कुण्डली से जाने मारकेश Markesh :
जन्म कुण्डली से जाने मारकेश:
लग्न :विभिन्न लग्नों के भिन्न भिन्न मारकेश होते हैं। सूर्य व चंद्रमा को मारकेश का दोष नहीं लगता है
भाव : मारकेशके लिए दूसरे भाव, सातवें भाव, बारहवें भाव, अष्टम भाव का विचार किया जाता है.
आयु का विचार : आठवें भाव से आयु का विचार होता है.
दशा :मारकेश की दशा ,अंतर्दशा या प्रत्यत्तर का विचार किया जाता है.
छठे आठवें बारहवें भाव मे स्थित राहु केतु भी मारक ग्रह का काम करते है.
Astrology, Numerology, Palmistry & Vastu Consultant : Mob No. 08861209966,
लग्नों के मारकेश :
मेष लग्न मारकेश :शनि और शुक्र।
वृष लग्न :गुरु।
मिथुन लग्न :मंगल और गुरु।
कर्क लग्न : शुक्र।
सिंह लग्न : शनि और बुध.
कन्या लग्न :मंगल।
तुला लग्न : मंगल।
वृश्चिक लग्न : बुध.
धनु लग्न: शनि, शुक्र।
मकर लगन :मंगल।
कुंभ लग्न :गुरु, मंगल।
मीन लगन : मंगल, शनि।
मारक ग्रहों की दशा, अंतर्दशा या प्रत्यत्तर दशा में : मानसिक, शारीरिक , दुर्घटना, बीमारी, तनाव, अपयश जैसी परेशानी आ सकती हैं. मृत्यु तुल्य कष्ट हो सकता है
मारक ग्रहों की दशा, अंतर्दशा या प्रत्यत्तर दशा में उपाय :
शिव आराधना से लाभ मिलना है.
मारक ग्रहों की दशा मे उनके उपाय करना चाहिए.
महामृत्युंजय मंत्र का जप करना चाहिए। महामृत्युंजय मंत्र इस प्रकार है:
ॐ हौं ॐ जूं ॐ स: भूर्भुव: स्वःत्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिम्पुष्टिवर्द्धनम्।
उर्वारूकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतातॐ भूर्भुव: स्वः ॐ जूं स: हौं ॐ।
जन्म कुण्डली से जाने मारकेश:
लग्न :विभिन्न लग्नों के भिन्न भिन्न मारकेश होते हैं। सूर्य व चंद्रमा को मारकेश का दोष नहीं लगता है
भाव : मारकेशके लिए दूसरे भाव, सातवें भाव, बारहवें भाव, अष्टम भाव का विचार किया जाता है.
आयु का विचार : आठवें भाव से आयु का विचार होता है.
दशा :मारकेश की दशा ,अंतर्दशा या प्रत्यत्तर का विचार किया जाता है.
छठे आठवें बारहवें भाव मे स्थित राहु केतु भी मारक ग्रह का काम करते है.
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लग्नों के मारकेश :
मेष लग्न मारकेश :शनि और शुक्र।
वृष लग्न :गुरु।
मिथुन लग्न :मंगल और गुरु।
कर्क लग्न : शुक्र।
सिंह लग्न : शनि और बुध.
कन्या लग्न :मंगल।
तुला लग्न : मंगल।
वृश्चिक लग्न : बुध.
धनु लग्न: शनि, शुक्र।
मकर लगन :मंगल।
कुंभ लग्न :गुरु, मंगल।
मीन लगन : मंगल, शनि।
मारक ग्रहों की दशा, अंतर्दशा या प्रत्यत्तर दशा में : मानसिक, शारीरिक , दुर्घटना, बीमारी, तनाव, अपयश जैसी परेशानी आ सकती हैं. मृत्यु तुल्य कष्ट हो सकता है
मारक ग्रहों की दशा, अंतर्दशा या प्रत्यत्तर दशा में उपाय :
शिव आराधना से लाभ मिलना है.
मारक ग्रहों की दशा मे उनके उपाय करना चाहिए.
महामृत्युंजय मंत्र का जप करना चाहिए। महामृत्युंजय मंत्र इस प्रकार है:
ॐ हौं ॐ जूं ॐ स: भूर्भुव: स्वःत्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिम्पुष्टिवर्द्धनम्।
उर्वारूकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतातॐ भूर्भुव: स्वः ॐ जूं स: हौं ॐ।
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