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Nakshatra Jyotish Vigyan

Nakshatra Jyotish Vigyan
नक्षत्र क्या हैं?
नक्षत्र का सिद्धांत भारतीय वैदिक ज्योतिष में पाया जाता है। यह पद्धति संसार की अन्य प्रचलित ज्योतिष पद्धतियों से अधिक सटीक व अचूक मानी जाती है। आकाश में चन्द्रमा पृथ्वी के चारों ओर अपनी कक्षा पर चलता हुआ 27.3 दिन में पृथ्वी की एक परिक्रमा पूरी करता है। इस प्रकार एक मासिक चक्र में आकाश में जिन मुख्य सितारों के समूहों के बीच से चन्द्रमा गुजरता है, चन्द्रमा व सितारों के समूह के उसी संयोग को नक्षत्र कहा जाता है। चन्द्रमा की 360˚ की एक परिक्रमा के पथ पर लगभग 27 विभिन्न तारा-समूह बनते हैं, आकाश में तारों के यही विभाजित समूह नक्षत्र या तारामंडल के नाम से जाने जाते हैं। इन 27 नक्षत्रों में चन्द्रमा प्रत्येक नक्षत्र की 13˚20’ की परिक्रमा अपनी कक्षा में चलता हुआ लगभग एक दिन में पूरी करता है। प्रत्येक नक्षत्र एक विशेष तारामंडल या तारों के एक समूह का प्रतिनिधी होता है।

ये खगोलीय सितारे ज्योतिष गणना में मतभेद पैदा करते हैं। प्रारंभ में, राशि चक्र की सुविधा के लिए राशियों को 12 भागों में वर्गीकृत किया गया था। फिर प्राचीन संतों ने आकाश को 27 नक्षत्रों में बांट दिया। ये नक्षत्र ज्योतिष में सबसे महत्वपूर्ण घटक के रूप में उभरे हैं। वैदिक ज्योतिष में एक नक्षत्र को एक सितारे के समान समझा जाता है। आकाश को 360 डिग्री पर बांटा गया फिर 13।20 के 27 उप विभाजन 27 नक्षत्रों के लिए किए गए। फिर सभी नक्षत्रों को 4 पदों में या 3डिग्री और 20 मिनट के क्वार्टर में बांटा गया। इसलिए पहली राशि मेष, जो 30डिग्री है, इसमें पहला नक्षत्र अश्विनी के पूरे 4 पद (13:20), दूसरा नक्षत्र भ्ररनी के सभी 4 पद (13:20′) और तीसरा नक्षत्र कार्तिक का पहला पद (3:20) शामिल है। इस तरीके में, प्रत्येक राशि 9 पद शामिल हैं। ज्योतिष के कुछ स्कूलों में 28 भागों में बांटकर एक अतिरिक्त नक्षत्र अभिजीत पर विचार किया जाता है। हालांकि, सभी व्यावहारिक प्रयोजनों के लिए अश्विनी से शुरू हुए केवल 27 नक्षत्र ही माने जाते हैं।

ये नक्षत्र मुख्य रूप से देव, नर और राक्षस के 3 सिर के रूप में बांटे गए हैं। फिर उन्हें उनके लिंग और वर्ण के आधार पर बांटा गया, फिर उनके गुण जैसे, रंग, संचालित देवता, गुण, शरीर के अंगों का गुण, ग्रह आदि के साथ भी जोड़ा गया। जब एक राशि में विराजित किसी विशेष ग्रह का अध्ययन किया जाता है तब ग्रह की स्थिति का नक्षत्र के द्वारा सम्मान किया जाता है और तब मन में विशेष पद भी रहता है। सदियों से भारतीय विवाह सहित किसी भी सामाजिक या धार्मिक मुहूर्त की शुभ तिथि तय करने के लिए इन नक्षत्रों की गणना करते आ रहे हैं। भविष्यवाणी के ज्योतिष में नक्षत्र और उनसे संबंधित पदों की भूमिका भारतीय ज्योतिष में अद्वितीय है।अग्नि पुराण,नारद पुराण ,गरुड़ पुराण मत्स्य पुराण तथा अन्य पुराणों तथा बृहत्संहिता,भद्रबाहु संहिता ,नारद संहिता ,वशिष्ठ संहिता आदि  में नक्षत्रों का वर्णन किया गया है |

पुराणों तथा संहिता में नक्षत्र विचार—
नक्षत्र ग्रह विप्राणां  वीरुधां चाप्यशेषतः |
सोमं राज्ये दधह्रह्याम यज्ञानां तमसामापि ||

(श्री विष्णु पुराण)
श्री विष्णु पुराण के अनुसार दक्ष प्रजापति की 27 कन्याएं ही नक्षत्र रूपा हैं जिनका विवाह चंद्रमा से हुआ है | इन्हीं 27  नक्षत्रों का भोग चन्द्र द्वारा किये जाने पर चैत्र आदि एक चन्द्र  मास पूर्ण होता है |सभी पुराणों में नक्षत्रों के महत्व तथा शुभाशुभ फल का वर्णन किया गया है | ज्योतिष शास्त्र में नक्षत्रों का उपयोग बालक/बालिका के जन्म के समय शुभाशुभ विचार , नामकरण, मुहूर्त विचार,ग्रह चार,मेलापक तथा जातक के अन्य सभी शुभ अशुभ फल विचारने के लिए किया जाता है |

अग्नि पुराण के अनुसार प्रति मास अपने जन्म नक्षत्र के दिन नक्षत्र देवता का विधिवत पूजन अर्चन करने से उस महीने का फल शुभ रहता है और कष्ट की निवृति होती है |जन्म नक्षत्र ज्ञात न हो तो प्रचलित नाम के पहले अक्षर से नाम नक्षत्र ज्ञात करें और उस नक्षत्र के देवता की पूजा करें

उर्ध्वमुख नक्षत्र तथा उसमें सफल होने वाले कार्य—-
रोहिणी ,आर्द्रा, पुष्य ,उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ ,श्रवण ,धनिष्ठा ,शतभिषा ,उत्तरा भाद्रपद ये नौ नक्षत्र उर्ध्वमुख अर्थात ऊपर मुख वाले हैं | इन में विवाह आदि मंगल कार्य,राज्याभिषेक ,ध्वजारोहण,मंदिर निर्माण,बाग़-बगीचे लगवाना ,चार दीवारी बनवाना ,गृह निर्माण आदि कार्य करवाना शुभ रहता है |

अधोमुखी नक्षत्र तथा उसमें सफल होने वाले कार्य—-
कृतिका, भरणीं ,आश्लेषा, विशाखा, मघा ,मूल, पूर्वाषाढ़ ,पूर्वाफाल्गुनी, पूर्वा भाद्रपद ये नौ नक्षत्र अधोमुख अर्थात नीचे मुख वाले हैं | इन में तालाब कुएं खुदवाना ,नलकूप लगवाना ,चिकित्सा कर्म, विद्याध्ययन ,खनन,लेखन कार्य,शिल्प कार्य, भूमि में गड़े पदार्थों को निकालने का कार्य करना शुभ रहता है |

तिर्यङ्मुख नक्षत्र तथा उसमें सफल होने वाले कार्य—
अनुराधा, मृगशिरा ,चित्रा, हस्त, ज्येष्ठा, पुनर्वसु ,अश्वनी, स्वाति, रेवती ये नौ नक्षत्र सामने मुख वाले हैं  जिन में यात्रा करना ,खेत में हल जोतना ,पत्राचार करना ,सवारी करना ,वाहन निर्माण आरम्भ करना शुभ है |

ध्रुव संज्ञक नक्षत्र तथा उसमें सफल होने वाले कार्य—-
रोहिणी, उत्तराफाल्गुनी ,उत्तराषाढ ,उत्तरा भाद्रपद ये चार नक्षत्र ध्रुव नक्षत्र हैं जिनमें क्रय-विक्रय करना ,हल जोतना ,बीज बोना आदि कार्य करना शुभ हैं |

क्षिप्र संज्ञक नक्षत्र तथा उसमें सफल होने वाले कार्य—
हस्त,अश्वनी,पुष्य ये तीन नक्षत्र क्षिप्र संज्ञक हैं  
जिनमें यात्रा करना ,दुकान लगाना,शिल्प कार्य,रति कार्य,ज्ञान अर्जन करना शुभ है |

साधारण संज्ञक नक्षत्र तथा उसमें सफल होने वाले कार्य—
विशाखा तथा कृतिका साधारण नक्षत्र हैं जिनमे सभी कार्य किये जा सकते हैं |

चर संज्ञक नक्षत्र तथा उसमें सफल होने वाले कार्य—
धनिष्ठा ,पुनर्वसु,शतभिषा ,स्वाति तथा श्रवण नक्षत्र चार संज्ञक हैं जिन में यात्रा करना ,बाग- बगीचे लगाना ,तथा परिवर्तन शील कार्य करना शुभ है |

मृदुसंज्ञक नक्षत्र तथा उसमें सफल होने वाले कार्य—
मृगशिरा ,अनुराधा,चित्रा,रेवती मृदु नक्षत्र हैं जिनमें आभूषण निर्माण,खेल कूद,नवीन वस्त्र धारण करना ,गीत-संगीत से सम्बंधित कार्य करना शुभ रहेगा |

कुलाकुल संज्ञक नक्षत्र तथा उनके फल—
अश्वनी, कृतिका ,मृगशिरा ,पुष्य,चित्रा,मूल ,उत्तराफाल्गुनी,उत्तराषाढ,उत्तराभाद्रपद, श्रवण,धनिष्ठा ,मघा,पूर्वाफाल्गुनी, विशाखा कुल संज्ञक नक्षत्र हैं जिन में अदालत में मुकद्दमा दायर करने वाला व्यक्ति हार जाता है तथा युद्ध के लिए प्रयाण करने वाले की पराजय होती है | रोहिणी, ज्येष्ठा,रेवती,पुनर्वसु, स्वाति,हस्त,अनुराधा ,भरणीं,पूर्वा भाद्रपद ,आश्लेषा अकुल संज्ञक नक्षत्र हैं जिनमें आक्रमणकारी शत्रु पर विजय  प्राप्त करता है और अदालत में मुकद्दमा दायर करने वाला व्यक्ति जीत जाता है| आर्द्रा ,शतभिषा,पूर्वाषाढ़ कुलाकुल नक्षत्र है जिनमें मुकद्दमा दायर करने अथवा युद्ध आरम्भ करने पर दोनों पक्षों में संधि की संभावना रहती है |

नक्षत्रों की भूकंप आदि संज्ञाएँ—
विचारणीय काल में सूर्य जिस नक्षत्र में स्थित हो उस से पांचवें को विद्युत्, सातवें नक्षत्र को भूकंप, आठवें को शूल, दसवें को अशनि, चौदहवें की निर्घातपात  ,पन्द्रहवें को दण्ड,अठारहवें को केतु,उन्नीसवें को उल्का, इक्कीसवें की मोह,बाइसवें की निर्घात,तेइसवें की कंप,चौबीसवें की कुलिश तथा पच्चीसवें की परिवेश संज्ञा होती है इन नक्षत्रों में कार्य आरम्भ करने पर प्रायः सफलता नहीं मिलती |

Tithi

In Vedic time keeping, a Tithi is a lunar day, or the time it takes for the longitudinal angle between the Moon and Sun to increase by 12 degree. Tithis begin at varying times of day and vary in duration from approximately 19 to approximately 26 hours. There are 30 Tithis in each lunar month

Naksatra Tithi Yoga
While selecting a suitable day and time for any undertaking, the prevalent Tithi (Lunar day), Nakshatra (Star constellation in which the moon is placed at that time) and the Yoga (auspiciousness) are taken into consideration. If you don’t have an astrologer to guide you, the following basic information will help you. Please note that in Vedic Astrology everything has its functional use. Some days may be auspicious for some things, but inauspicious for other things.

The 27 Nakshatras:

Rohini, Uttaraphalguni, Uttarasadha, and Uttarabhadrapada are FIXED constellations and are favourable for digging wells, laying foundations or cities, expiatory rituals, planting trees, coronations, buying lands, meritorious deeds, sowing of seeds, installation of Deities, the building of a temple, or any other activity desirous of a lasting or permanent effect.

Mrgasira, Citra, Anuradha, and Revati are SOFT or GENTLE constellations good for fine arts, learning, making friendships, sensual pleasures, decorations, sexual union, wearing new apparel, marriage, singing and dancing, processions, auspicious ceremonies, festivities, dealings of agriculture, and journeys.

Ashvini, Pusya, and Hasta are LIGHT or SWIFT constellations and are good for sports, enjoying items of luxury, starting industries, skilled labour, medical treatments, starting education, starting journeys, seeing friends, buying and selling, the performance of spiritual activities, decorations, fine arts, exercise, and for giving or receiving loans.

Arudra, Aslesa, Jyestha, and Mula are DREADFUL stars and are suitable for success in warfare, invocation of elementals and other spirits, imprisonment, separations, acts of destruction, and the breaking of alliances with superiors.

Purnavasu, Swati, Shravana, Dhanistha and Satabhisa are TEMPORARY, MOVABLE, or QUICK stars favourable for undertaking travel, acquiring conveyances, gardening, going on processions, visiting friends, and anything of a temporary nature.

Bharani, Magha, Purvaphalguni, Purvasadha, and Purvabhadrapada are FIERCE or CRUEL, constellations and are suitable for acts of evil, deceit, and conflict, destruction of enemies, incarceration, poisoning, arson, battle, setting fire, acts of destruction, ill-repute, and cruelty.

Krtttika and Visakha are MIXED constellations and good for routine duties, one’s professional responsibilities, and any activities of day-to-day importance.

How to apply this:

FIXED (steady) stars, this is a favourable nakshatra to perform such things as laying foundations, for building, careers, relationships, things that you want to be permanent.

SOFT (gentle) stars, favourable for art, dance, music, marital union, ceremonies.

LIGHT (excellent) stars, which give pleasure, sports, giving medicine, starting industries or travel.

SHARP (harsh) stars, tantric incantations, imprisonment, causing separation of friends, assasinations.

MOVABLE stars, acquiring vehicles, going on procession, gardening.

DREADFUL (cruel) stars, evil schemes, evil deeds, planting ghosts in people, deceit, imprisonment, setting fires – arson.

MIXED stars, works of every day, day to day importance.

The 15 Tithis

1st Tithi – Pratipat
The presiding deity of the first Tithi in Brahma and is good for all types of auspicious and religious ceremonies.

2nd Tithi – Dwitiya
Vidhatr rules this Tithi and is good for the laying of foundations for buildings and other things of a permanent nature.

3rd Tithi – Tritiya
Visnu is the lord of this day and is good for the cuttings of one’s hair and nails and shaving.

4th Tithi – Chaturthi
Yama is lord of the 4th Tithi, which is good for the destruction of one’s enemies, the removal of obstacles, and acts of combat.

5th Tithi – Panchami
The Moon rules this day, which is favourable for administering medicine, the purging of poisons, and surgery.

6th Tithi – Shasthi
Karttikeya presides over this day and is favourable for coronations, meeting new friends, festivities, and enjoyment.

7th Tithi – Saptami
The 7th Tithi is ruled by Indra; one may begin a journey, buy conveyances, and deal with other such things as a movable nature.

8th Tithi – Asthami
The Vasus rule this day, which is good for taking up arms, building of one’s defenses, and fortification.

9th Tithi – Navami
The Serpent rules this day, with is suitable for killing enemies, acts of destruction, and violence.

10th Tithi – Dasami
The day is ruled by Dharma and is auspicious for acts of virtue, religious functions, spiritual practices, and other pious activities.

11th Tithi – Ekadasi
Rudra rules this day; fasting, devotional activities, and remembrance of the Supreme Lord are very favourable.

12th Tithi – Dvadasi
The Sun rules this day, which is auspicious for religious ceremonies the lighting of the sacred fire, and the performance of one’s duties.

13th Tithi – Trayodasi
The day is ruled by Cupid and is good for forming friendships, sensual pleasures, and festivities.

14th Tithi – Chaturdasi
Kali rules this day suitable for administering poison and calling of elementals and spirits.

15th Tithi – Amavasya or Purnima
The Vasve-devas rule the New Moon suitable for the propitiation of the Manes and performance of austerities.

The 27 Yogas

1 VAIDHRITI
The Yoga is Vaidhriti (Poor Support) — critical, scheming nature; powerful and overwhelming mentally or physically.

2 VISHKAMBHA
The Yoga is Vishkambha (Supported) — prevails over others, victorious over enemies, obtains property, wealthy.

3 PRITI
The Yoga is Priti (Fondness) — well-liked, attracted to the opposite sex, enjoys life with contentment.

4 AYUSHMAN
The Yoga is Ayushman (Long-lived) — good health and longevity, energetic.

5 SAUBHAGYA
The Yoga is Saubhagya (Good Fortune) — enjoys a comfortable life full of opportunities, happy.

6 SOBHANA
The Yoga is Shobhana (Splendor) — lustrous body and demeanor sensualist, obsessed with sex.

7 ATIGANDA
The Yoga is Atiganda (Danger or obstacles) — difficult life due to numerous obstacles and accidents; revengeful and angry.

8 SUKARMA
The Yoga is Sukarma (Virtuous) — performs noble deeds, magnanimous and charitable, wealthy.

9 DHRITI
The Yoga is Dhriti (Determination) — enjoys the wealth, goods and spouses of others; indulges in the hospitality of others.

10 SOOLA
The Yoga is Shula (Spear, Pain) — confrontational and contrary, quarrelsome, angry.

11 GANDA
The Yoga is Ganda (Danger or obstacles) — flawed morals or ethics, troublesome personality.

12 VRIDDHA
The Yoga is Vriddhi (Growth) — intelligent, opportunistic and discerning; life constantly improves with age.

13 DHRUVA
The Yoga is Dhruva (Constant) — steady character, able to concentrate and persist, wealthy.

14 VYAGATHA
The Yoga is Vyaghata (Beating) — cruel, intent on harming others.

15 HARSHANA
The Yoga is Harshana (Thrilling) — intelligent, delights in merriment and humor.

16 VAJRA
The Yoga is Vajra (Diamond, Thunderbolt) — well-off, lecherous, unpredictable, forceful.

17 SIDDHI
The Yoga is Siddhi (Success) — skillful and accomplished in several areas; protector and supporter of others.

18 VYATAPATA
The Yoga is Vyatipata (Calamity) — prone to sudden mishaps and reversals, fickle and unreliable.

19 VARIYAN
The Yoga is Variyana (Comfort) — loves ease and luxury, lazy, lascivious.

20 PARIGHA
The Yoga is Parigha (Obstruction) — encounters many obstacles to progress in life; irritable and meddlesome.

21 SIVA
The Yoga is Shiva (Auspicious) — honored by superiors and government, placid, learned and religious, wealthy.

22 SIDDHA
The Yoga is Siddha (Accomplished) — accommodating personality, pleasant nature, interest in ritual and spirituality.

23 SADHYA
The Yoga is Sadhya (Amenable) — well behaved, accomplished manners and etiquette.

24 SUBHA
The Yoga is Shubha (Auspicious) — lustrous body and personality, but problems with health; wealthy, irritable.

25 SUKLA
The Yoga is Shukla (Bright White) — garrulous and flighty, impatient and impulsive; unsteady and changeable mind.

26 BRAHMA
The Yoga is Brahma (Priest, God) — trustworthy and confidential, ambitious, good discernment and judgment.

27 INDRA
The Yoga is Indra (Chief) — interest in education and knowledge; helpful, well-off.

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