यदि आपका मुख्य ग्रह कमजोर होगा तो ज़िंदगी संघर्षों से भरी रहती है और यदि आपका मुख्य ग्रह मजबूत होगा तो वह विपरीत स्थितियों में भी रास्ता बना लेता है. कैसे पता करें अपना का मुख्य ग्रह को ।
how to find mukhya grah and isht dev in kundli कुंडली में मुख्य ग्रह और इस्त देव कैसे पता करेंmukhya grah and isht dev कुंडली में लग्न से मुख्य ग्रह का पता लगता है।
जन्म कुंडली का लग्नेश ही मुख्य ग्रह होता है
लग्न मुख्य ग्रह इष्ट देव :
मेष, वृश्चिक मंगल हनुमान जी, राम जी
वृषभ, तुला शुक्र दुर्गा जी
मिथुन, कन्या बुध गणेश जी, विष्णु
कर्क चंद्र शिव जी
सिंह सूर्य गायत्री, हनुमान जी
धनु, मीन गुरु विष्णु जी (सभी रूप), लक्ष्मी जी
मकर, कुंभ शनि हनुमान जी, शिव जी
मुख्य ग्रह अगर ठीक नही है तो उपाय करने होगे :
मुख्य ग्रह को अनुकूल करने के लिये उसका उपाय करना चाहिए।
जन्मकुंडली न हो तो क्या करें
अगर आप अपने जन्म की दिनांक या समय आदि ठीक से नहीं मालूम हो तो हमारा हाथ हमारी सहायता करता है। कुंडली में एक मुख्य ग्रह होता है. मुख्य ग्रह कमजोर होगा तो ज़िंदगी संघर्षों से भरी रहती है और यदि आप का मुख्य ग्रह मजबूत होगा तो वह विपरीत स्थितियों में भी रास्ता बना लेता है. कैसे पता करें अपना मुख्य ग्रह।उस ग्रह के अनुसार ही मनुष्य का जीवन प्रभावित होता है। मुख्य ग्रह का पता लगाकर मजबूत किया जाए तो जीवन की दिशा बदली जा सकती है।
मुख्य ग्रह को हस्त रेखा से जान सकते है। अपने हाथ को गौर से देखें। पाँचों ऊँगलियों के पर्वतो को देखे । तर्जनी से अँगूठे तक ये क्रमश: गुरु, शनि, सूर्य, बुध और शुक्र पर्वत होते है । हाथ के बीच में : मंगल, राहु और केतु के पर्वत होते हैं। प्रत्येक पर्वत को दबा दबा कर देखें। जो पर्वत उभरा हुआ होता है, और जिस पर कोई कटी-फटी रेखाएँ ,दाग-धब्बे-तिल आदि नहीं होते है, तो वह पर्वत आपका मजबूत ग्रह होगा । अगर पर्वत दबे हुए, कटी-फटी रेखाओं वाले हो तो नीच ग्रह कहलायेगे। रेखाएँ आड़ी या एक-दूसरे को काटने वाली रेखाएँ शुभ नहीं होती। उभरे पर्वतों को देखेंगे। इसमे सबसे मजबूत और साफ-सुथरा पर्वत चुनेंगे। यह आपका मुख्य ग्रहहोगा जिसको मजबूत करने से, आपको लाभ मिलेगा। अब दबे हुए पर्वतों को देखें। ये वो ग्रह है जो आपको परेशानी दे सकते हैं।
मुख्य ग्रह को अनुकूल करने के लिये उसका उपाय करना चाहिए।
यदि मुख्य ग्रह सूर्य को प्रबल करना है तो निम्न उपाय करें।
मुख्य ग्रह जानना जरुरी होता है क्यूंकि यही ग्रह है जो की आपकी तन, मन और धन की आवश्यकता पूरी करता हैै।
यदि मुख्य ग्रह सूर्य को प्रबल करना है तो निम्न उपाय करें।
मुख्य ग्रह सूर्य:
यदि सूर्य मुख्य ग्रह होकर अच्छा फल देने में असमर्थ हो तो निम्न उपाय करने चाहिए।
घर की पूर्व दिशा वास्तुशास्त्र अनुसार ठीक करें।
भगवान विष्णु की आराधना करे ।
बंदर, गाय को भोजन कराएं।
सूर्य को अर्घ्य देना।
ताम्र पत्र में शुद्ध जल ,लाल पुष्प ,लाल चन्दन या कुषा डालकर सूर्य को "ॐ घ्रिणी सूर्याय नमः" से अर्घ्य दें .
लाल चन्दन या केशर का तिलक लगायें.
रविवार का व्रत रखना चाहिए ।
मुंह में मीठा डालकर ऊपर से पानी पीकर ही घर से निकलना चाहिए ।
पिता का सम्मान करना चाहिए ।
आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना चाहिए ।
गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए ।
तांबा, गेहूं एवं गुड़ का दान करना चाहिए ।
कार्य पर जाने के समय मीठा खाकर कर जावे ।
ॐ घृणी सूर्याय नमः जाप करें।
गाय का दान करना चाहिए.।
गाय को गेहुं और गुड़ मिलाकर खिलाना चाहिए .
गाय की सेवा करनी चाहिए ।
सुबह उठकर सूर्य देवता को अध्र्य देना चाहिए .
गुड़, सोना, तांबा और गेहूं
सूर्य से सम्बन्धित रत्न का दान .
रविवार के दिन व्रत करना चाहिए.
किसी ब्राह्मण अथवा गरीब व्यक्ति को गुड़ का खीर खिलाने
पिता एवं अन्य बुजुर्गों की सेवा करनी चाहिए।
प्रात: उठकर सूर्य नमस्कार करना चाहिए
सूर्य को बली बनाने के लिए व्यक्ति को प्रातःकाल सूर्योदय के समय उठकर लाल पुष्प वाले पौधों एवं वृक्षों को जल से सींचना चाहिए।
रात्रि में ताँबे के पात्र में जल भरकर सिरहाने रख दें तथा दूसरे दिन प्रातःकाल उसे पीना चाहिए।
ताँबे का कड़ा दाहिने हाथ में धारण किया जा सकता है।
किसी भी महत्त्वपूर्ण कार्य पर जाते समय घर से मीठी वस्तु खाकर निकलना चाहिए।
हाथ में मोली (कलावा) छः बार लपेटकर बाँधना चाहिए।
लाल चन्दन को घिसकर स्नान के जल में डालना चाहिए।
सूर्य रत्न माणिक रविवार के दिन शुक्ल पक्ष में ,दायें हाथ की अनामिका में धारण करें.
जड़ी बूट बेलपत्र की जड़,रविवार कोलाल धागे में दायें बाजू में बाँधें.
दान : गेहूं, लाल वस्त्र,लाल फल (अनार),लाल मिठाई (गुड़),सोना,गाय,तांबा, किसी ब्राह्मण को रविवार के दिन दान करें.
मंत्र ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः". सूर्य गायत्र ,ॐ आदित्याय विद्महे दिवाकराय धीमहि तन्नो सूर्यः प्रचोदयात".
स्तोत्र,सूर्याष्टकम या आदित्यहृदय स्तोत्रं.
पुराण,हरिवंश पुराण का पाठ. व्रत,
कार्य को प्रारंभ करने से पूर्व थोडा मीठा मुहँ में डाल कर पानी पी लें.
मुख्य ग्रह चंद्र :
मुख्य ग्रह चंद्र को अनुकूल करने के लिए निम्नलिखित उपाय करें।
प्रतिदिन माता का आशीर्वाद लेना।
शिव की भक्ति। सोमवार का व्रत।
दान :सोमवार को सफेद वस्तु जैसे दही, चीनी, चावल, सफेद वस्त्र,1 जोड़ा जनेऊ, दक्षिणा के साथ दान करना।
शंख, वंशपात्र, सफेद चंदन, श्वेत पुष्प, ,बैल, दही ।
मोती धारण करे ।
'ॐ सोम सोमाय नमः' का 108 बार जाप करना ।
बुजुर्गो का आशीर्वाद लें ,माता की सेवा करे, घर के बुजुगों ,साधु और ब्राह्मणों का आशीर्वाद लेना ।
रात में सिराहने के नीचे पानी रखकर सुबह उसे पौधों में डालना ।
उत्तरी पश्चिमी कोना चंद्रमा का होता है, यहां पौधे लगाए जाएं ।
जल से होने वाले पेट संबंधित रोग का होना .
मातृप्रेम में कमी का होना।
खिरनी की जड़ को सफेद कपड़े में बांधकर पूर्णमाशी को सायंकाल गले में धारण करना ।
देर रात्रि तक नहीं जागना चाहिए।
चन्द्रमा की रोशनी मैं सोना चाहिए।
घर में दूषित जल का संग्रह नहीं होना चाहिए।
वर्षा का पानी काँच की बोतल में भरकर रखे।
पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करना चाहिए।
सफेद सुगंधित पुष्प वाले पौधे घर में लगावे।
खिरनी की जड़ को सफेद डोरे में बांधकर पहनने से लाभ होता है।
हवन में पलाश की लकड़ी का समिधा की तरह उपयोग करना चाहिए।
’ऊं श्रां श्रीं श्रौं स: चंद्रमसे नम:’’ का पाठ करे ।
माता, नानी, दादी, सास एवं इनके पद के समान वाली स्त्रियों को कष्ट नही देना चाहिए।
ऊँ सों सोमाय नमः मंत्र का जप करें।
ऊँ नमः शिवाय का जप करें।
चांदी का कड़ा या छल्ला पहनना चाहिए।
चंदन का तिलक लगाना चाहिए।
शिवलिंग पर दूध चढ़ाना चाहिए ।
पलंग के नीचे चांदी के बर्तन में जल रखें या चांदी के आभूषण धारण करना चाहिए ।
गन्ना, सफेद गुड़, शक्कर, दूध या दूध से बने पदार्थ या सफेद रंग की मिठाई का सेवन करना चाहिए ।
चमेली तथा रातरानी का परफ्यूम या इत्र का उपयोग करता चाहिए ।
क्क श्रां: श्रीं: श्रौं: सः चंद्रमसे नमः का जप करें।
चांदी के गिलास में जल पिएं।
शिव जी की उपासना करें।
मुख्य ग्रह मंगल :
मुख्य ग्रह मंगल को अनुकूल करने के लिए निम्न उपाय करें।
लाल रंग का बैल दान करना चाहिए. लाल रंग का वस्त्र, सोना, तांबा, मसूर दाल, बताशा, मीठी रोटी का दान देना चाहिए. मंगल से सम्बन्धित रत्न दान देने से भी पीड़ित मंगल के दुष्प्रभाव में कमी आती है. मंगलवार के दिन व्रत करना चाहिए और ब्राह्मण अथवा किसी गरीब व्यक्ति को भर पेट भोजन कराना चाहिए. प्रतिदिन 10 से 15 मिनट ध्यान करना उत्तम रहता है. धैर्य बनाये रखने का अभ्यास करना चाहिए एवं छोटे भाई बहनों का ख्याल रखना चाहिए. लाल कपड़े में सौंफ बाँधकर अपने शयनकक्ष में रखनी चाहिए।
अपना घर बनवाये तो उसे घर में लाल पत्थर अवश्य लगवाना चाहिए। बन्धुजनों को मिष्ठान्न का सेवन कराने से भी मंगल शुभ बनता है।
लाल वस्त्र ले कर उसमें दो मुठ्ठी मसूर की दाल बाँधकर मंगलवार के दिन किसी भिखारी को दान करनी चाहिए।
मंगलवार के दिन हनुमानजी के चरण से सिन्दूर ले कर उसका टीका माथे पर लगाना चाहिए।
बंदरों को गुड़ और चने खिलाने चाहिए।
अपने घर में लाल पुष्प वाले पौधे या वृक्ष लगाकर उनकी देखभाल करनी चाहिए।
मजदूरों को मंगलवार को मिठाई खिलाएं। लाल मसूर का दान करें। मंगलवार को सुंदर कांड का पाठ करें।
मुख्य ग्रह बुध :
यदि बुध मुख्य ग्रह होकर अच्छा फल देने में असमर्थ हो तो निम्न उपाय करने चाहिए।
बुधवार के दिन शुभ मुहूर्त में बुध से संबंधित उपाय
बुधवार का उपवास करें|
उबले हुए मूंग गरीब व्यक्ति को खिलाएं|
गणेशजी की अभ्यर्थना दूर्वा से करें|
हरे वस्त्र, मूंग की दाल का दान बुधवार।
अपने वजन के बराबर हरी घांस गायों को खिलाएं|
बहिन व बेटियों का सम्मान करें|
गायों को पालक खिलाने से रूका हुआ धन फिर से प्राप्त होनी लगता है।
ऊँ बुं बुधाय नम: मंत्र का जप करें.
बुधवार के दिन गणेश जी को बूंदी के लड्डू चढ़ायें.
बुधवार को गाय को हरा चारा खिलायें. कांसे का कड़ा पहनें.
ऊँ गं गणपतये नम: का जप करें.
किन्नरों को हरे वस्त्र और हरी चूड़ीयां का दान ।
मन्दिर में कांसे का बर्र्तन का दान।
गणेश मन्दिर में कांसे का दीपक लगाए और का दान।
10 वर्ष से कम उम्र की कन्याओं को भोजन कराए।
मांस का सेवन नहीं करना चाहिए।
कच्ची मिट्टी की सौ गोलियां बनाकर एक गोली प्रतिदिन धर्म स्थल में पहुंचानी चाहिएं।
खांड से भरा मिट्टी का बर्तन भूमि में दबाना चाहिए।
कान में स्वर्ण धारण करें।
काला,सफेद कुत्ता पाले ।
शुध्द चांदी का छल्ला भी धारण करे ।
गायत्री पाठ करें ।
हरे तोते पाले ।
अनिष्ट फल से छुटकारा :
चींटी, चिड़ियों, गिलहरियां, कबूतर, तोता, कौआ और अन्य पक्षियों के झुंड और गाय, कुत्तों को नियमित दाना-पानी देने से आपको मानसिक शांति प्राप्त होगी।
अत: पशु-पक्षियों को दाना-पानी देने से ग्रहों के ।
मूंग की दाल से बुध ग्रह से होने वाली परेशानियों से निजात पाई जा सकती है।
तांबे का कड़ा हाथ में धारण करें।
guru grah ko strong karne ke upay
mukhya grah in kundli
मुख्य ग्रह गुरु:
मुख्य ग्रह गुरु को अनुकूल करने के लिए निम्नलिखित उपाय करें।
केले की जड़ को पीले कपड़े में बांधकर पीले धागे में गुरुवार को धारण करना चाहिए ।
यज्ञ में पीपल को समिधा के रूप में काम में लिया जाता है।
‘’ऊं ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:’’ पाठ करने से लाभ होता है।:
ऊँ बृं बृहस्पते नमः मंत्र का जप करना ।
हल्दी की गांठ गले में पहनना ।
गाय को बेसन के लड्डू खिलाना ।
ब्राह्मणों की सेवा करना ।
अनुशासन, ईमानदार एवं कर्त्तव्यनिष्ठ होना ।
ब्रह्माजी की पूजा करना ।
केले के वृक्ष की पूजा करना , पीपल की करना ।
पीली वस्तुओं (बूंदी के लडडू, पीले वस्त्र, हल्दी, चने की दाल, पीले फल) का दान करना ।
पुखराज सोने की अंगूठी में धारण करना।
केले की जड़ या हल्दी की गांठ पीले वस्त्र में गले में धारण करे ।
पीला वस्त्र धारण करना चाहिए।
बेसन की सब्जी, मिठाई, चना दाल, पपीता, आम, केला का सेवन करना चाहिए।
मंदिर के पुजारी या शिक्षक को पीला वस्त्र, धार्मिक पुस्तक या पीले खाद्य पदार्थ दान करना चाहिए।
गुरुवार के दिन पीपल के पेड़ में बृहस्पति मंत्र जपते हुए जल अर्पण करना चाहिए।
केसर या हल्दी का तिलक लगाना चाहिए।
घर में पीले पुष्प गमलों में लगाना चाहिए।
विष्णु की पूजा आराधना करना चाहिए।
शिक्षक, ब्राह्मण, साधु, विद्वान, पति, संतान का दिल नही दु:खाना चाहिए।
बृहस्पतिवार के दिन फलाहार वृक्ष लगाएं और फलों का दान करें।
11.हल्दी की गांठ या केला-जड़ को पीले कपड़े में बांह पर बांधें।
बेसन की सब्जी, मिठाई, चना दाल, पपीता, आम, केला का सेवन करना चाहिए।
मकान का द्वार, खिड़की और रोशनदान सही दिशा में रखना चाहिए।
नाक, कान और दांत हमेशा साफ-सुथरे रखना चाहिए ।
पीपल का वृक्ष लगाना चाहिए।
सच बोलने का कोशिश करें।
पीपल में जल चढ़ाना चाहिए।
आचरण को शुद्ध रखना चाहिए।
पिता, दादा और गुरु का आदर करना चाहिए।
गुरु बनाना चाहिए।
घर में धूप-दीप देना चाहिए।
केसर या चंदन का तिलक लगाएं चाहिए ।
सात्विक भोजन करना चाहिए।
काले, कत्थई, लाल, मेहरून, हरे और भूरे रंग का उपयोग करने से बचें। पीले, गुलाबी, नीले और सफेद रंग का इस्तेमाल अधिक करें।
हर गुरुवार चने की दाल का दान करना चाहिए ।
विष्णु जी की आराधना करें।
गुरुवार को पीली वस्तुओं का दान करें।
शुक्र मुख्य ग्रह :
यदि शुक्र मुख्य ग्रह होकर फलदायक न हो तो निम्न उपाय करने चाहिए।
माँ लक्ष्मी की सेवा आराधना करे |
श्री सूक्त का पाठ करे |
खोये के मिस्ठान व मिश्री का भोग |
ब्रह्मण ब्रह्मणि की सेवा करे |
कन्या भोजन कराये |
ज्वार दान करें।
गरीब बच्चो व विद्यार्थिओं में अध्यन सामग्री |
नि:सहाय, निराश्रय के पालन-पोषण का जिम्मा ले ।
अन्न का दान करे |
ॐ शुं शुक्राय नमः का १०८ बार नित्य जाप |
दान ,शुक्रवार का दिन, शुक्र के नक्षत्र (भरणी, पूर्वा-फाल्गुनी, पुर्वाषाढ़ा) तथा शुक्र की होरा में अधिक शुभ होते हैं।
शुक्र ग्रह के देवता की आराधना और उनके जाप, दान उनकी होरा, उनके नक्षत्र में करना |
श्वेत रत्न, चाँदी, चावल, दूध, सफेद कपड़ा, घी, सफेद फूल, धूप, अगरबत्ती, इत्र, सफेद चंदन दान रंगीन वस्त्र, रेशमी कपड़े, सुगंध, चीनी, खाद्य तेल, चंदन, कपूर का दानें।
सफेद वस्त्र का प्रयोग करें।
चांदी, चावल, दूध, दही, श्वेत चंदन, सफेद वस्त्र तथा सुगंधित पदार्थ किसी पुजारी की पत्नी को दान ।
त्रिफला, दालचीनी, कमल गट्टे, मिश्री, मूली या सफेद शलजम का उपयोग आहार में करना ।
सफेद फूल, चंदन या कपूर की सुगंध शुभ ।
चंदन के तेल में कपूर डालकर उपयोग करना ।
काली चींटियों को चीनी खिलानी चाहिए।
किसी कन्या के विवाह में कन्यादान अवसर करना चाहिए।
किसी काने व्यक्ति को सफेद वस्त्र एवं सफेद मिष्ठान्न का दान ।
शुक्रवार के दिन व्रत रखें. मिठाईयां एवं खीर कौओं और गरीबों को दें. ब्राह्मणों एवं गरीबों को घी भात खिलाएं.छोटी इलायची का सेवन ।
घर में तुलसी का पौधा लगाएं।
श्वेत चंदन का तिलक ।
पानी में चंदन मिलाकर स्नान ।
शुक्रवार के दिन गाय/गौशाला में हरा चारा ।
सुगंधित पदार्थ का इस्तेमाल ।
शुक्रवार का व्रत रखना चाहिए।
खटाई नही खाना चाहिए।
स्त्री का सम्मान करना चाहिए, पत्नी को खुश रखना चाहिए।
पराई स्त्री से संबंध नही रखना चाहिए।
गृह कलह छोड़कर परिवार के सदस्यों के साथ प्यार से रहना चाहिए।
घर को वास्तु अनुसार ठीक करना चाहिए।
सफेद वस्त्र दान करना चाहिए।
भोजन का कुछ हिस्सा गाय, कौवे और कुत्ते को देना चाहिए।
स्वयं को और घर को साफ-सुथरा रखना चाहिए।
हमेशा साफ कपड़े पहना चाहिए ।
नित्य नहाना चाहिए।
शरीर को गंदा नही रखना चाहिए।
सुगंधित इत्र या सेंट का उपयोग करना चाहिए।
सुहागिनों के समय-समय पर सुहाग की वस्तुएं देना चाहिए।
मां लक्ष्मी की उपासनाकरें , खीर का दान करें।
सरपोंखा की जड़ को चमकीले धागे में बांधकर धारण करना ।
गूलर की समिधा को शुक्र शांति के यज्ञ में इस्तेमाल करना ।
स्फटिक की माला से क्क शुं शुक्राय नमः की एक माला का जप करें। शुक्रवार को चावल का दान करें। लक्ष्मी जी की उपासना करें।
मुख्य ग्रह शनि :
मुख्य ग्रह शनि को मजबूत करने के लिए निम्न उपाय करें।
सूर्यास्त के बाद हनुमानजी की पूजा सिंदूर, काली तिल्ली का तेल, इस तेल का दीपक एवं नीले रंग के फूल से करनी चाहिए।
शनि यंत्र की स्थापना व पूजन करनी और सरसों के तेल का दीप जलाना चाहिए ।
शमी वृक्ष की जड़ को काले धागे में बांधकर गले या बाजू में धारण करें।
बंदरों और कुत्तों को बूंदी के लड्डू खिलाना चाहिए ।
काले घोड़े की नाल या नाव में लगी कील से बना छल्ला धारण करना चाहिए।
शाम के समय बड़ (बरगद) और पीपल के पेड़ के नीचे सरसो के तेल का दीपक लगाएं और दूध एवं धूप आदि अर्पित करें।
मांस, मदिरा का सेवन न करें।
लाल चंदन की माला को अभिमंत्रित कर पहनना चाहिए।
मंत्र का जाप करना चाहिए:
वैदिक मंत्र- ऊं शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये शन्योरभिस्त्रवन्तु न:।
लघु मंत्र- ऊं ऐं ह्लीं श्रीशनैश्चराय नम:।
भैरवजी की उपासना करें और काले तिल के तेल का दीपक जलाना चाहिए
काले धागे में बिच्छू घास की जड़ को धारण करना चाहिए।
शनि ग्रह कि शांति :ग़रीब और वृद्ध को ,काला कपड़ा, साबुत उड़द, लोहा, यथा संभव दक्षिणा, तेल, काला पुष्प, काले तिल, चमड़ा, काला वस्त्र, काला तिल, चमड़े का जूता, नमक, सरसों तेल, काले कंबल का दान करना चाहिए।
लोहे के बर्तन में दही चावल और नमक मिलाकर भिखारियों और कौओं को देना चाहिए. रोटी पर नमक और सरसों तेल लगाकर कौआ को देना चाहिए.
हनुमान चालीसा का पाठ, महामृत्युंजय मंत्र का जाप एवं शनिस्तोत्रम का पाठ करना चाहिए।
गरीब, वृद्ध एवं कर्मचारियो के प्रति अच्छा व्यवहार रखना , मोर पंख धारण करना।
शनिवार के दिन पीपल वृक्ष की जड़ पर तिल्ली के तेल का दीपक जलाएँ और लोहे, चमड़े, लकड़ी की वस्तुएँ एवं किसी भी प्रकार का तेल नहीं खरीदना चाहिए।
बाल एवं दाढ़ी-मूँछ नही कटवाने चाहिए।
भिखारी को उड़द की दाल की कचोरी खिलानी चाहिए।
दुःखी व्यक्ति के आँसू अपने हाथों से पोंछने चाहिए।
शनिवार का दिन, शनि के नक्षत्र (पुष्य, अनुराधा, उत्तरा-भाद्रपद) तथा शनि की होरा में दान करना चाहिए।
गरीबों, वृद्धों एवं नौकरों के प्रति अपमान जनक व्यवहार नहीं करना चाहिए।
आलस्य, , ढिलाई, सुस्ती, जिम्मेदारी से बचना, दान॰उड़द, तिल, सभी तेल,लौह धातु, काला छाता,नीलम रत्न, काली गाय,काले वस्त्र, काले जूते,काली कम्बल, स्वर्ण,आदि का अनुदान !"शनि मन्त्र"ॐ ऐं ह्रीँ श्रीँ शनैश्चरायनम: ।जप संख्या 23000संध्याकाल !ॐ प्रां प्रीं प्रौँ स: शनये नम:ॐ शं शनैश्चराय नम: !
चांदी धारण करें। घर को व्यस्थित रखें। मुस्कराकर स्वागत करें।
साधू, संतों, विद्वानों के साथ बैठकर ज्ञान की चर्चा करें।
बदजुबानी पर लगाम लगाएं।
गरीबों की, असहायों की, गाय की सेवा करें।
पति -पत्नी प्रेम से रहें।
काले वस्त्रों तथा नीले वस्त्रों को यथा संभव न पहनें।
शनिवार को पीपल के वृक्ष के नीचे दिया जलाएं।
शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ करें।
साथ मै कुछ अन्य उपाय भी करना चाहिए :-
गाय, कुत्ते , पक्षियों को खाना दें .घर में किसी वजह से कलह न होने दे ।
ताम्बे का कलश रखकर उस पर नारियल रखें। घर में दीपक जलाएं।
पितृ दोष हो तो उपाय करें।
तुलसी का पत्ता मुँह में रखें।
गायत्री मन्त्र का जाप करें।
पिता की सेवा करें।
खूब पानी पियें, खेलें, चाँद कि रोशनी में बैठें, चांदी के गिलास में दूध पियें, माँ की सेवा करें ।
हरी घास पर चलें, मध्यमा उंगली में ताम्बे का छल्ला पहनें, हरी सब्जियां खाए
उड़द, चना, राजमा यानि बादी वाली चीजों से बचें।
प्रातःकाल सूर्य दर्शन करना चाहिए ।
मछलियों को दाना डालना चाहिए ।
बजरंग बाण का पाठ करें ।
मन निर्बल हो, हमेशा मन में एक अनजाना भय बना रहे तो "आदित्य हृदय स्तोत्र" का पाठ करें आत्मविश्वास बढ़ेगा और मनोबल ऊँचा होगा ।
घर में गूगल कि धूनी लगाएं, नमक डालकर पौंछा लगाएं , फटे जूते, कपडे न पहने, घर व्यस्थित रखें ।
कभी- कभी घर में हवन करें ।
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