ज्योतिष :कुंडली से जाने विदेश यात्रा और विदेश निवास: Foreign travel and residence abroad
विदेश यात्रा:फॉरेन ट्रेवल, विदेश यात्रा और विदेश निवास
विदे यात्रा:-
विदेश यात्रा के लिए कुंडली का नवम भाव ,दसवा भाव ,या नवम लार्ड का प्रभाव या बारवह लार्ड का प्रभाव या सातवा लार्ड का प्रभाव,चौथा भाव पर और तीसरे भाव पर रहेगा तो विदेश दौरा होगा।
विदेश निवास :-
विदेश निवास का पता हम कुंडली के सातवा भाव ,बारवा भाव या सातवा लार्ड का प्रभाव या बारवा लार्ड प्रभाव या नौवा लार्ड प्रभाव का चौथा भाव पर रहने पर जातक विदेश निवास करता है। इन सब पर राहु और शुक्र का प्रभाव भी रहता है।
विदेश यात्रा के लिए कारक ग्रह: चंद्रमा, बृहस्पति, शुक्र , शनि एवं राहु हैं।
कुंडली से जाने :विदेश यात्रा से लाभ या हानि :कुंडली देखकर जातक जान सकता है की विदेश यात्रा से लाभ या हानि होगी।
कुंडली में सूर्य, चन्द्र,मंगल, बुध, गुरु और राहु केतु ग्रह ये बताते हैं कि आप किस उद्देश्य से विदेश जायगे ।
सूर्य :उच्च का सूर्य कुंडली मे हो तो मान सम्मान विदेश में दिलाता है अगर सूर्य नीच है , सूर्य खराब है तो जातक दंड विदेश मे मिलता है।
चन्द्र बलिष्ट ,उच्च का हो , तो जातक आसानी से विदेश जाता है.
चन्द्र नीच है , ख़राब है तो जातक को विदेश जाने में तो परेशानी का कारण बनता है .
विदेश में मन नहीं लगता है।
उच्च चन्द्र के कारण जातक लम्बी विदेश यात्राऐ करता है।
खराब ,नीच चन्द्र वाले को नदी, समुद्र के पास यात्रा करनी चाहिए। कुंडली मंगल उच्च का ,अच्छा हो ,तो जातक विदेश जाकर वहाँ बसता है,
और जातक स्वदेश भी आता है।
-राशि/ लगन : मेष, सिंह, वृश्चिक राशि/ लगन वाले जातक विदेश आते जाते रहते हैं।
बुध :जातक व्यापार के लिए विदेश जाता है.
बुध तीसरे भाव, द्वादश भाव या चन्द्र से सम्बन्ध बनाये तो विदेश मे हानि के योग बन सकते है।
गुरु :उच्च शिक्षा, परोपकार या शांति के लिए विदेश जाता है।
चन्द्र शुक्र युति हो तो अवश्य ही विदेश घूमने जाता है।
तकनीकि क्षेत्र : शनि राहु केतु तकनीकि क्षेत्र में काम के विदेश लिए विदेश जाता है।
विदेश यात्रा:फॉरेन ट्रेवल, विदेश यात्रा और विदेश निवास
विदे यात्रा:-
विदेश यात्रा के लिए कुंडली का नवम भाव ,दसवा भाव ,या नवम लार्ड का प्रभाव या बारवह लार्ड का प्रभाव या सातवा लार्ड का प्रभाव,चौथा भाव पर और तीसरे भाव पर रहेगा तो विदेश दौरा होगा।
विदेश निवास :-
विदेश निवास का पता हम कुंडली के सातवा भाव ,बारवा भाव या सातवा लार्ड का प्रभाव या बारवा लार्ड प्रभाव या नौवा लार्ड प्रभाव का चौथा भाव पर रहने पर जातक विदेश निवास करता है। इन सब पर राहु और शुक्र का प्रभाव भी रहता है।
विदेश यात्रा के लिए कारक ग्रह: चंद्रमा, बृहस्पति, शुक्र , शनि एवं राहु हैं।
कुंडली से जाने :विदेश यात्रा से लाभ या हानि :कुंडली देखकर जातक जान सकता है की विदेश यात्रा से लाभ या हानि होगी।
कुंडली में सूर्य, चन्द्र,मंगल, बुध, गुरु और राहु केतु ग्रह ये बताते हैं कि आप किस उद्देश्य से विदेश जायगे ।
सूर्य :उच्च का सूर्य कुंडली मे हो तो मान सम्मान विदेश में दिलाता है अगर सूर्य नीच है , सूर्य खराब है तो जातक दंड विदेश मे मिलता है।
चन्द्र बलिष्ट ,उच्च का हो , तो जातक आसानी से विदेश जाता है.
चन्द्र नीच है , ख़राब है तो जातक को विदेश जाने में तो परेशानी का कारण बनता है .
विदेश में मन नहीं लगता है।
उच्च चन्द्र के कारण जातक लम्बी विदेश यात्राऐ करता है।
खराब ,नीच चन्द्र वाले को नदी, समुद्र के पास यात्रा करनी चाहिए। कुंडली मंगल उच्च का ,अच्छा हो ,तो जातक विदेश जाकर वहाँ बसता है,
और जातक स्वदेश भी आता है।
-राशि/ लगन : मेष, सिंह, वृश्चिक राशि/ लगन वाले जातक विदेश आते जाते रहते हैं।
बुध :जातक व्यापार के लिए विदेश जाता है.
बुध तीसरे भाव, द्वादश भाव या चन्द्र से सम्बन्ध बनाये तो विदेश मे हानि के योग बन सकते है।
गुरु :उच्च शिक्षा, परोपकार या शांति के लिए विदेश जाता है।
चन्द्र शुक्र युति हो तो अवश्य ही विदेश घूमने जाता है।
तकनीकि क्षेत्र : शनि राहु केतु तकनीकि क्षेत्र में काम के विदेश लिए विदेश जाता है।
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