विंशोत्तरी दशा पद्धति में महादशा, अंतरदशा एवं प्रत्यंतरदशा के अनुसार ग्रह स्थितियों का विवेचन किया जाता है। महादशाएं लंबी अवधि तक चलती हैं, अंतरदशाएं कुछ माह से लेकर अधिकतम दो-तीन वर्ष तक की होती हैं, जबकि प्रत्यंतरदशाएं कुछ दिनों से लेकर कुछ माह तक चलती हैं। किसी भी व्यक्ति के जीवन में इन दशाओं का स्पष्ट प्रभाव अंकित किया जाता है तथा कुण्डली में बैठे ग्रहों की समय-समय पर महादशाएं, अंतरदशाएं व प्रत्यंतरदशाएं आनी ही होती हैं।
1. विंशोत्तरी
2. अष्टोत्तरी
3. योगिनी
4. कालचक्र
5. वर्षफल (मुद्वादशा)
6. षोडशाब्दोत्तरी
7. द्वादशाब्दोत्तरी
8. पंचोत्तरी
9. चतुरशील
10 द्विसप्तमी
11 षट् त्रिंशद
12 चरपर्यायदशा
13 स्थिरदशा
14 केन्द्रादि दशा
15 कारकदशा
16 ब्रह्मदशा
17 मण्डुकदशा
18 शूलदशा
19 योगदशा
20 दृग्दशा
21 त्रिकोण दशा
22 राशि दशा
23 पंचस्वर दशा
24 पिण्डायुर्दशा
25 अंशायुर्दशा
26 निसर्गदशा
27 अष्ट वर्ग दशा
28 सन्ध्यादशा
29 पालक दशा
किंतु उपरोक्त दशोओं में विंशोत्तरी दशा पद्धति ही सर्वमान्य, प्रभावशाली व वैज्ञानिक है। इस पद्धति द्वारा किये गये फलादेश सर्वथा सत्य व प्रामाणिक होते हैं। यह पद्धति सभी पद्धतियों में श्रेष्ठ व विश्वसनीय है। इस पद्धति में महर्षि पाराशर का विशेष योगदान रहा है।
इस पद्धति का आधार नक्षत्र है अर्थात जन्म के समय जिस नक्षत्र में चंद्रमा होगा उसके आधार पर यह दशा निर्णय किया जाता है। जैसा कि पिछली किताबों में 27 नक्षत्रों के बारे में दिया गया है व निम्न हैं।
क्रम नक्षत्र स्वामी ग्रह अंग्रेजी नाम
1 अश्विनी केतु Beta Arieties
2 भरणी शुक्र 35 Arieties
3 कृत्तिका सूर्य Eta Tauri
4 रोहिणी चंद्र Aldebaran
5 मृगशिरा मंगल Lambda Orionis
6 आर्द्रा राहु Alpha Orionis
7 पुनर्वसु गुरू Beta Geminorum
8 पुष्य शनि Delta Cancri
9 आश्लेषा बुध Alpha Hydroe
10 मघा केतु Regulus
11 पूर्वाफाल्गुनी शुक्र Delta Leonis
12 उत्तरा फाल्गुणी सूर्य Beta Lenois
13 हस्त चंद्रमा Delta Corivi
14 चित्रा मंगल Spica Virgins
15 स्वाति राहु Arcturus
16 विशाखा गुरू Alpha Libro
17 अनुराधा शनि Delta Scorpio
18 ज्येष्ठा बुध Antares
19 मूल केतु Lambda Scorpio
20 पूर्वाषाढ़ा शुक्र Delta Saggittarius
21 उत्तराषाढ़ा सूर्य Beta Saggittarius
22 श्रावण चंद्र Aquiloe
23 धनिष्ठा मंगल Delphinm
24 शतभिषा राहु Lambda Aquarius
25 पूर्वा भाद्रपद गुरू Pegasi
26 उत्तरा भाद्रपद शनि Gama Pegasi
27 रेवती बुध Piscium
इन नक्षत्रों की कूल आवृति 360 वर्ष है। यह चंद्रमा के नक्षत्र पर आधारित है इसलिए चंद्रमा के 1 अंश के चलने पर विशोंत्तरी दशा का 1 वर्ष होता है। यह निरयन सौर वर्श कहलाता है किंतु कुल आवृति को तीन भागों मे विभक्त किया गया है। जिससे प्रत्येक आवृत्ति 120 वर्ष की होगी। इस प्रकार ज्योतिष में विंशोत्तरी दशा 120 वर्ष की होगी जिसे मनुष्य की आयु माना गया है। 120 वर्षो में प्रत्येक ग्रह भी भचक्र को पूरा कर वापिस अपने नक्षत्रों पर आ जाते हैं। इस प्रकार दशा के आरंभ की व अंत की तिथि एक जैसी होती है। इन 120 वर्षो में प्रत्येक ग्रह की दशा आती है। इसमें कृतिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा तथा पूर्वाफाल्गुणी प्रथम आवृत्ति में रखे गये हैं। इस आवृत्ति को जन्म नक्षत्र आवृत्ति कहते हैं। दूसरी आवृत्ति को अनुजन्म नक्षत्र आवृत्ति कहते हैं। जिसमें उत्तरफाल्गुणी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल एवं पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र आते हैं। तृतीय आवृत्ति में उत्तराषाढ़ा, श्रावण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद, रेवती, अश्विनी व भरणी नक्षत्र आते हैं। इसे त्रिजन्म नक्षत्र आवृत्ति कहा जाता है।
नौ ग्रहों का क्रम भी उपर दिये गये नक्षत्रों के आधार पर ही है। जैसे प्रथम आवृत्ति में सबसे पहला नक्षत्र कृत्तिका है जिसका स्वामी सूर्य है, उसके बाद रोहिणी है जिसका स्वामी चंद्रमा है उसके बाद मृगशिरा नक्षत्र है जिसका स्वामी मंगल है, मृगशिरा के पश्चात आर्द्रा नक्षत्र है जिसका स्वामी राहु है। उसके बाद पुनर्वसु नक्षत्र है जिसका स्वामी गुरू है, पुष्य जिसका स्वामी शनि है, आश्लेषा जिसका स्वामी बुध है, मघा का स्वामी केतु एवं पूर्वाफाल्गुनी का स्वामी शुक्र है। इस प्रकार विशोंत्तरी दशा में ग्रहों का क्रम सूर्य, चंद्रमा, मंगल, राहु, गुर, शनि, बुध, केतु, एवं शुक्र है।
इन ग्रहों के दशा वर्ष निर्धारित हैं। इसमें सूर्य की महादशा 6 वर्ष की होती हा। चंद्रमा की महादशा 10 वर्ष, मंगल की 7 वर्ष की, राहु की 18 वर्ष की, गुरू का 16 वर्ष की, शनि की 19 वर्ष की, बुध की 17 वर्ष की, केतु की 7 वर्ष की एवं शुक्र की 20 वर्ष की होती है।
विंशोत्तरी दशा पद्धति में जातक के जन्म नक्षत्र के आधार पर उस नक्षत्र के स्वामी की दशा प्रथम दशा होती है। चंद्रमा उस नक्षत्र पर जितना अंश जन्म के समय पार कर लेता है उसके अनुपात में उस दशा का भोग्य काल निकाला जाता है। इसे उस ग्रह की महादशा काहा जाता हैं किंतु महादशा काफी लंबे समय तक चलती है। महादशा के अंतर्गत नौ ग्रहों की अंतर्दशा भी होती है जो कि कुछ कम समय की होती है। अंतर्दशा के अंतर्गत नौ ग्रहों की प्रत्यंतर दशा एवं प्रत्यंतर दशा के अंतर्गत नौ ग्रहों की सूक्ष्म दशा होती है। सूक्ष्म दशा के अंतर्गत नौ ग्रहों की प्राण दशा होती है। जहां महादशा कई वर्षो तक चलती है वही प्राणदशा कुछ घंटो में समाप्त हो जाती है।
इस पाठ्यक्रम में महादशा एवं अंतर्दशा को बताया गया है। इन दोनो दशा को अच्छे से समझे एवं किसी ग्रह की महादशा में अन्य ग्रहों की अंर्तदशा को बारीकि से समझे। यही नियम प्रत्यंतर, सूक्ष्म एवं प्राणदशा में लागू होती है।
यदि सूर्य को केंद्र मानकर उस आधार पर ग्रहों को देखा जाये तो उनका क्रम बुध, पृथ्वी, चंद्रमा, मंगल, गुरू, एवं शनि होगा किंतु पृथ्वी से यदि इसी क्रम को देखा जायें तो यह क्रम सूर्य, चंद्रमा, मंगल, गुरू, शनि, बुध व शुक्र होंगे। चंद्रमा व पृथ्वी की कक्षावृतों में दो संपात बिंदु हैं। जिरा संपात बिंदु से सूर्य दक्षिण की ओर वलता है। उसे केतु कहते हैं। राहु और केतु चंद्रमा के मार्ग को समझने के दो निर्धारित स्थान हैं जिसे ग्रह माना गया है। इस प्रकार यदि राहु और केतु भी ग्रह मानकार देखा जाये तो क्रम में सूर्य, चंद्रमा, मंगल, राहु, शनि, बुध, केतु एवं शुक्र होंगे।
फलादेश विज्ञान पूर्णरूपेण इन दशाओं के प्रवर्तन पर निर्भर करता है। यदि किसी जातक के संपूर्ण जीवनकाल में केवल उसके विरुद्ध जाने वाले ग्रहों की दशाएं आती रहें तो ऐसे में भले ही उस जातक की कुण्डली कितनी भी अच्छी क्यों न हो, उसे जीवनपर्यंत कष्ट व व्याधियां घेरे ही रहेंगी। यानि इसका अर्थ ये हुआ कि शुभ परिणाम की प्राप्ति के लिए जातक की कुण्डली का तो अच्छा होना जरूरी है ही साथ ही इससे कहीं अधिक जरूरी है कि अनुकूल दशाओं का उसकी प्रगति काल में आना।
यदि किसी जातक की कुण्डली बहुत अच्छी हो किंतु उसमें मौज़ूद शुभ व कारक ग्रहों की दशाएं उसकी वृद्धावस्था में आएं तो फिर पूरी जिंदगी और यौवन काल गुजर जाने के पश्चात उसके लिए उन अनुकूल दशाओं का क्या मोल होगा!!
इसका अर्थ हुआ कि एक इंसान अपने जीवन काल में तभी शुभ परिणामों का आनंद उठा सकता है, जबकि उसके आरंभिक जीवन तथा अधेड़ावस्था तक उसकी कुण्डली में मौजूद शुभ ग्रहों की दशाएं आती हों। किंतु वही शुभ दशाएं आखिरी वक्त में या फिर जीवन के पश्चात आएं तो उसकी पूरी जिंदगी तो वैसे ही दोज़ख बन जाएगी।
कब मिलता है श्रेष्ठ फल?
विंशोत्तरी दशा ही अकेले श्रेष्ठ फल देने में सक्षम नहीं है। श्रेष्ठ और शुभ परिणाम प्राप्ति के लिए कुण्डली में ग्रहों की स्थिति और उनकी युति या दृष्टि संबंध बेहतर होने चाहिए। अगर विंशोत्तरी दशा अच्छी हो तथा सही समय पर आ रही हो तो फिर शुभ परिणाम मिलते ही हैं बस शर्त ये है कि उस समय कोई भंग योग न पड़ रहा हो।
Which Dasha should we use for making prediction - Vimshottari Dasha or Ashtottari Dasha ?
Parasara has advised the use of Ashtottari Dasa by saying that,
(1) If Rahu is placed in a quadrant (Kendra) or trine(Triknona) from the Lord of Ascendant then the use of Ashtottari dasha is advisable.
(2) If birth is at daytime in Krishna Paksha[8] or at nighttime in Sukla Paksha[9], the use of Ashtottari dasa is advisable.
If in birth horoscope condition (1) or (2) is applicable, then use Ashtottari Dasha, else use Vimshottari Dasha.
There is one more exception that in Northern India generally Vimshottari Dasha is used and in Sauratra (Gujarat) Ashtottari Dasha is used.
Vimshottari Dasha System.
Ketu 7 Years
Venus 20 Years
Sun 6 Years
Moon 10 Years
Mars 7 Years
Rahu 18 Years
Jupiter 16 Years
Saturn 19 Years
Mercury 17 Years
______________
Total of 120 years
Ashtottari Dasha System.
Sun 6 Years
Moon 15 Years
Mars 8 Years
Rahu 17 Years
Jupiter 10 Years
Saturn 19 Years
Mercury 12 Years
Ketu - Ketu is not considered as part of the Ashottari Dasha system.
Venus 21 Years
______________
Total of 108 years
1. VIMSHOTTARI:
In this system life span has been taken as 120 years. This is
based on Nakshtras. In this system cycle begins with Kritika
Nakshtra whose ruler is Sun. Dasa period of native starts
with his
89
Janma – Nakshtra only. The period assigned to different planets
and various Nakshtras for which dasa of a particular planet
will be applicable can be explained by following table:-
Planet Sun Moon Mars Rahu Jupiter
Years 6 10 7 18 16
Kritika Rohini Mrigshira Ardra Punarvasu
Nak – Uttar – Hasta Chitra Swati Visakha
Shtras Phalguni
Uttar – Shravana Dhanista Sat – bisag Poorvaashada
bhadrapada
Saturn Mercury Ketu Venus
19 17 7 20
Pusya Aslesha Magha Poorvaphalguni
Anuradha Jyeshta Moola Poorvaashada
Uttar bhadra pada Revati Aswini Bharni
2. ASHTOTTARI:
In this system life span has been considered as 108 years.
This is also based on Nakshtras. 28 Nakshtras are considered
in this system. This additional Nakshtra is called
‘ABHIJIT’ which is the 4th pad of Uttar Ashada and 15th
part of beginning of Shravana. ‘Abhijit’ Nakshtra has been
added in the honour of Sri Ran Chandra Ji as he was supposed
to be born in this part of Rasi. This Nakshtra has been
considered benefic and its lord is Jupiter. This system has 8
planets as there is no place for Ketu.
90
Generally cycle is started from Ardra Nakshtra and therefore
this system is also known as Ardradi – Dasha. Some astrologers
consider the beginning of cycle from Kritika Nakshtra
and in that case it is known as Kritikadi – Dasha. There are
different theories of applying Ardradi and Kritakadi Dasha
systems. These are as under : -
Ardradi
According to Brihat – Parasher, if there is any planet in lagna,
Ardradi is used. According to other theories if Rahu is posited
in 4th, 7th , 10th, 5th, and 9th houses from lagnesh, Ardradi
is used.
Kritikadi
According to Brihat – Parasher if there is no planet in lagna,
Kritikadi is used.
In Ardradi system starting from Ardra, 4 Nakshtras in malefic
planets and 3 Nakshtra in benefic planets are taken,
whereas in Kritikadi system, starting from Kritika, four
Nakshtras in benefic planets and 3 Nakshtras in Malefic planets
are taken. However total number of years in both the
systems remains the same.
The years assigned to various planets and Nakshtras in the
case of Ardrai Ashottari Dasa system can be explained by
the following table :-
Planet Sun Moon Mars Mercury Saturn
Years 6 15 8 17 10
91
Ardra Magha Hasta Anuradha Poorva –
ashada
Nak - Punarvasu Poorva- Chitra Jyestha Uttar –
Shtras Pusya Phalguni Swati Moola Ashada
Aslesha Uttar - Visakha Abhijit
Phalguni Shravana
Jupiter Rahu Venus
19 12 21
Dhanista Uttar – bhadra Pada Kritika
Satbisag Revati Rohini
Poorva – bhadra pada Aswini bharni Mrigshira
3. YOGINI:
This system does not treat planets for their periods, rather
periods belong to imaginary ‘Shaktis’ and which give results
as their names stand for. In ‘Tantra Shastra’ there is a reference
of 8 yogini shaktis. They are said to be controlling the
human destiny. It is considered that this Dasa – system was
originated by Lord Shiva. These eight Yogini shaktis are
Mangla, Pingla, Dhanya, Bhramri, Bhadrika, Ulka, Siddha
and Sankata. In this Dasa system complete cycle is of 36
years and the same is repeated after completion of 36 years.
The ‘Saktis’, planets, years, Nakshtras and their results in
this system can be explained from the following table:-
Yogini Mangla Pingla Dhanya Bhramri Bhadrika
Years 1 2 3 4 5
Lord Moon Sun Jupiter Mars Mercury
Result Favourable Unfavourable Favourable Unfavourable Favourable
Nakshtras Ardra Punaruasu Pusya Aswini Bharani
92
Chitra Swati Visakha Aslesha Magha
Shravana Dhanista Satbisag Anuradha Jyestha
Poorva Uttar–
Bhadra pada Bhadra Pada
Ulka Siddha Sankata
6 7 8
Saturn Venus Rahu
Unfavourable Favourable Unfavourable
Kritika Poorva Phalguni Rohini Uttar –Phalguni Mrigshira Hasta
Moola Revati Poorva -Ashada Uttar – Ashada
After having discussed the different Dasa systems in vogue,
let us analyze the conditions under which these are to be made
use of. There are different theories. Let us look into these.
(i) Man Sagri – According to Man Sagri, two conditions
have been given under which Vimshottari or Ashtottari
Dasa system are to be used :
(a) In case of birth during Shukla Paksha use Ashtottari and
in Krishna Paksha use Vimshottari.
(b) For southern part of ‘Vindhya’ mountain use Ashtottari
and for northern part use Vimshottari.
(ii) Laghu Parashari – Ashottari is used in South India,
Vimshottari is used in North India, while ‘Yogini’ is used
in Punjab.
(iii) Parashar Hora Shastra – Ashtottari is applied when birth
is during day in Krishna Paksha or at night in Shukla
Paksha. In the contrary condition Vimshottari is to be
applied.
(iv) Modern Concepts
93
(a) Ashtottari is used in Gujrat, Saurashtra, Katch, Panchal,
Almora, and Sindh.
(b) If birth during night in Shukla Paksha and during day in
Krishna Paksha – Vimshottari is to be used.
(c) If birth during day in Shukla Paksha and during night in
Krishna Paksha – Ashtottari is to be used.
(d) If birth during Shukla Paksha or during day or during Hora
of Sun – Vimshottari is to be used.
(e) If birth during Krishna Paksha or during night or during
Hora of Moon – Ashtottari is to be used.
Vimshottari Dasa system is considered to be best amongst all
Dasa system. It is said that in the present kaliyug, best results
can be obtained only be using Vimshottari Dasa System.
Since most popular Dasa System is Vimshottari, we should
know how to calculate Main period, sub periods and
Sub – sub periods. As already discussed in the beginning Dasa
Lord at the time of birth is the same as Lord of birth Nakshtra.
Balance Dasa at the time of birth can be found by longitude of
moon and balance period will be proportional to the part of
Nakshtra, which has already passed at the time of birth.
To find out Sub – period, either of the following method can
be used:-
(i)Sub period = Dasa Lord Period x Sub – planets period
Years
120
e.g. if we have to find sub – period of Moon in the main
period of Sun then Moon’s sub – period will be
94
6 x 10 = 1 year = 6 months.
120 2
(ii)Sub – period = Dasa lord period x sub – planet period x
3 days e.g. Moon’s sub period of Sun will be 6 x 10 x 3 days
= 180 days = 6 months.
(iii)Multiply period in years to both Dasa Lord & Sub planet.
Last digit of this multiplication multiplied by 3 gives days and
balance digits give months of sub – period. For example for
calculating Sun’s sub – period in the main period of Sun multiply
6 x 6 = 36. Last digit of this multiplication i.e., 6 when
multiplied by 3 i.e. 18 are the days and balance digit i.e. 3 is
the number of months. Therefore Sun’s sub – period in the
main period of Sun is 3 months and 18 days.
To find out Sub –sub period, either of the following methods
can be use:-
(i)Sub – sub period
Dasa Period x Sub planet period x sub sub planet period
years
120 x 120
e.g. Moon’s sub – sub period in the sub period of Mars & in
the main period of Sun will be
6 x 7 x 10 = 420 .
120 x 120 120 x 120
= 7 . years or 7 .x 360 days = 21 days or 10 days 12 hrs.
240 240 2
95
(ii)Sub – sub period:
Dasa period x sub planet period x sub sub planet period
Days
40
Therefore, Sub – sub period of Moon in the Sub period of
Mars in the main period of Sun will be :
6 x 7 x 10 days = 21 days = 10 days 12 hrs.
40 2
After knowing the calculation of Dasa of main planet, sub
planet and sub – sub planets, we have to consider the results.
Any planet during its entire main period may not give uniform
results. The results will vary depending upon the sub- periods
lord. Out of these two, the planet, which is stronger, will be
predominant in giving results. Therefore, it is absolutely necessary
to have an idea of planet’s total strength which is a
combination of Positional, Directional, Temporal, Motional,
Permanent and Aspect strength.
All planets in their Dasa and their own sub – period do not
give auspicious or inauspicious results according to their nature.
Even Marak planets do not become killer in such a situation.
The relation between Dasa Lord and Sub – period lords
can be of 6 kinds (I) Planets who are related and like, (ii)
Related but unlike, (iii) Related but neutrals, (iv) Unrelated
and like, (v) Unrelated and unlike, and (vi) Unrelated but
neutrals. Planets belonging to 1st category give most auspicious
results in the sub – period. After that planets go on
giving comparatively lesser and lesser effects.
96
During the main Dasa of malefic planets the results are invariably
unfavourable in the sub – period of unrelated benefics,
mixed results in the sub – period of related benefics and these
results are specially bad in the Sub – period of unrelated Yog
Karakas. Marak Planets do not become a killer during the
main Dasa and sub – period of related benefics. Rather they
become Marak during the period of unrelated malefics.
VIMSOTTARI DASA AND ANTARDASA
Antardasa Sun (Ravi) – 6 Moon (Chandra) – 10 Mars (Mangala) – 7
Sub Periods Total Sub Periods Total Sub Periods Total
Y M D Y M D Y M D Y M D Y M D Y M D
Sun 0 3 18 0 3 18 - - - - - - - - - - -
Moon 0 6 0 0 9 18 0 10 0 0 10 0 - - - - - -
Mars 0 4 6 1 1 24 0 7 0 1 5 0 0 4 27 0 4 27
Rahu 0 10 24 2 0 18 1 6 0 2 11 0 1 0 18 1 5 15
Jupiter 0 9 18 2 10 6 1 4 0 4 3 0 0 11 6 2 4 21
Saturn 0 11 12 3 9 18 1 7 0 5 10 0 1 1 9 3 6 0
Mercury 0 10 6 4 7 24 1 5 0 7 3 0 0 11 27 4 5 27
Ketu 0 4 6 5 0 0 0 7 0 7 10 0 0 4 27 4 1024
Venus 1 0 0 6 0 0 1 8 0 9 6 0 1 2 0 6 0 24
Sun - - 0 6 0 10 0 0 0 4 6 6 5 0 - - - -
Moon - - - - 0 7 0 7 0 0 - - - - - - - -
97
AntardasaRahu - 18 Jupiter (Brihaspati) – 16 Saturn (Sani) – 19
Sub PeriodsTotal Sub PeriodsTotal Sub Periods Total
Y M D Y M D Y M D Y M D Y M D Y M D
Rahu 2 8 12 2 8 12 - - - - - - - - - - - -
Jupiter 2 4 24 5 1 6 2 1 18 2 1 18 - - - - - -
Saturn 2 10 6 7 11 12 2 6 12 4 8 0 3 0 3 3 0 3
Mercury2 6 1 8 1 0 6 0 2 3 6 6 1 1 6 2 8 9 5 8 1 2
Ketu 1 0 18 11 6 18 0 11 6 7 10 12 1 1 9 6 9 21
Venus 3 0 0 1 4 6 1 8 2 8 0 1 0 6 1 2 3 2 0 9 1 1 2 1
Sun 0 10 24 15 5 12 0 9 18 11 4 0 0 11 12 10 11 3
Moon 1 6 0 16 11 12 1 4 0 12 8 0 1 7 0 12 6 3
Mars 1 0 18 18 0 0 0 11 6 13 7 6 1 1 9 13 7 12
Rahu - - - - - - 2 4 24 160 0 2 106 16 5 18
Jupiter - - - - - - - - - - - - 2 6 12 19 0 0
AntardasaMercury (Budha) – 17 Ketu – 7 Venus (Sukra) – 20
Sub Periods Total Sub Periods Total Sub Periods Total
Y M D Y M D Y M D Y M D Y M D Y M D
Mercury2 4 2 7 2 4 2 7 - - - - - - - - - - - -
Ketu 0 11 27 3 4 24 0 4 27 0 4 27 - - - - - -
Venus 2 1 0 0 6 2 2 4 1 2 0 1 6 2 7 3 4 0 3 4 0
Sun 0 10 6 7 1 0 0 4 6 1 11 3 1 0 0 4 4 0
Moon 1 5 0 8 6 0 0 7 0 2 6 3 1 8 0 6 0 0
Mars 0 11 27 9 5 27 0 4 27 2 11 0 1 2 0 7 2 0
Rahu 2 6 18 12 0 15 1 0 18 3 11 18 3 0 0 10 2 0
Jupiter 2 3 6 14 3 21 0 11 6 4 10 24 2 8 0 12 10 0
Saturn 2 8 9 17 0 0 1 1 9 6 0 3 3 2 0 16 0 0
Mercury- - - - - - 0 11 27 7 0 0 2 100 18 100
Ketu - - - - - - - - - - - - 1 2 0 20 0 0
98
Balance of Vimsottari Dasa by Longitude of Moon
Long of Moon in Aries Moon in Taurus Moon in Gemini, Moon in Cancer
Moon Leo, Sagg Virgo, Capricorn Libra, Aquarius Scorpio, Pisces
O ‘ K y m d S y m d M y m d J y m d
0 0 E 7 0 0 U 4 6 0 A 3 6 0 U 4 0 0
0 20 T 6 9 27 N 4 4 6 R 3 3 27 P 3 7 6
0 40 U 6 7 24 4 2 12 S 3 1 24 I 3 2 12
1 0 6 5 21 4 0 18 2 11 21 T 2 9 18
1 20 6 3 18 3 10 24 2 9 18 E 2 4 24
1 40 6 1 15 3 9 0 2 7 15 R 2 0 0
2 0 5 1 1 1 2 3 7 6 2 5 1 2 1 7 6
2 20 5 9 9 3 5 12 2 3 9 1 2 12
2 40 5 7 6 3 3 18 2 1 6 0 9 18
3 0 5 5 3 3 1 24 1 113 0 4 24
Balance of Vimsottari Dasa by Longitude of Moon
Long of Moon in Aries Moon in Taurus Moon in Gemini, Moon in Cancer
Moon Leo, Sagg Virgo, Capricorn Libra, Aquarius Scorpio, Pisces
O ‘ K y m d S y m d M y m d S y m d
3 20 E 5 3 0 U 3 0 0 A 1 9 0 A 190 0
3 40 T 5 0 27 N 2 10 6 R 1 6 27 T 18 6 9
4 0 U 4 10 24 2 8 12 S 1 4 24 U 18 0 18
4 20 4 8 2 1 2 6 1 8 1 2 2 1 R 1 7 6 2 7
4 40 4 6 1 8 2 4 2 4 1 0 1 8 N 1 7 1 6
5 0 4 4 15 2 3 0 0 10 15 16 7 15
5 20 4 2 12 2 1 6 0 8 12 16 1 24
5 40 4 0 9 1 11 12 0 6 9 158 3
6 0 3 10 6 1 9 18 0 4 6 15 2 12
6 20 3 8 3 1 7 24 0 2 3 14 8 21
99
Balance of Vimsottari Dasa by Longitude of Moon
Long of Moon in Aries Moon in Taurus Moon in Gemini, Moon in Cancer
Moon Leo, Sagg Virgo, Capricorn Libra, Aquarius Scorpio, Pisces
O ‘ K y m d S y m d R y m d S y m d
6 40 E 3 6 0 U 1 6 0 A 180 0 A 143 0
7 0 T 3 3 27 N 1 4 6 H 176 18 T 139 9
7 20 U 3 1 24 1 2 12 U 17 1 6 U 13 3 18
7 40 2 11 21 1 0 18 16 7 24 R 12 9 27
8 0 2 9 18 0 10 24 16 2 12 N 12 4 6
8 20 2 7 15 0 9 0 15 9 0 11 10 15
8 40 2 5 12 0 7 6 153 18 114 24
9 0 2 3 9 0 5 12 14 10 6 10 11 3
9 20 2 1 6 0 3 18 14 4 24 10 5 12
9 40 1 11 3 0 1 24 13 11 12 9 11 21
Balance of Vimsottari Dasa by Longitude of Moon
Long of Moon in Aries Moon in Taurus Moon in Gemini, Moon in Cancer
Moon Leo, Sagg Virgo, Capricorn Libra, Aquarius Scorpio, Pisces
O ‘ K y m d M y m d R y m d S y m d
10 0 E 1 9 0 O 100 0 A 136 0 A 9 6 0
10 20 T 1 6 27 O 9 9 0 H 13 0 18 T 9 0 9
10 40 U 1 4 24 N 9 6 0 U 12 7 6 U 8 6 18
11 0 1 2 21 9 3 0 12 1 24 R 8 0 27
11 20 1 0 18 9 0 0 11 8 12 N 7 7 6
11 40 0 10 15 8 9 0 11 3 0 7 1 15
12 0 0 8 12 8 6 0 10 9 18 6 7 24
12 20 0 6 9 8 3 0 10 4 6 6 2 3
12 40 0 4 6 8 0 0 9 10 24 5 8 12
13 0 0 2 3 7 9 0 9 5 12 5 2 21
100
Balance of Vimsottari Dasa by Longitude of Moon
Long of Moon in Aries Moon in Taurus Moon in Gemini, Moon in Cancer
Moon Leo, Sagg Virgo, Capricorn Libra, Aquarius Scorpio, Pisces
O ‘ V y m d M y m d R y m d S y m d
13 20 E 20 0 0 O 7 6 0 A 9 0 0 A 4 9 0
13 40 N 19 6 0 O 7 3 0 H 8 6 18 T 4 3 9
14 0 U 19 0 0 N 7 0 0 U 8 1 6 U 3 9 18
14 20 S 18 6 0 6 9 0 7 7 24 R 3 3 27
14 40 18 0 0 6 6 0 7 2 12 N 2 10 6
15 0 176 0 6 3 0 6 9 0 2 4 15
15 20 17 0 0 6 0 0 6 3 18 1 10 24
15 40 16 6 0 5 9 0 5 10 6 1 5 3
16 0 16 0 0 5 6 0 5 4 24 0 11 12
16 20 15 6 0 5 3 0 4 11 12 0 5 21
Balance of Vimsottari Dasa by Longitude of Moon
Long of Moon in Aries Moon in Taurus Moon in Gemini, Moon in Cancer
Moon Leo, Sagg Virgo, Capricorn Libra, Aquarius Scorpio, Pisces
O ‘ V y m d M y m d R y m d M y m d
16 40 E 15 0 0 O 5 0 0 A 4 6 0 E 170 0
17 0 N 14 6 0 O 4 9 0 H 4 0 18 R 166 27
17 20 U 14 0 0 N 4 6 0 U 3 7 6 C 161 24
17 40 S 13 6 0 4 3 0 3 1 24 U 15 8 21
18 0 13 0 0 4 0 0 2 8 12 R 15 3 18
18 20 12 6 0 3 9 0 2 3 0 Y 14 10 15
18 40 12 0 0 3 6 0 1 9 18 14 5 12
19 0 116 0 3 3 0 1 4 6 140 9
19 20 11 0 0 3 0 0 0 10 24 13 7 6
19 40 10 6 0 2 9 0 0 5 12 13 2 3
101
Balance of Vimsottari Dasa by Longitude of Moon
Long of Moon in Aries Moon in Taurus Moon in Gemini, Moon in Cancer
Moon Leo, Sagg Virgo, Capricorn Libra, Aquarius Scorpio, Pisces
O ‘ V y m d M y m d J y m d M y m d
20 0 E 10 0 0 O 2 6 0 U 16 0 0 E 12 9 0
20 20 N 9 6 0 O 2 3 0 P 15 7 6 R 12 3 27
20 40 U 9 0 0 N 2 0 0 I 15 2 12 C 11 10 24
21 0 S 8 6 0 1 9 0 T 14 9 18 U 11 5 21
21 20 8 0 0 1 6 0 E 14 4 24 R 11 0 18
21 40 7 6 0 1 3 0 R 14 0 0 Y 10 7 15
22 0 7 0 0 1 0 0 13 7 6 10 2 12
22 20 6 6 0 0 9 0 13 2 12 9 9 9
22 40 6 0 0 0 6 0 12 9 18 9 4 6
23 0 5 6 0 0 3 0 12 4 24 8 11 3
Balance of Vimsottari Dasa by Longitude of Moon
Long of Moon in Aries Moon in Taurus Moon in Gemini, Moon in Cancer
Moon Leo, Sagg Virgo, Capricorn Libra, Aquarius Scorpio, Pisces
O ‘ V y m d M y m d J y m d M y m d
23 20 E 5 0 0 A 7 0 0 U 12 0 0 E 8 6 0
23 40 N 4 6 0 R 6 9 27 P 11 7 6 R 8 0 27
24 0 U 4 0 0 S 6 7 24 I 11 2 12 C 7 7 24
24 20 S 3 6 0 6 5 21 T 10 9 18 U 7 2 21
24 40 3 0 0 6 3 18 E 10 4 24 R 6 9 18
25 0 2 6 0 6 1 15 R 10 0 0 Y 6 4 15
25 20 2 0 0 5 11 12 9 7 6 5 11 12
25 40 1 6 0 5 9 9 9 2 12 5 6 9
26 0 1 0 0 5 7 6 8 9 18 5 1 6
26 20 0 6 0 5 5 3 8 4 24 4 8 3
102
Balance of Vimsottari Dasa by Longitude of Moon
Long of Moon in Aries Moon in Taurus Moon in Gemini, Moon in Cancer
Moon Leo, Sagg Virgo, Capricorn Libra, Aquarius Scorpio, Pisces
O ‘ S y m d M y m d J y m d M y m d
26 40 U 6 0 0 A 5 3 0 U 8 0 0 E 4 3 0
27 0 N 5 10 6 R 5 0 27 P 7 7 6 R 3 9 27
27 20 5 8 12 S 4 10 24 I 7 2 12 C 3 4 24
27 40 5 6 18 4 8 21 T 6 9 18 U 2 11 21
28 0 5 4 24 4 6 18 E 6 4 24 R 2 6 18
28 20 5 3 0 4 4 15 R 6 0 0 Y 2 1 15
28 40 5 1 6 4 2 12 5 7 6 1 8 12
29 0 4 11 12 4 0 9 5 2 12 1 3 9
29 20 4 9 18 3 10 6 4 9 18 0 10 6
29 40 4 7 24 3 8 3 4 4 24 0 5 3
30 0 4 6 0 3 6 0 4 0 0 0 0 0
PROPORTIONAL PARTS FOR DASA OF PLANETS
(To be subtracted from the balance of dasa for increase by
minutes of the longitude of Moon )
Ketu Venus Sun Moon Mars Rahu Jupiter Saturn Merc.
(7y) (20y) (6y) (10y) (7y) (18y) (16y) (19y) (17y)
Y M D Y M D Y M D Y M D Y M D Y M D
1 0 3 0 9 0 3 0 5 0 3 0 8 0 7 0 9 0 8 1
2 0 6 0 18 0 5 0 9 0 6 0 16 0 14 0 17 0 152
3 0 9 0 27 0 8 0 14 0 9 0 24 0 22 0 26 0 233
4 0 13 1 6 0 11 0 18 0 13 1 2 0 29 1 4 1 1 4
5 0 16 1 15 0 14 0 23 0 16 1 11 1 6 1 13 1 8 5
6 0 19 1 24 0 16 0 27 0 19 1 19 1 13 1 21 1 16 6
7 0 22 2 3 0 19 1 2 0 22 1 27 1 20 2 0 1 247
8 0 25 2 12 0 22 1 6 0 25 2 5 1 28 2 8 2 1 8
9 0 28 2 21 0 24 1 11 0 28 2 13 2 5 2 17 2 9 9
10 1 1 3 0 0 27 1 15 1 1 2 21 2 12 2 26 2 1710
15 1 17 4 15 1 11 2 8 1 17 4 2 3 18 4 8 3 2515
20 2 3 6 0 1 24 3 0 2 3 5 12 4 24 5 21 5 3 20
103
CALCULATION OF MAIN PERIODS and SUB PERIODS
VIMSHOTTARI DASA SYSTEM:-
The details of Vimshottari Dasa and periods assigned to
different planets have already been discussed above. The main
period running at a particular time will be the lord of Nakshtra
in which Moon is posited. Depending upon the longitude of
Moon and by calculating the degrees of the particular Nakshtra
already passed, we can calculate balance of dasa of main
planet on proportionate basis However for this purpose we
can make use of above table which serves as a ready reekoner
to calculate balance of main period depending upon the
longitude of moon.
Example 1. - Longitude of Moon given at the time of birth is
6s 130 20’. Calculate balance of main period at the time of
birth.
Ans : Moon is in Libra sign and therefore from the table if we
see corresponding to 130 12’ in column no. 3, we find the
main dasha running is of Rahu and balance periods is 9 years
0 months 0 Days. In this case Moon is in Swati Nakshtra
whose lord is Rahu.
Example 2. - Longitude of Moon given at a particular time is
10s 270 23’ Calculate balance of main period.
Ans:- Moon in the case is in Aquarius sign and in Purva
Bhadrapad Nakshtra whose lord is Jupiter. Therefore main
period running should be of planet Jupiter whose total period
is 16 years.
104
If we make use of the above table, we see that corresponding
to 270 20’ when moon is in Aquarius sign, the main period
running is of Jupiter and balance period is 12 years. For 3’
using ‘Proportional Parts for Dasa of Planets table, we find
that corresponding to 3’ and Jupiter 0 month and 22days are
to be further subtracted. Therefore balance main period will
be (12y 0M 0D – 0M 22D) = 11 years 11 Months and 8
Days.
Calculation of sub – periods and sub – sub periods has already
been explained while discussing Vinshottari Dasa System.
YOGINI DASA SYSTEM :-
For finding out the main period whose dasa is running we
calculate the number of Nakshtra (From 1 to 27) in which
Moon is posited. Then we find the remainder from the formula
Number Of Nakshtra +3
8
Depending on the remainder from 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 0 the
main period will be of Mangla, Pingla, Dhanya, Bhramari,
Bhadrika, Ulka, Siddha and Sankata respectively.
For example if Moon is in Pusya Nakahara i.e. in 8, the
remainder in the calculation (8+3 = 11 ) will be 3 i.e. the
8 8
The main period running will be of Dhanya Yogini dasha. If
Moon is in Revati Nakshtra i.e. in 27, the remainder in the
calculation
( 27+ 3 / 8 = 30/ 8) will be 6 i.e. the main period running
105
will be of Ulka.
The balance main period of Yogini dasha can be calculated
on proportionate basis depending upon the longitude of
nakshtra already passed .e.g. if longitude of moon given is 3s
7 0 1’, moon is in Pusya nakshtra and therefore Yogini main
dasa running should be of Dhanya as mentioned above. Pusha
Nakshtra commences from 3 s 3 0 20’ and ends at 3 s 16 0 40’
and therefore balance of nakshtra remaining is (3 s 16 0 40’ -
3 s 7 0 1’) i.e. 9 0 39’ i.e. 579’ whereas total duration of
nakshtra is 13 0 20’ i.e. 800’. Total period of Yogini Dhanya
Dasa is 3 years i.e. 3 x 360 days.
Therefore balance main period shall be
3 x 360 x 579 = 782
800
days = 2 years 2 months and 2 days of Dhanya yogini dasa.
To Calculate the sub – periods in yogini dasa we have the
multiplier 360/36 = 10 days. To calculate sub periods of
any main period the multiplier is multiplied by no of years of
main period and no. of years of sub – period which is to be
calculated.
For example if we want to find out sub – period of Dhanya in
main period of Mangla dasa, the same will be 10 x 5x 6 =
300 days = 10 months.
The sub – period of different yogini dasa are indicated in the
following table;-
106
Sub Periods of Mangla Dasa ( 1 Year)
Sub Periods Mang Ping. Dhan. Bhra. Bhad. Ulka Sid. San.
Month 0 0 1 1 1 2 2 2
Days 10 20 0 10 20 - 10 20
Sub Periods of Pingla Dasa ( 2 Years)
Sub Periods Ping. Dhan. Bhra. Bhad. Ulka. Sid. Sank. Mang.
Month 1 2 2 3 4 4 5 0
Days 10 - 20 10 - 20 10 20
Sub Periods of Dhanya Dasa ( 3 Years)
Sub Periods Dhan. Bhra. Bhad. Ulka Sid. Sank. Mang. Ping.
Month 3 4 5 6 7 8 1 2
Days - - - - - - - -
Sub Periods of Bhramari Dasa ( 4 Years)
Sub Periods Bhra. Bhad. Ulka Sid. Sank. Mang. Ping. Dhan.
Month 5 6 8 9 10 1 2 4
Days 10 20 - 10 20 10 20 -
Sub Periods of Bhadrika Dasa ( 5 Years)
Sub Periods Bhad. Ulka Sid. San. Man. Pin. Dha. Bhra.
Month 8 10 11 13 1 3 5 6
Days 10 - 20 10 20 10 - 20
Sub Periods of Ulka Dasa ( 6 Years)
Sub Periods Ulka Sid. San. Man. Pin. Dha. Bhra. Bhad.
Month 12 14 16 2 4 6 8 10
Days - - - - - - - -
107
Sub Periods of Siddha Dasa (7 Years)
Sub Periods Sid. San. Man. Pin. Dha. Bhra Bhad. Ulka
Month 16 18 2 4 7 9 11 14
Days 10 20 10 20 - 10 20 -
Sub Periods of Sankata Dasa (8 Years)
Sub Periods San. Man. Pin. Dha. Bhra. Bhad. Ulka Sid.
Month 21 2 5 8 10 13 16 18
Days 20 20 10 - 20 10 - 20
No comments:
Post a Comment