Shukra grah ke upay शुक्र ग्रह के उपाय
शुक्र ग्रह देवता Shukra grah devta |
इस पोस्ट में शुक्र ग्रह से संबंधित दी गई जानकारी निम्न है:-
1. शुक्र ग्रह की शांति के उपाय (shukra grah shanti ke upay)
2. कमजोर शुक्र ग्रह को मजबूत करने के उपाय (shukra grah ko majboot karne ke upay)
3. लाल किताब में शुक्र ग्रह के उपाय (shukra graha ke upay in lal kitab)
4. शुक्र ग्रह का मन्त्र, स्तोत्र, कवच, यन्त्र, दान आदि उपाय (shukra grah ka mantra, tantra, yantra, stotra, kavach, pujan, daan, vrat aadi upay)
5. शुक्र ग्रह के वैदिक मंत्र जाप विधान, तांत्रिक मन्त्र जाप विधि (shukra grah ke vedic mantra jaap vidhan, tantrik mantra jap vidhi)
शुक्र ग्रह शान्ति के उपाय:
शुक्र ग्रहों में सबसे चमकीला है और प्रेम का प्रतीक है, शुक्र स्त्री गृह है कामुकता से इसका सीधा संबंध भी है और हर प्रकार के सौंदर्य और ऐश्वर्य से ये सीधे संबंध रखता है, यदि किसी की कुंडली में शुक्र शुभ प्रभाव देता है तो वह जातक आकर्षक, सुंदर और मनमोहक होता है, शुक्र के विशेष प्रभाव से वह जीवनभर सुखी रहता है !
शुक्र ग्रह वैभवशाली जीवन देने वाला होता है। जिस जातक की कुंडली में शुक्र ग्रह उच्च स्थान पर हो और शुभ फल देने वाला हो उसके जीवन में सुख का आगमन बिना किसी प्रयास के होता है। ऐसे व्यक्ति का जीवन राजा के समान होता है। ऐसे व्यक्ति अपने जीवन में वह सब कुछ पाते हैं जो वह चाहते हैं, लेकिन इसके ठीक विपरीत जिनकी कुंडली में शुक्र रुष्ठ हों यानी नीच घर में बैठे हो या उनका घर में उनका शत्रु ग्रह भी मौजूद हो तो जातक को शुक्र ग्रह के वैभव का लाभ नहीं मिलता।
शुक्र को सुन्दरता का प्रतीक माना जाता है, सुख का कारक माना जाता है, शुक्र की चमक एवं शान अन्य ग्रहो के अलग व निराली है. इसी सुंदरता के लिए शुक्र जाना जाता है, शुक्र की आराधना कर शुक्र को बलवान बनाकर सुख व ऐश्वर्य पाया जा सकता है
आज हर व्यक्ति अपने जीवन को अपनी हैसियत से ज्यादा आरामदायक वस्तुओं पर खर्च करता है, यदि आप भी जिन्दगी को ऐश्वर्य और आराम से भरपुर बनाना चाहते हैं तो शुक्र बलवान बनाने वाले उपायों को अपनाए, शुक्र के लिए ओपल, हीरा, स्फटिक का प्रयोग करना चहिये और यदि ये बहुत ही खराब है तो पुरुषों को अश्विनी मुद्रा या क्रिया रोज करनी चाहिये
इस ग्रह के पीड़ित होने पर आपको ग्रह शांति हेतु सफेद रंग का घोड़ा दान देना चाहिए, रंगीन वस्त्र, रेशमी कपड़े, घी, सुगंध, चीनी, खाद्य तेल, चंदन, कपूर का दान शुक्र ग्रह की विपरीत दशा में सुधार लाता है इसके साथ ही कुछ प्रभावशाली मंत्रों के जाप से शुक मजबूत होकर सुखद फल प्रदान करता है
शुक्र महाग्रह मंत्र ॐ नमो अर्हते भगवते श्रीमते पुष्पदंत तीर्थंकराय। अजितयक्ष महाकालियक्षी सहिताय ॐ आं क्रों ह्रीं ह्र:।। शुक्र महाग्रह मम दुष्टग्रह। रोग कष्ट निवारणं सर्व शान्तिं च कुरू कुरू हूं फट्।। मध्यम मंत्र ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं शुक्रग्रह अरिष्ट निवारक श्री पुष्पदंत जिनेन्द्राय नम: शान्तिं कुरू कुरू स्वाहा लघु मंत्र ॐ ह्रीं णमो अरिहंताणं तांत्रिक मंत्र ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम: शुक्र गायत्री मंत्र ॐ भृगुवंशजाताय विद्यमहे। श्वेतवाहनाय धीमहि।तन्नो : कवि: प्रचोदयात॥
शुक्रवार के दिन किसी नवग्रह मंदिर या घर के देवालय में यथासंभव शुक्रदेव की सोने से बनी मूर्ति या लिंग रूप प्रतिमा की यथाविधि पूजा करें. पूजा में दो सफेद वस्त्र, सफेद फूल, गंध और अक्षत चढ़ाएं. पूजा के बाद शुक्रदेव को खीर या घी से बने सफेद पकवान का भोग लगाएं. पूजा के बाद इस शुक्र गायत्री मंत्र का कम से कम 108 बार जप करना श्रेष्ठ होता है. नवग्रह शांति मंत्र ॐ ब्रह्मामुरारि त्रिपुरान्तकारी भानु: राशि भूमि सुतो बुध च। गुरू च शुक्र: शनि राहु केतव: सर्वेग्रहा: शान्ति करा: भवन्तु।।
हमारे धर्म ग्रंथों में कई मंत्रों का वर्णन है जिनके जाप से किसी भी ग्रह की शांति हो जाती है. एक मंत्र ऐसा भी है जिसके माध्यम से सभी ग्रहों की एक साथ पूजा की जा सकती है. यह मंत्र नौ ग्रहों की पूजा के लिए उपयुक्त है. यदि इस मंत्र का प्रतिदिन जाप किया जाए तो सभी ग्रहों का बुरा प्रभाव समाप्त हो जाता है और शुभ फल प्राप्त होते हैं. इस मंत्र के जाप के लिए कुछ उपाय हैं. सुबह जल्दी उठकर नहाकर साफ वस्त्र पहनकर नवग्रहों की पूजा करनी चाहिए. नवग्रह की मूर्ति के सामने आसन लगाकर रुद्राक्ष की माला से इस मंत्र का पांच माला जप करें. आसन कुश का हो तो अच्छा रहेगा.
शुक्र का वैदिक मंत्र – Vedic Mantra for Venus
ऊँ अन्नात्परिस्रुतो रसं ब्रह्मणा व्यपिबत क्षत्रं पय: सेमं प्रजापति: ।
ऋतेन सत्यमिन्दियं विपान ग्वं, शुक्रमन्धस इन्द्रस्येन्द्रियमिदं पयोय्मृतं मधु ।
नाम मंत्र – Naam Mantra For Venus
ऊँ शुं शुक्राय नम:
शुक्र के लिए तांत्रोक्त मंत्र – Tantrokta Mantra for Venus
ऊँ ह्रीं श्रीं शुक्राय नम:
ऊँ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:
ऊँ वस्त्रं मे देहि शुक्राय स्वाहा
शुक्र का पौराणिक मंत्र – Poranik Mantra for Venus
ऊँ हिमकुन्दमृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम सर्वशास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम ।
तांत्रिक उपाय काली चींटियों को चीनी खिलानी चाहिए. शुक्रवार के दिन सफेद गाय को आटा खिलाना चाहिए. किसी काने व्यक्ति को सफेद वस्त्र एवं सफेद मिष्ठान्न का दान करना चाहिए. किसी महत्त्वपूर्ण कार्य के लिए जाते समय 10 वर्ष से कम आयु की कन्या का चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लेना चाहिए. अपने घर में सफेद पत्थर लगवाना चाहिए. किसी कन्या के विवाह में कन्यादान का अवसर मिले तो अवश्य स्वीकारना चाहिए. शुक्रवार के दिन गौ को दुग्ध से स्नान करना चाहिए.
शुक्र के लिए : समय सूर्योदयकाल।
दुर्गा देवी का पूजन करें। श्रीसूक्त का पाठ करें। देवी की वंदना या दुर्गा चालीसा का पाठ करें। शुक्र के मूल मंत्र का जप सूर्योदयकाल में 16,000 जप 40 दिन में करें।
मंत्र : 'द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:'।
दान-द्रव्य : हीरा, सोना, चांदी, चावल, मिश्री, दूध, सफेद वस्त्र, सफेद फूल, सुगंधित दही, सफेद घोड़ा, सफेद चंदन।
शुक्र के निर्बल होने से जीवन में भोग विलास की कमी हो सकती है. मूत्र संबंधी परेशानियाँ हो सकती है. ऎसी स्थिति में शुक्र के मंत्र जाप करने चाहिए. शुक्र के किसी एक मंत्र का जाप शुक्ल पक्ष के शुक्रवार से आरंभ करना चाहिए. शुक्र के मंत्र जाप सूर्योदय काल में करने चाहिए.
Upay to make shukra graha strong
ऐसे व्यक्ति जीवन में तमाम मेहनत और निष्ठा के बाद भी वह स्थान नहीं पा पाता जो उसे मिलना चाहिए। ऐसे में शुक्र को प्रसन्न बेहद जरूरी है। तो आइए आज शुक्र ग्रह को मनाने के कु उपाय जानें जो उनके बुरे प्रभाव को सही कर सकें।
शुक्र का अन्य राशियों से संबंध
शुक्र वृषभ और तुला राशि के स्वामी हैं लेकिन ये कन्या के लिए नीच है और मीन के लिए उच्च। शुक्र के मित्र राशि शनि और केतु हैं लेकिन सूर्य और चंद्र इसके शत्रु हैं। जबकि मंगल, राहु और गुरु के साथ शुक्र का समभाव संबंध है। शुक्र अगर नीच का हो तो जातक के जीवन में सुख और वैभव का सदा अभाव रहता है।
जानिए शुक्र कब-कब बुरे प्रभाव देता है
शुक्र के साथ राहु अगर एक ही घर में हो तो जातक को न धन सुख होगा न स्त्री सुख या पति सुख।
यदि शनि नीच का हो और शुक्र के साथ हो तो समझ लें जातक के बुरे दिन ही रहेंगे।
यदि आपके अंगूठे में दर्द रहता हो या अंगूठे के आसपास घाव या कोई भी समस्या हो तो शुक्र का प्रभाव अच्छा नहीं होता।
शुक्र ग्रह स्किन डिजीज देता है। साथ ही शुक्र गुप्त रोग का कारण बनता है।
पत्नी का सम्मान करें। किसी भी स्त्री के साथ अभद्रता कभी न करें। साथ ही पराई स्त्री से दूर रहें।
शुक्र नीच का है तो खुद घर की सफाई करें। खुद ही कपड़े आदि धुलें और घर को साफ रखें। साफ सुथरे कपड़े पहनें और स्नान रोज करें।
सुगंधित इत्र या सेंट का उपयोग जरूर करें क्योंकि शुक्र को यह बहुत पसंद है।
शुक्र को प्रसन्न करने के उपाय जानें
शुक्रवार के दिन माता लक्ष्मी की पूजा जरूर करें।
शुक्रवार के दिन सफेद रंग के कपड़ों का दान गरीबों में करें।
जब भी आप भोजन बनाएं कुछ हिस्सा उसमें से गाय, कौवे और कुत्ते को देने के लिए निकालें।
दो मोती लें। इसमें एक बहते पानी में शुक्रवार को बहा दें दूसरा जीवन भर अपने पास रखें।
ऊ शुं शुक्राय नम: का जाप जरूर करें।
मोती, हीरा या ओपल अपने रिंग फिंगर में पहनें।
शुक्रवार को खुद भी सफेद वस्त्र धारण करें और सफेद चीजों को ही खाएं। इससे शुक्र का बुरा प्रकोप शांत होगा।
2. कमजोर शुक्र ग्रह को मजबूत करने के उपाय (shukra grah ko majboot karne ke upay)
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर व्यक्ति के जीवन में शुक्र ग्रह भौतिक सुख-सुविधाओं का कारक माना गया है. तमाम ग्रहों की तरह शुक्र का भी हमारे जीवन पर अच्छा और बुरा असर पड़ता है. व्यक्ति की सेहत और सुंदरता भी इस ग्रह के प्रभाव से अछूती नहीं है. ज्योतिष शास्त्र की मानें तो जिस व्यक्ति की कुंडली में उसका शुक्र ग्रह मजबूत होता है तो वह जातक बेहद खूबसूरत होता है. ऐसे में अगर आप भी अपनी कुंडली में मौजूद शुक्र को मजबूत बनाकर मनचाहा फल प्राप्त करना चाहते हैं तो अपनाएं ये 5 उपाय, सफलता आपके कदम चूमेगी.
सफेद रंग -
शुक्रवार के दिन शुक्र के प्रिय सफेद रंग की वस्तुओं का इस्तेमाल करें. उदाहरण के लिए इस दिन सफेद कपड़े पहनने की कोशिश करें.
सफेद चीजों का दान
शुक्रवार के दिन सफेद चीजों का दान करने से भी शुक्र की कृपा आपके जीवन पर होने लगती है.
शुक्र दोष दूर करने के लिए
शुक्रवार के दिन माता लक्ष्मी की पूजा करने से व्यक्ति का शुक्र दोष समाप्त होकर उस पर माता लक्ष्मी की कृपा बरसने लगती है. उसकी पैसों से जुड़ी सभी परेशानी दूर हो जाती हैं.
साफ-सफाई का ध्यान
शुक्र ग्रह की कृपा पाने के लिए अपने शरीर के साथ घर की साफ-सफाई का भी ध्यान रखें. ऐसा न करने पर आपको शुक्र के बुरे प्रभावों को झेलना पड़ सकता है. शुक्र को प्रसन्न करने के लिए घर को साफ-सुथरा रखने के साथ सदैव साफ कपड़े पहनें.
गाय के लिए भोजन
शुक्र ग्रह की कृपा पाने के लिए खाने से पहले अपने भोजन का कुछ हिस्सा गाय, कौवे, या कुत्ते के लिए निकाल कर रखें. ऐसा करने से शुक्र की व्यक्ति पर विशेष कृपा होती है
01.शुक्र की वस्तुओं से स्नान —–
ग्रह की वस्तुओं से स्नान करना उपायों के अन्तर्गत आता है. शुक्र का स्नान उपाय करते समय जल में बडी इलायची डालकर उबाल कर इस जल को स्नान के पानी में मिलाया जाता है . इसके बाद इस पानी से स्नान किया जाता है. स्नान करने से वस्तु का प्रभाव व्यक्ति पर प्रत्यक्ष रुप से पडता है. तथा शुक्र के दोषों का निवारण होता है।
यह उपाय करते समय व्यक्ति को अपनी शुद्धता का ध्यान रखना चाहिए। तथा उपाय करने कि अवधि के दौरान शुक्र देव का ध्यान करने से उपाय की शुभता में वृ्द्धि होती है। इसके दौरान शुक्र मंत्र का जाप करने से भी शुक्र के उपाय के फलों को सहयोग प्राप्त होता है।
02.शुक्र की वस्तुओं का दान —- शुक्र की दान देने वाली वस्तुओं में घी व चावन का दान किया जाता है। इसके अतिरिक्त शुक्र क्योकि भोगविलास के कारक ग्रह है। इसलिये सुख- आराम की वस्तुओं का भी दान किया जा सकता है। बनाव -श्रंगार की वस्तुओं का दान भी इसके अन्तर्गत किया जा सकता है । दान क्रिया में दान करने वाले व्यक्ति में श्रद्धा व विश्वास होना आवश्यक है। तथा यह दान व्यक्ति को अपने हाथों से करना चाहिए। दान से पहले अपने बडों का आशिर्वाद लेना उपाय की शुभता को बढाने में सहयोग करता है।
03.शुक्र मन्त्र का जाप —– शुक्र के इस उपाय में निम्न श्लोक का पाठ किया जाता है।
“ऊँ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा ”
शुक्र के अशुभ गोचर की अवधि या फिर शुक्र की दशा में इस श्लोक का पाठ प्रतिदिन या फिर शुक्रवार के दिन करने पर इस समय के अशुभ फलों में कमी होने की संभावना बनती है। मुंह के अशुद्ध होने पर मंत्र का जाप नहीं करना चाहिए। ऐसा करने पर विपरीत फल प्राप्त हो सकते है।
वैवाहिक जीवन की परेशानियों को दूर करने के लिये इस श्लोक का जाप करना लाभकारी रहता है । वाहन दुर्घटना से बचाव करने के लिये यह मंत्र लाभकारी रहता है।
04.शुक्र का यन्त्र —–
शुक्र के अन्य उपायों में शुक्र यन्त्र का निर्माण करा कर उसे पूजा घर में रखने पर लाभ प्राप्त होता है। शुक्र यन्त्र की पहली लाईन के तीन खानों में 11,6,13 ये संख्याये लिखी जाती है। मध्य की लाईन में 12,10, 8 संख्या होनी चाहिए। तथा अन्त की लाईन में 07,14,9 संख्या लिखी जाती है।
शुक्र यन्त्र में प्राण प्रतिष्ठा करने के लिये किसी जानकार पण्डित की सलाह ली जा सकती है. यन्त्र पूजा घर में स्थापित करने के बाद उसकी नियमित रुप से साफ-सफाई का ध्यान रखना चाहिए.
05 .–शुक्र गृह का रत्न/रत्न धारण :—हीरा अथवा जरकिन , श्वेत पुखराज,
सफेद मूंगा – चांदी या श्वेत धातु में मढ़वा कर पंचोपचार पूजन, प्राण प्रतिष्ठा करा कर, तर्जनी उंगली में धारण करना चाहिए।
यह रत्न शुक्र को बलवान बनाने के लिए धारण किये जाते है तथा धारक के लिए शुभ होने पर यह उसे सांसरिक सुख-सुविधा, ऐशवर्य, मानसिक प्रसन्नता तथा अन्य बहुत कुछ प्रदान कर सकता है। हीरे के अतिरिक्त शुक्र को बल प्रदान करने के लिए सफेद पुखराज भी पहना जाता है। शुक्र के यह रत्न रंगहीन तथा साफ़ पानी या साफ़ कांच की तरह दिखते हैं। इन रत्नों को आम तौर पर दायें हाथ की मध्यामा उंगली में शुक्रवार की सुबह स्नान करने के बाद धारण किया जाता है। रत्न धारण करने से ग्रह बलवान हो जाता है परन्तु ये सुनिश्चित कर लें की आपकी कुंडली के हिसाब से रत्न धारण कर सकते हैं या नहीं। अच्छा रहेगा किसी योग्य ज्योतिषी से रत्न धारण की सलाह ले लें।
06 .–औषधि धारण :—- शुक्रवार के दिन गुलर की जड़ को सफेद कपड़े में बांध कर व सफेद धागे में (यदि रेशम का हो तो अच्छा है) बांध कर गले या बांह में धारण करना चाहिए। ऐसा करने से शुक्र देव प्रसन्न होते हैं।
कुछ अन्य उपाय,शुक्र को बलि करने के लिए—–
काली चींटियों को चीनी खिलानी चाहिए।
शुक्रवार के दिन सफेद गाय को आटा खिलाना चाहिए।
किसी काने व्यक्ति को सफेद वस्त्र एवं सफेद मिष्ठान्न का दान करना चाहिए।
10 वर्ष से कम आयु की कन्या को भोजन कराए और चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लें।
अपने घर में सफेद पत्थर लगवाना चाहिए।
सुबह उठते ही बिना बोले मां के चरण स्पर्श करें।
शुक्रवार के दिन रोज कौए को चावल और खुरा खिलाएं।
पत्नी को खुश रखे।
किसी कन्या के विवाह में कन्यादान का अवसर मिले तो अवश्य स्वीकारना चाहिए।
शुक्रवार के दिन गाय के दुध से स्नान करना चाहिए।
किसी मन्दिर में गाय का घी दान दें।
जरूरतमंद व्यक्ति को भोजन कराएं।
संतान प्राप्ति की कामना से शुक्र को बलि बनाने का सबसे असरदार उपाय है हरसिंगार का पौधा लगाना तथा उसको सींचना। अपने छोटे बच्चे की तरह उसको देखभाल करनी चाहिए।
लक्ष्मी जी की अराधना करें। शुक्रवार को लक्ष्मी नारायण मंदिर जाएँ। पति अपनी पत्नी को 1 गुलाब को फूल दे।
तुरंत स्फटिक की माला धारण करें।
स्त्री तथा अपनी पत्नी का कभी भी अनादर नहीं करना चाहिए।
शुक्रवार को कन्याओं को खीर खिलाएं। स्वयं भी खाएं।
परफ्यूम का प्रयोग भी शुक्र को बलवान बनाता है।शुक्र के बलवान हो जाने पर व्यक्ति सभी तरह के प्रेम सुख और समृद्धि की प्राप्ती होती है साथ ही उसका वैवाहिक जीवन भी सुखद होता है।
स्फटिक का शिवलिंग घर में स्थापित कर प्रार्थना करें।
किसी महत्त्वपूर्ण कार्य के लिए जाते समय 10 वर्ष से कम आयु की कन्या का चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लेना चाहिए।
अपने घर में सफेद पत्थर लगवाना चाहिए।
किसी कन्या के विवाह में कन्यादान का अवसर मिले तो अवश्य स्वीकारना चाहिए।
शुक्रवार के दिन गौ-दुग्ध की कुछ बूंदे जल में मिलाकर स्नान करना चाहिए।
चांदी का कड़ा पहनें।
सफ़ेद कपड़ों तथा खुशबूदार वस्तुओं जैसे की इत्र का प्रयोग जरूर करें।
श्रीसूक्त का पाठ करें।
नेत्रहीन व्यक्तियों की सेवा करें
गाय का पीला घी मंदिर में देने से भी शुक्र को बल मिलता है।
शुक्र ग्रहों में सबसे चमकीला है और प्रेम का प्रतीक है. इस ग्रह के पीड़ित होने पर आपको ग्रह शांति हेतु सफेद रंग का घोड़ा दान देना चाहिए. रंगीन वस्त्र, रेशमी कपड़े, घी, सुगंध, चीनी, खाद्य तेल, चंदन, कपूर का दान शुक्र ग्रह की विपरीत दशा में सुधार लाता है.
शुक्र से सम्बन्धित रत्न का दान भी लाभप्रद होता है. इन वस्तुओं का दान शुक्रवार के दिन संध्या काल में किसी युवती को देना उत्तम रहता है.
-दान व्रत ,जाप – शुक्रवार के नमक रहित व्रत रखें , साथ में “ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः” इस मन्त्र का 16000 की संख्या में जाप करें |
शुक्रवार को आटा ,चावल दूध ,दही, मिश्री ,श्वेत चन्दन ,इत्र, श्वेत रंग का वस्त्र ,चांदी इत्यादि का दान करें |
शुक्र की दान देने वाली वस्तुओं में घी व चावल का दान किया जाता है. इसके अतिरिक्त शुक्र क्योकि भोग-विलास के कारक ग्रह है. इसलिये सुख- आराम की वस्तुओं का भी दान किया जा सकता है. बनाव -श्रंगार की वस्तुओं का दान भी इसके अन्तर्गत किया जा सकता है
दान क्रिया में दान करने वाले व्यक्ति में श्रद्धा व विश्वास होना आवश्यक है. तथा यह दान व्यक्ति को अपने हाथों से करना चाहिए. दान से पहले अपने बडों का आशिर्वाद लेना उपाय की शुभता को बढाने में सहयोग करता है.
ग्रह की वस्तुओं से स्नान करना उपायों के अन्तर्गत आता है. शुक्र का स्नान उपाय करते समय जल में बडी इलायची डालकर उबाल कर इस जल को स्नान के पानी में मिलाया जाता है . इसके बाद इस पानी से स्नान किया जाता है. स्नान करने से वस्तु का प्रभाव व्यक्ति पर प्रत्यक्ष रुप से पडता है. तथा शुक्र के दोषों का निवारण होता है. यह उपाय करते समय व्यक्ति को अपनी शुद्धता का ध्यान रखना चाहिए. तथा उपाय करने कि अवधि के दौरान शुक्र देव का ध्यान करने से उपाय की शुभता में वृ्द्धि होती है. इसके दौरान शुक्र मंत्र का जाप करने से भी शुक्र के उपाय के फलों को सहयोग प्राप्त होता है
शुक्र ग्रह से सम्बन्धित क्षेत्र में आपको परेशानी आ रही है तो इसके लिए आप शुक्रवार के दिन व्रत रखें. मिठाईयां एवं खीर कौओं और गरीबों को दें. ब्राह्मणों एवं गरीबों को घी भात खिलाएं.
अपने भोजन में से एक हिस्सा निकालकर गाय को खिलाएं. शुक्र से सम्बन्धित वस्तुओं जैसे सुगंध, घी और सुगंधित तेल का प्रयोग नहीं करना चाहिए.
वस्त्रों के चुनाव में अधिक विचार नहीं करें.
काली चींटियों को चीनी खिलानी चाहिए।
शुक्रवार के दिन सफेद गाय को आटा खिलाना चाहिए। किसी काने व्यक्ति को सफेद वस्त्र एवं सफेद मिष्ठान्न का दान करना चाहिए।
शुक्रवार के दिन गौ-दुग्ध से स्नान करना चाहिए।
शुक्र के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे उपाय /टोटकों हेतु शुशुक्रवार के दिन करे तो ज्यादा प्रभावशाली होते है या जिस दिन शुक्र का कोईनक्षत्र (भरणी, पूर्वा-फाल्गुनी, पुर्वाषाढ़ा) तथा शुक्र की होरा में अधिक शुभ होते हैं, उस दिन करें।
“ऊँ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा “
शुक्र गायत्री मंत्र का जप—-
सरल शब्दों में कहें तो इस मंत्र का जप व्यक्ति को तन, मन से जोशीला और जवां बनाए रखता है। जिससे हर कोई भौतिक सुखों को प्राप्त करने में सक्षम बन सकता है।
शुक्रवार के दिन किसी नवग्रह मंदिर या घर के देवालय में यथासंभव शुक्रदेव की सोने से बनी मूर्ति या लिंग रूप प्रतिमा की यथाविधि पूजा करें। – पूजा में दो सफेद वस्त्र, सफेद फूल, गंध और अक्षत चढ़ाएं।
पूजा के बाद शुक्रदेव को खीर या घी से बने सफेद पकवान का भोग लगाएं। – पूजा के बाद इस शुक्र गायत्री मंत्र का यथाशक्ति जप कर अंत में अगरबत्ती या घी के दीप जलाकर आरती करें। कम से कम 108 बार इस मंत्र का जप करना श्रेष्ठ होता है
ऊँ भृगुवंशजाताय विद्यमहे। श्वेतवाहनाय धीमहि।तन्नो : कवि: प्रचोदयात॥
इस मंत्र से शुक्र ग्रह का देव रूप स्मरण शारीरिक, मानसिक रुप से जोश, उमंग बनाए रख तमाम सुखों को देने वाला होता है।
शुक्र स्त्री गृह है ,मनुष्य की कामुकता से इसका सीधा सम्बन्ध भी है ,और हर प्रकार के सौंदर्य और ऐश्वर्य से ये सीधे सम्बन्ध रखता है .शुक्र के लिए ओपल ,हीरा , स्फटिक का प्रयोग करना चहिये और यदि ये बहुत ही खराब है तो पुरुषों को अश्विनी मुद्रा या क्रिया रोज करनी चहिये .”ओम रीम दूम दुर्गाय नमः” इसकी एक माला रोज करनी चहिये शुक्र को अच्छा करने के लिए
3. लाल किताब में शुक्र ग्रह के उपाय (shukra graha ke upay in lal kitab)
लाल किताब के उपाय
वृषभ और तुला राशि के स्वामी शुक्र को कन्या में नीच और मीन में उच्च का माना गया है। इसके बुध, शनि और केतु मित्र हैं। सूर्य व चन्द्र शुत्र हैं। मंगल, गुरु और राहु सम हैं और सप्तम भाव इसका पक्का घर है। लाल किताब में शत्रु और मित्र कुंडली की स्थिति के अनुसार होते हैं। लाल किताब के अनुसार यहां प्रस्तुत हैं शुक्र को शुभ करने के खाने अनुसार उपाय-
शुक्र के अशुभ होने की निशानी
शुक्र के साथ राहु का होना अर्थात स्त्री तथा दौलत का असर खत्म।
यदि शनि मंदा अर्थात नीच का हो तब भी शुक्र का बुरा असर होता है।
अंगूठे में दर्द का बना रहना या बिना रोग के ही अंगूठा बेकार हो जाता है।
त्वचा में विकार। गुप्त रोग। पत्नी से अनावश्यक कलह भी शुक्र के अशुभ होने की निशानी है।
सावधानी
शनि के मंदे कार्य करें तो शुक्र साथ छोड़ देता है।
पत्नी का सम्मान करें और पराई स्त्री से दूर रहें।
स्वयं और घर को साफ-सुथरा रखें और हमेशा साफ कपड़े पहनें। नित्य नहाएं।
शरीर को जरा भी गंदा न रखें। सुगंधित इत्र या सेंट का उपयोग करें। पवित्र बने रहें।
उपाय
*लक्ष्मी माता की उपासना करें।
*सफेद वस्त्र दान करें।
*भोजन का कुछ हिस्सा गाय, कौवे और कुत्ते को दें।
*शुक्रवार का व्रत रखें और उस दिन खटाई न खाएं।
*दो मोती लेकर एक पानी में बहा दें और एक जिंदगीभर अपने पास रखें।
खाने के अनुसार शुक्र के सामान्य उपाय
शुक्र खाना नंबर 1
*शुक्र एक में है और यदि पहले या 7वें खाने में राहु, चन्द्र, सूर्य हो तो पराई स्त्री पर नजर न रखें।
*हमेशा दूसरों की सलाह लेकर ही कोई कार्य शुरू करें।
*यदि शुक्र खराब है तो 25 वर्ष की उम्र में विवाह-संस्कार नहीं करें।
काले रंग की गाय की सेवा करें।
*दही से स्नान करना चाहिए।
शुक्र खाना नंबर 2
*दूसरों की बजाय सिर्फ ईश्वर से ही मांगें।
*किसी की बुराई करना भाग्य को रोकना सिद्ध होगा।
*चरित्र को ठीक रखना आवश्यक है अन्यथा दुश्मन की दुश्मनी के शिकार हो जाएंगे।
*शेरमुखी मकान का बुरा असर।
*मंगल से संबंधित वस्तुओं जैसे शहद, सौंफ और खांड आदि का दान करें।
शुक्र खाना नंबर 3
*पत्नी का अपमान न करें, बल्कि हर जगह उसकी इज्जत और तारीफ करें।
दुराचारी होने से बदनामी फैल सकती है।
शुक्र खाना नंबर 4
आसपास या घर में कुआं होतो उसे बंद न करें या उस पर ढक्कन न रखें।
चन्द्र का उपाय करें।
दूसरे की बुराइयों पर पर्दा डालें।
मकान की छत दुरुस्त रखें।
शराब से दूर रहें।
बहन और बुआ से अच्छे संबंध रखें।
यदि शुक्र खराब है तो अपनी पत्नी का नाम बदलकर और औपचारिक रूप से पुनर्विवाह करें।
माता को खीर का भोग लगाने से भी शुक्र की पीड़ा से शांति मिलती है।
शुक्र खाना नंबर 5
पराई स्त्री से प्रेम-प्रसंग होना अर्थात अपने आसपास कांटों के जाल बुनना।
माता-पिता की मर्जी से ही विवाह करें अन्यथा इसका औलाद पर बुरा असर होगा।
गाय व माता की सेवा करने पर शुभ सूचना प्राप्त होती है।
शुक्र खाना नंबर 6
पत्नी के बालों में सोने की क्लिप लगाएं।
अपने पति या पत्नी को नंगे पांव न रहने दें, ऐसा होने पर हानि हो सकती है।
पत्नी को शान और इज्जत से रखें।
शुक्र खाना नंबर 7
सफेद गाय नहीं पालनी चाहिए, काली या लाल गाय की सेवा करना शुभ है।
ससुराल पक्ष के साथ कारोबार न करें।
बेहया, बेशर्म या कामी विचारों से घिरे रहने से बर्बादी।
छत में उजालदान न लगाएं अर्थात घर में आसमान से रोशनी के रास्ते बंद कर दें।
शुक्र खाना नंबर 8
नशा न करें।
पत्नी से बनाकर रखें।
चाल-चलन उत्तम रखें।
माता, भाई और बहन का आशीर्वाद लेते रहें।
किसी के लिए जमानत न दें और न ही कसम खाएं।
कभी भी किसी से दान न लें और मंदिर में सिर झुकाते रहें।
तांबे का सिक्का या नीले फूल को लगातार 10 दिन तक गंदे नाले में फेंकें।
शुक्र खाना नंबर 9
तीर्थयात्रा के मौके न चूकें।
भाई से अच्छे संबंध रखें।
सफेद रंग की गाय न पालें।
भवन निर्माण के समय शहद और चांदी गाड़ें।
शुक्र खाना नंबर 10
घर में पश्चिम दिशा की तरफ मिट्टी की दीवार का होना शुभ।
पश्चिम की दीवार कच्ची रखें या पश्चिम में कच्चा स्थान रखें।
पति-पत्नी दोनों धर्म-कर्म में विश्वास रखें।
शुक्र खाना नंबर 11
सरसों का तेल दान करें।
पत्नी के भाइयों से मदद लें।
कभी भी किसी पराई स्त्री से संबंध न रखें।
बुध के उपाय करें।
शुक्र खाना नंबर 12
सूर्यास्त के समय नीले रंग के फूल को जमीन में दबाएं।
व्यभिचार न करें।
शुक्र स्तोत्र || Shukra Stotram || Shukra Graha Stotram in Sanskrit
जब किसी भी जातक की कुंडली में शुक्र ग्रह नीच का होकर या गोचर में बुरा प्रभाव दे रहा हो या शुक्र ग्रह की दशा और अन्तर्दशा में बुरा फ़ल दे तो दिए गये शुक्र स्तोत्र का रोजाना जाप करने से शुक्र सम्बन्धित हो रही परेशानी से निजात मिलेगा ! शुक्र स्तोत्र का रोजाना पाठ करने से शुक्र ग्रह अपना बुरा प्रभाव छोड़कर अच्छा फ़ल देने लग जाता हैं
नमस्ते भार्गव श्रेष्ठ देव दानव पूजित ।
वृष्टिरोधप्रकर्त्रे च वृष्टिकर्त्रे नमो नम: ।।1।।
देवयानीपितस्तुभ्यं वेदवेदांगपारग: ।
परेण तपसा शुद्ध शंकरो लोकशंकर: ।।2।।
प्राप्तो विद्यां जीवनाख्यां तस्मै शुक्रात्मने नम: ।
नमस्तस्मै भगवते भृगुपुत्राय वेधसे ।।3।।
तारामण्डलमध्यस्थ स्वभासा भसिताम्बर: ।
यस्योदये जगत्सर्वं मंगलार्हं भवेदिह ।।4।।
अस्तं याते ह्यरिष्टं स्यात्तस्मै मंगलरूपिणे ।
त्रिपुरावासिनो दैत्यान शिवबाणप्रपीडितान ।।5।।
विद्यया जीवयच्छुक्रो नमस्ते भृगुनन्दन ।
ययातिगुरवे तुभ्यं नमस्ते कविनन्दन ।6।।
बलिराज्यप्रदो जीवस्तस्मै जीवात्मने नम: ।
भार्गवाय नमस्तुभ्यं पूर्वं गीर्वाणवन्दितम ।।7।।
जीवपुत्राय यो विद्यां प्रादात्तस्मै नमोनम: ।
नम: शुक्राय काव्याय भृगुपुत्राय धीमहि ।।8।।
नम: कारणरूपाय नमस्ते कारणात्मने ।
स्तवराजमिदं पुण्य़ं भार्गवस्य महात्मन: ।।9।।
य: पठेच्छुणुयाद वापि लभते वांछित फलम ।
पुत्रकामो लभेत्पुत्रान श्रीकामो लभते श्रियम ।।10।।
राज्यकामो लभेद्राज्यं स्त्रीकाम: स्त्रियमुत्तमाम ।
भृगुवारे प्रयत्नेन पठितव्यं सामहितै: ।।11।।
अन्यवारे तु होरायां पूजयेद भृगुनन्दनम ।
रोगार्तो मुच्यते रोगाद भयार्तो मुच्यते भयात ।।12।।
यद्यत्प्रार्थयते वस्तु तत्तत्प्राप्नोति सर्वदा ।
प्रात: काले प्रकर्तव्या भृगुपूजा प्रयत्नत: ।।13।।
सर्वपापविनिर्मुक्त: प्राप्नुयाच्छिवसन्निधि: ।।14।।
(इति स्कन्दपुराणे शुक्रस्तोत्रम)
शुक्र का प्रभाव
भौतिक संसार में प्रत्येक वस्तु शुक्र ग्रह से जनित है इसलिए ज्योतिषियों ने शुक्र को सबसे उत्तम और श्रेष्ठ ग्रह बताया है। कुंडली (Janam Kundali) में शुक्र की शुभ स्थिति से सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। शुक्र के अच्छे प्रभाव में मनुष्य को प्रेम संबंधों में सफलता एवं वैवाहिक जीवन का आनंद मिलता है। साथ ही समाज में मान-सम्मान बढ़ता है। कुंडली में शुक्र का मजबूत होना आवश्यक एवं शुभ माना जाता है।
यदि कुंडली में शुक्र ग्रह की स्थिति खराब अथवा कमजोर हो तो जातक को व्यक्तिगत सुखों की प्राप्ति के लिए अत्यंत संघर्ष करना पड़ता है। शुक्र की कमजोर स्थिति यौनांगों के रोगों का भी कारक है। अत: मनुष्य हर तरह से असफलताओं से घिर जाता है।
कैसे करें कुंडली में शुक्र को मजबूत -:
शुक्र को मजबूत करने के लिए हीरा धारण किया जा सकता है।
विशेष सिद्ध शुक्र कवच धारण करने से विशेष लाभ होता है एवं शुक्र यंत्र की स्थापना भी लाभदायक होती है।
नियमित दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा या लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें।
शुक्रवार के दिन खीर खाने से भी शुक्र की स्थिति मजबूत बनती है।
कुंडली में शुक्र को मजबूत के उपाय ऊपर भी दिए जा चुके हैं
सफेद वस्तु अथवा ज्वार का दान करें एवं कन्याओं का पूजन करने से लाभ मिलता है।
किसी पुजारी की पत्नी को चांदी, चावल, दूध, दही, श्वेत चंदन, सफेद वस्त्र तथा सुगंधित पदार्थ दान दें।
चंदन के तेल में कपूर डालकर उपयोग करें एवं काली चींटियों को चीनी खिलानी चाहिए।
शुक्रवार के दिन व्रत रखें और घर में तुलसी का पौधा लगाएं।
शुक्र ग्रह की कृपा पाना चाहते हैं तो बहुत जरूरी है कि आप अपने घर एवं बाहर हर स्त्री का सम्मान करें। पत्नी को खुश रखने का प्रयास करें अथवा पराई स्त्री से संबंध नही रखना चाहिए।
शुभ स्थिति में शुक्र के लक्षण
जिन जातकों की कुंडली में शुक्र मजबूत होता है वे बेहद खूबसूरत होते हैं। ऐसे लोग अपनी उम्र से छोटे दिखते हैं।
विवाह जल्दी हो जाता है एवं यह वैवाहिक जीवन का भरपूर आनंद उठाते हैं।
इन लोगों की आंखें बहुत सुन्दर होती हैं एवं नजर भी तेज होती है।
इन्हें सज-संवर कर रहना, सुन्दर परिधान पहनना पसंद होता है।
जातक की त्वचा स्निग्ध और दाग- धब्बे रहित होती है।
यह जातक खट्टे-मीठे खाने के शौकीन होते हैं।
जातक अपने जीवन में हर सुख, धन-वैभव, ऐश्वर्य का उपभोग करता है।
शुक्र यंत्र
शुक्र ग्रह को शांत करने या शुक्र के शुभ फल पाने के लिए आप अपने घर में शुक्र यंत्र की स्थापना भी कर सकते हैंं। इसके प्रभाव से आपको सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी।
शुक्र कवच || Shukra Kavacham || Shukra Graha Kavacham Lyrics
अथ शुक्रकवचम्
अस्य श्रीशुक्रकवचस्तोत्रमंत्रस्य भारद्वाज ऋषिः अनुष्टुप् छन्दः शुक्रो देवता शुक्रप्रीत्यर्थं जपे विनियोगः
मृणालकुन्देन्दुषयोजसुप्रभं पीतांबरं प्रस्रुतमक्षमालिनम् I
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