना किया जा सकता है। विषयोग के प्रभाव से बचने के लिये नित्य यह नियम अपनायें कि आपको अपने माता-पिता सहित बड़े बुजूर्गों के चरण स्पर्श कर उनका आशीर्वाद लेना है। इससे भी आप विषयोग के प्रभाव को कम कर सकते हैं।
▪शनिवार के दिन यदि कुंए में दूध अर्पित करें तो इससे भी शनि की कृपा प्राप्त होती है। विष योग का प्रभाव कम होने की मान्यता भी इस उपाय से जुड़ी है।
▪भगवान बजरंग बली हनुमान जिन्हें संकच मोचन भी कहा जाता है इनकी पूजा से भी विष योग से बचा जा सकता है। इसके लिये किसी भी हनुमान मंदिर में या फिर घर के पूजा स्थल में हनुमान जी की प्रतिमा के समक्ष शुद्ध घी का दिया जलाकर अपने गुरु व भगवान श्री हनुमान का आह्वान करते हुए कम से कम 49 पाठ सुंदरकांड के किये या करवाये जायें तो विषयोग को निष्प्रभावी किया जा सकता है।
▪भगवान श्री हनुमान जी को शुद्ध घी व सिंदूर बहुत प्रिय माने जाते हैं अत: मान्यता है कि घी व सिंदूर का चोला चढ़ाकर हनुमत प्रतिमा के दांये पैर के सिंदूर को मस्तक पर धारण किया जाये तो विष योग जैसे हर कष्ट से बचा जा सकता है।
Saturn and Moon conjuction in Astrology Shani chandra visha yog
Saturn is the harsh planet. Saturn is stress, fear, and anxiety. Saturn is cold, practical and realistic planet. Saturn is planet of karma, it deals with the karma whether it is good or bad. Wherever Saturn is sitting in the chart it shows a major impact for that house. Saturn gives result according the naive past life and present life karma. Saturn doesn’t miss a chance to deliver his particular type of life lesson in the life of a native. Saturn time makes to understand about life and allowing to live a meaningful life.
The Moon is the opening to receive something. Moon is peace of mind, emotions, imagination, emotional response, peace at heart and mother in astrology. Moon is very gentle planet, sensitive and caring planet. It is selfless love of mother.
Saturn is the most difficult planet in astrology. Any planets conjunct with Saturn, Saturn starve that planet. Moon always want to be happy and peaceful, The Moon is the emotional happiness and balance of mind. But when it conjunct with Saturn, it is not happy. These people have stress, fear and anxiety problem as general in life. They have difficulty in showing their feelings and affections to others, they might even feel disconnected with their feelings. As Moon represent mother this conjunction also shows that these people have mother who have very strict nature which keeps them very structured and organized. But in childhood we all want some freedom and not like to be restricted therefore it gives strained relationship with mother. This situation can happen with child whose mother is busy in something and have no time for their kids. Or sometimes mother also doesn’t feel connected emotionally with that particular kid who have this conjunction. Whatever the reasons ultimately child suffers. According to their child nourishment through mother they develop their psychology. As they lack in emotional and motherly nurturing they also become very cold and harsh in emotional nature. As they grow they tend to expect the same from their relationships, so in order not to be hurt from others they do not connect too deeply emotionally with others as a protective measure. They also suffer from poor self-image in young age, which even if they try to hide, is felt by others as a vibration of “I am not worthy enough” “why would anyone love me” “I do not deserve good things”. It can make the person a bit colder or reserved in expressing emotions and person suffer from difficult emotions and inner pain. In the worst cases they will have periods of dejection and depression when they just give up and do not want to try anything.
Saturn is limitation in life. It sets boundaries to what we can and cannot achieve. Saturn is responsibility. In Saturn and Moon conjunction the mind become heavy due to too much of responsibility of life. It can depress the mind or put a burden of responsibility and feeling of heaviness on our emotional state. Saturn put boundaries to the Moon, the person not get what he want it makes them depressed.
On the positive side, Saturn and Moon conjunction makes people, structure, organized, practical discipline which is required any successful career. So they often succeed in life through true devotion to work and hard work and through constantly trying to perfect their weaknesses, as they are so aware of them. They are a good example of self-control, discipline, hardworking, and determination to do all efforts necessary to succeed.
Even though these people are very sensitive and take things very personally but they never show their weakness in front of others. These people should work on forgiving because it is the only way for them to release their pain and pressure they feel emotionally. All these more painful states tend to improve with age. Usually around 1st Saturn return around 28 of age onwards, Saturn matures and the person has learned the harsher lessons of Saturn and learned enough and how to forgive. Their emotions become much better after with age.
These people need to recite Hanuman chalisa to fight their stress, fear and anxiety in life. Mostly don’t know the power of these things but they must try if they are suffering through Moon and Saturn affliction in the birth chart.
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