Gotra - What is Gotra (गोत्र किसे कहते हैं) | What is Pravar प्रवर किसे कहते हैं
गोत्र किसे कहते हैं -
सृष्टि के रचना क्रम में ब्रह्मा जी ने ब्राह्मण की रचना की,ब्रह्मा जी के रचित ब्राह्मण से दो पुत्र हुये,जिनका नाम गौड़ और द्रविड़ हुआ।इन दो पुत्रों में गौड़ को विन्ध्य पर्वत के उत्तर का भूभाग दिया गया,और द्रविड़ को विन्ध्य पर्वत के दक्षिण का भूभाग प्रदान किया गया।इन दोनों पुत्रों के भी पाँच-पाँच पुत्र पैदा हुये।गौड़ के सारस्वत,कान्यकुब्ज,गौड़,मैथिल और उत्कल तथा द्रविड़ को तैलंग,महाराष्ट्र,गुर्जर,द्राविड और कर्नाटक हुये,ये दोनों पंचगौड़ तथा पंचद्रविड़ के नाम से जाने गये।ये दस पुत्र जिन स्थानों पर रहे उनके नाम से भारत में राज्य स्थापित हुये।
सम्पूर्ण गौड़ ब्राह्मण वंश के 24 ऋषि हुये,इन महत्वपूर्ण ऋषियों के नाम से गोत्र चल पड़े।इन ऋषियों के नाम के आधार पर चले गोत्र के नवरत्न हैं,यथा-गोत्र,वेद,उपवेद,शाखा,सूत्र,प्रवर,शिखा,पाद एवं देवता।
आइये जाने इन नवरत्नों मे गोत्र को-
गोत्र- किसी भी वंश के मूल व्यक्ति की वंश परम्परा जहाँ से प्रारम्भ होती है,उस वंश का गोत्र उसी के नाम से प्रचलित हो गया,जैसे महर्षि पाराशर से पाराशर गोत्र,वशिष्ठ से वशिष्ठ गोत्र,कौशिक ऋषि से कौशिक गोत्र….आदि। संस्कृत के विदेशी विद्वान मैक्समूलर ने कहा “जिस वर्ग का विस्तार होने पर अपनी पहचान बनाने के लिये आदि पुरुषों के नाम से गोत्र धारण कर लिये गये। इस प्रकार गोत्र से अभिप्राय “आदि पुरुष” से है।
प्रवर किसे कहते हैं -
गोत्रों का प्रवर से घनिष्ठ संबंध है।प्रवर का अर्थ है “श्रेष्ठ“। प्रवर गोत्र के प्रवर्तक मूल ऋषि के बाद में होने वाले महान व्यक्तियों की ओर संकेत करता है।प्रवर उन ऋषियों के नाम होते हैं जो वैदिक,नित्य नैमित्तिक कर्म एवं कुलाचार के प्रवर्तक है।
प्रवर के सन्दर्भ में कहा गाय कि प्रवर उतना पुराना नहीं जितना गोत्र।इससे स्पष्ट है कि गोत्र के मूल प्रवर्तक ऋषियों के बाद उनके बाद के महान व्यक्ति है।
प्रवर तीन या पाँच हैं,पाँच प्रवर वाले तीन प्रवर वालों से श्रेष्ठ हैं।
पाँच प्रवरवाले यज्ञोपवीत के ब्रह्मपाश में पाँच लपेटे वाला यज्ञोपवीत धारण करते हैं,वहीं तीन प्रवर वाले यज्ञोपवीत के तीन लपेटों से निर्मित ब्रह्मपाश वाला यज्ञोपवीत धारण करते हैं।
जैसे-गर्ग गोत्र वाले पाँच प्रवर वाले हुये,अर्थात गर्ग गोत्र में गर्ग ऋषि के बाद पाँच महान ऋषि हुये-आंगिरस,वार्हस्पत्य,भारद्वाज,श्येन और गार्ग्य- और गौतम गोत्र वाले तीन प्रवर वाले हुये,इनमें अंगिरस,वार्हस्पत्य और गौतम मुख्य हुये।
इस प्रकार हम जानते हैं कि प्रवर से अभिप्राय श्रेष्ठता से है।
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